निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के एक डीलर से जुड़ा था।
सीतामढ़ी जिले के पुरी अनुमंडल अधिकारी (SDO) ने 14 मई 2020 को आदेश (संस्मरण संख्या 271, केस संख्या 05/2020) जारी कर एक डीलर का लाइसेंस (लाइसेंस संख्या 08/2003) रद्द कर दिया। यह कार्रवाई बिहार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2016 की धारा 25(1)(क)(ख)(ग)(घ) के तहत की गई थी।
याचिकाकर्ता (डीलर) ने इस फैसले को चुनौती दी और कहा कि:
- केवल तीन दिन का समय शो-कॉज दाखिल करने के लिए दिया गया, जो बेहद कम और अनुचित है।
- उसने 13 मई 2020 को अपना जवाब दाखिल भी कर दिया था, लेकिन अगले ही दिन 14 मई 2020 को लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
- यह आदेश प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और उचित अवसर दिए बिना लिया गया।
याचिकाकर्ता ने एक पुराने फैसले का हवाला दिया: स्म्ट. फूलपटी देवी बनाम बिहार राज्य, 2013 (1) PLJR 718, जिसमें पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि केवल तीन दिन का समय देकर लाइसेंस रद्द करना “हड़बड़ी में लिया गया फैसला” है और इसे अवैध घोषित किया गया था।
न्यायमूर्ति विकास जैन ने माना कि लाइसेंस रद्द करना एक गंभीर फैसला है, और इसके लिए उचित समय और सुनवाई का अवसर दिया जाना जरूरी है। केवल तीन दिन का समय देकर और तुरंत आदेश पारित कर देना अन्यायपूर्ण है।
अदालत ने 14 मई 2020 का आदेश रद्द कर दिया और मामले को दोबारा SDO पुरी को भेज दिया, यह निर्देश देते हुए कि:
- नया और उचित शो-कॉज नोटिस जारी किया जाए।
- याचिकाकर्ता को पर्याप्त समय और अवसर दिया जाए।
- फिर कानून के अनुसार नया निर्णय लिया जाए।
साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि तब तक डीलर की आपूर्ति बहाल की जाए जब तक नया आदेश नहीं आता।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- PDS डीलरों के लिए: यह फैसला बताता है कि सरकार बिना उचित अवसर दिए लाइसेंस रद्द नहीं कर सकती। डीलर मनमानी कार्रवाई को अदालत में चुनौती दे सकते हैं।
- अधिकारियों के लिए: अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) और अन्य अधिकारियों को यह ध्यान रखना होगा कि वे उचित प्रक्रिया का पालन करें। जल्दबाजी में लिया गया फैसला अदालत में टिकेगा नहीं।
- जनता के लिए: यह सुनिश्चित करता है कि राशन की दुकानों की आपूर्ति अचानक बाधित न हो, क्योंकि गरीब और जरूरतमंद जनता को इसका सीधा असर झेलना पड़ता है।
- कानून और न्याय के लिए: यह फैसला दोहराता है कि प्रशासनिक फैसलों में भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना अनिवार्य है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या तीन दिन का समय देकर शो-कॉज लेना पर्याप्त है?
निर्णय: नहीं। यह बहुत कम समय है और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। - क्या 14 मई 2020 का लाइसेंस रद्द करने का आदेश वैध था?
निर्णय: नहीं। कोर्ट ने इसे अवैध ठहराकर रद्द कर दिया। - कोर्ट ने क्या राहत दी?
निर्णय: आदेश रद्द करके मामला दोबारा SDO को भेजा गया। साथ ही आपूर्ति तुरंत बहाल करने का निर्देश दिया गया।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- स्म्ट. फूलपटी देवी बनाम बिहार राज्य, 2013 (1) PLJR 718 — कोर्ट ने हड़बड़ी में दिए गए आदेश को अवैध ठहराया था।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- मुख्य रूप से फूलपटी देवी केस पर भरोसा किया गया।
मामले का शीर्षक
Nathuni Mehtar बनाम State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 8007 of 2020
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 196
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति विकास जैन
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री अमृत अभिजात — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री यू.पी. सिंह, AC to SC-4 — राज्य की ओर से
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjODAwNyMyMDIwIzEjTg==-97DA0UNT75s=
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