निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया जिसमें सड़क निर्माण विभाग, मुजफ्फरपुर के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के तीसरे संशोधित आश्वस्त करियर प्रगति (Modified Assured Career Progression – MACP) के लाभ से जुड़ा विवाद सुलझाया गया।
याचिकाकर्ता, जो हेड असिस्टेंट के पद से फरवरी 2015 में सेवानिवृत्त हुए थे, ने 1980 में क्लर्क के रूप में सेवा शुरू की थी। अपने लगभग 35 वर्षों के कार्यकाल में उन्हें दो पदोन्नतियाँ मिलीं — 1992 में हेड क्लर्क और 2004 में हेड असिस्टेंट के रूप में। चूँकि उन्होंने लगातार 10 साल से अधिक समय तक एक ही पद पर काम किया, वे 3rd MACP के लिए पात्र हो गए थे, जिसके अंतर्गत उनका ग्रेड वेतन ₹4,800/- (पे बैंड-2) होना चाहिए था।
लेकिन विभाग ने उनका दावा इस आधार पर ठुकरा दिया कि उन्होंने विभागीय लेखा परीक्षा (Departmental Accounts Examination) पास नहीं की थी।
याचिकाकर्ता का तर्क:
- 2010 की MACP नियमावली (जो 01.01.2009 से प्रभावी है) में कहीं भी यह शर्त नहीं है कि MACP पाने के लिए विभागीय परीक्षा पास करना जरूरी है।
- इस विषय पर पहले ही पटना हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रामाधार ठाकुर बनाम बिहार राज्य (LPA No. 599 of 2015) में फैसला दिया था कि लेखा परीक्षा पास करना केवल चयन ग्रेड पदोन्नति के लिए आवश्यक है, ACP/MACP लाभ के लिए नहीं।
राज्य का तर्क:
- राज्य ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि याचिकाकर्ता ने लेखा परीक्षा पास नहीं की, इसलिए उन्हें MACP का लाभ नहीं मिल सकता।
न्यायालय का निष्कर्ष:
- कोर्ट ने रामाधार ठाकुर मामले का हवाला दिया और माना कि लेखा परीक्षा पास करना MACP पाने की पूर्व शर्त नहीं है।
- 2010 की MACP नियमावली में भी परीक्षा पास करने का कोई उल्लेख नहीं है।
- राज्य ने भी यह नहीं विवाद किया कि 2010 की नियमावली लागू होती है।
- इसलिए विभाग द्वारा लाभ से इंकार करना पूरी तरह गलत था।
अंततः, हाई कोर्ट ने 10.02.2017 को जारी अस्वीकृति पत्र को रद्द कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता को 3rd MACP का लाभ सभी परिलाभों (consequential benefits) सहित दिया जाए।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए राहत: यह फैसला उन सरकारी कर्मचारियों के लिए अहम है जिन्हें MACP लाभ नहीं मिला। अब यह स्पष्ट है कि लेखा परीक्षा पास न करने के आधार पर लाभ से वंचित करना गलत है।
- प्रशासन के लिए मार्गदर्शन: विभागों को नियमों की समान और सही व्याख्या करनी होगी।
- जनता के लिए संदेश: न्यायालय सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आर्थिक अधिकारों की रक्षा करता है और अनुचित अस्वीकृति को रोकता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या MACP पाने के लिए विभागीय लेखा परीक्षा पास करना जरूरी है?
❌ नहीं। कोर्ट ने कहा कि यह शर्त MACP पर लागू नहीं होती। - क्या लंबे समय तक पदोन्नति न मिलने पर MACP का अधिकार बनता है?
✅ हाँ। याचिकाकर्ता ने 30 साल से अधिक सेवा दी और केवल दो पदोन्नतियाँ पाईं, इसलिए वे 3rd MACP के हकदार हैं। - क्या विभाग द्वारा अस्वीकृति सही थी?
❌ नहीं। कोर्ट ने पत्र को रद्द कर दिया और लाभ देने का निर्देश दिया।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- रामाधार ठाकुर बनाम बिहार राज्य, LPA No. 599 of 2015 (निर्णय दिनांक 19.03.2018, पटना हाई कोर्ट, डिवीजन बेंच)।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- रामाधार ठाकुर बनाम बिहार राज्य, LPA No. 599 of 2015 (पटना हाई कोर्ट, डिवीजन बेंच)।
मामले का शीर्षक
Nagendra Paswan v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 914 of 2018
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 311
माननीय न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति विकास जैन
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री राजू गिरी एवं श्री संतोष कुमार मिश्रा
- राज्य की ओर से: श्री बलराम कपरी (AC to SC 26)
- लेखा महानियंत्रक की ओर से: श्री सत्येन्द्र कुमार झा
निर्णय का लिंक
MTUjOTE0IzIwMTgjMSNO-nFAh0KQnJLI=
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