निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि विलंबित GST अपील भी सुनी जा सकती है, यदि करदाता केंद्र सरकार द्वारा जारी विशेष अधिसूचना (CBIC Notification No. 53/2023–Central Tax दिनांक 02.11.2023) के प्रावधानों का पालन करता है।
मामला यह था कि एक करदाता ने अपने खिलाफ पारित कर आदेश (tax demand order) के खिलाफ प्रथम अपील दायर की थी, लेकिन यह अपील तय समय सीमा से काफी देर से दायर हुई। बिहार GST कानून (BGST) की धारा 107 के अनुसार, अपील आदेश की तिथि से 3 महीने के अंदर दायर की जानी चाहिए। यदि उचित कारण हो तो अतिरिक्त 1 महीने का समय दिया जा सकता है। इसके बाद की अपील को न तो अपीलीय प्राधिकारी और न ही हाई कोर्ट स्वीकार कर सकता है।
याचिकाकर्ता की अपील इसी कारण अस्वीकार कर दी गई थी। सामान्य परिस्थितियों में मामला यहीं समाप्त हो जाता। लेकिन, केंद्र सरकार ने 02.11.2023 को एक विशेष अधिसूचना जारी की, जिसके तहत 31.03.2023 तक के आदेशों के खिलाफ अपील फिर से दायर या बहाल की जा सकती है, बशर्ते करदाता कुछ शर्तें पूरी करे।
इस अधिसूचना के अनुसार –
- अपील 31.01.2024 तक दायर करनी होगी (या पहले से लंबित हो तो वैध मानी जाएगी)।
- करदाता को अपना स्वीकृत कर, ब्याज, शुल्क व दंड पूरा भुगतान करना होगा।
- विवादित कर (disputed tax) का 12.5% जमा करना होगा, जिसमें कम से कम 20% राशि नकद (Electronic Cash Ledger) से जमा करनी होगी।
- अधिकतम सीमा ₹25 करोड़ तक रखी गई है।
- अपील लंबित रहने तक कोई रिफंड नहीं मिलेगा।
पटना हाई कोर्ट ने कहा कि यदि करदाता यह शर्तें पूरी कर देता है तो उसकी अपील, जिसे पहले समय-सीमा के आधार पर खारिज किया गया था, पुनः बहाल की जाएगी और मेरिट पर सुनी जाएगी। यदि शर्तें पूरी नहीं होतीं तो अपील खारिज ही मानी जाएगी।
इस प्रकार कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला सामान्य समय सीमा बढ़ाने का नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा दी गई एक विशेष अवसर का है, जिसका लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जो तय समय और शर्तों का पालन करेंगे।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- करदाताओं के लिए राहत — कई लोग जिनकी अपील समय-सीमा से बाहर हो गई थी, अब इस विशेष अधिसूचना का लाभ लेकर अपनी अपील बहाल कर सकते हैं। यह उन्हें अपने मामलों को मेरिट पर रखने का अंतिम अवसर देता है।
- सरकार के लिए संतुलन — इस फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि सरकार की ओर से दी गई रियायतों को सख्ती से शर्तों के साथ ही लागू किया जाएगा। इससे राजस्व संग्रह (Revenue) पर असर नहीं पड़ेगा और न्यायिक प्रक्रिया भी निष्पक्ष रहेगी।
- संदेश — यह निर्णय आम जनता और कारोबारियों के लिए एक संदेश है कि कर कानूनों की समय सीमा और प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। लेकिन सरकार जब विशेष अवसर देती है, तो उसे समय पर और पूरी शर्तों के साथ अपनाना चाहिए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या धारा 107 के तहत समय-सीमा से अधिक विलंबित अपील को स्वीकार किया जा सकता है?
✦ नहीं। अपीलीय प्राधिकारी और हाई कोर्ट के पास निर्धारित अधिकतम समय सीमा से अधिक विलंब को स्वीकार करने का अधिकार नहीं है। - क्या CBIC की विशेष अधिसूचना (53/2023 दिनांक 02.11.2023) के आधार पर पुरानी अपीलें सुनी जा सकती हैं?
✦ हां। यदि करदाता 31.01.2024 तक अधिसूचना की शर्तों (जैसे 12.5% विवादित कर का भुगतान) का पालन करता है, तो अपील बहाल होकर मेरिट पर सुनी जाएगी। - क्या पहले से खारिज अपील बहाल होगी?
✦ हां। यदि करदाता अधिसूचना की शर्तों का पालन करता है तो अपील बहाल होगी, अन्यथा खारिज ही रहेगी।
मामले का शीर्षक
Jai Bhagwati Mines बनाम State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 16957 of 2023
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति श्री राजीव रॉय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री डी.वी. पाठी, अधिवक्ता
प्रतिवादी राज्य की ओर से: श्री विकास कुमार, SC-11
निर्णय का लिंक
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