पटना हाई कोर्ट का फैसला: 2004 भर्ती वाले सिपाहियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ मिलेगा (2021)

पटना हाई कोर्ट का फैसला: 2004 भर्ती वाले सिपाहियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ मिलेगा (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला बिहार पुलिस में भर्ती हुए उन सिपाहियों से जुड़ा है, जिन्हें विज्ञापन संख्या 01/2004 के तहत चुना गया था। समस्या यह हुई कि एक ही भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ सिपाहियों की नियुक्ति 31.08.2005 से पहले हुई और उन्हें पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) का लाभ दिया गया। लेकिन जिनकी नियुक्ति बाद में हुई, उन्हें नई पेंशन योजना (New Pension Scheme – NPS) में डाल दिया गया।

याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह भेदभावपूर्ण है, क्योंकि सभी उम्मीदवार एक ही विज्ञापन और एक ही चयन प्रक्रिया से भर्ती हुए थे। केवल नियुक्ति पत्र देर से जारी होने के कारण कुछ लोगों को नई पेंशन योजना में डालना अनुचित है।

राज्य सरकार ने इसका विरोध किया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने अदालत को याद दिलाया कि इस मुद्दे पर पहले ही गणपति सिंह बनाम बिहार राज्य (CWJC No. 663 of 2010, निर्णय 29.08.2011) में फैसला दिया जा चुका है। उस मामले में कोर्ट ने साफ कहा था कि यदि भर्ती प्रक्रिया कट-ऑफ तिथि से पहले शुरू हुई है, तो सभी उम्मीदवारों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। इस फैसले को बाद में LPA No. 204 of 2014 और सुप्रीम कोर्ट ने SLP (Civil) No. 35714 of 2016 में भी बरकरार रखा था।

माननीय न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह मुद्दा अब “res integra” (खुला प्रश्न) नहीं है, क्योंकि पहले ही उच्चतम न्यायालय तक इसका निपटारा हो चुका है। इसलिए इस मामले में भी वही सिद्धांत लागू होगा।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए राज्य को निर्देश दिया कि उन्हें पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ दिया जाए।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  1. समानता का सिद्धांत: एक ही भर्ती प्रक्रिया में शामिल सभी उम्मीदवारों को समान पेंशन लाभ मिलेंगे।
  2. प्रशासनिक देरी का असर नहीं: सरकार की देरी से जारी नियुक्ति पत्र के कारण उम्मीदवारों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
  3. पहले के फैसलों का पालन: अदालत ने साफ किया कि एक बार जब कोई मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक तय हो चुका है, तो सरकार को बार-बार वही गलती नहीं करनी चाहिए।
  4. राज्य पर आर्थिक असर: इस फैसले के कारण राज्य सरकार को अधिक वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा, लेकिन कर्मचारियों के हित में यह आवश्यक है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • मुद्दा: क्या 2004 विज्ञापन से भर्ती हुए सिपाही, जिनकी नियुक्ति 31.08.2005 के बाद हुई, OPS के हकदार हैं?
    हाँ। उन्हें OPS मिलेगा, क्योंकि उनकी भर्ती प्रक्रिया कट-ऑफ तिथि से पहले शुरू हुई थी।
  • मुद्दा: क्या यह नया मुद्दा है या पहले से तय?
    पहले से तय। गणपति सिंह केस में यह स्पष्ट कर दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे बरकरार रखा था।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • गणपति सिंह बनाम बिहार राज्य, CWJC No. 663 of 2010 (निर्णय दिनांक 29.08.2011)

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • गणपति सिंह बनाम बिहार राज्य, CWJC No. 663 of 2010
  • LPA No. 204 of 2014
  • SLP (Civil) No. 35714 of 2016 (सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज)

मामले का शीर्षक

सिपाहीगण (याचिकाकर्ता) बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 24518 of 2018

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 137

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय न्यायमूर्ति श्री अनिल कुमार उपाध्याय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ताओं की ओर से: श्री निलेंदु कुमार चौधरी, अधिवक्ता; श्री मनीष कुमार नं. 2, अधिवक्ता
  • प्रतिवादी (राज्य) की ओर से: श्री अनिल कुमार, AC to SC 8

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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