निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने 24 मार्च 2021 को एक अहम फैसला सुनाया जिसमें राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि वह औद्योगिक इकाई को औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2011 (Industrial Incentive Policy, 2011) के तहत वादा की गई पूंजी सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन राशि प्रदान करे।
यह मामला एक निजी कंपनी से जुड़ा था जिसने उद्योग विभाग, बिहार सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी। कंपनी ने यह दावा किया कि उसने नीति के सभी पात्रता मानदंड पूरे किए, फिर भी उसकी पूंजी सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहनों की मांग 13 अक्टूबर 2017 के एक पत्र द्वारा अस्वीकृत कर दी गई।
राज्य सरकार के उद्योग निदेशक ने कहा था कि प्रस्ताव “सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority)” से स्वीकृत नहीं हुआ, इसलिए राशि नहीं दी जा सकती। कंपनी का तर्क था कि यह आधार पूरी तरह गलत और मनमाना है, क्योंकि नीति के अनुसार सक्षम प्राधिकारी राज्य निवेश संवर्धन बोर्ड (State Investment Promotion Board – SIPB) है, जिसने पहले ही इसकी स्वीकृति दे दी थी।
कंपनी ने आगे कहा कि सरकार ने नीति के तहत उद्योग लगाने वालों से सब्सिडी देने का वादा किया था। इस वादे पर विश्वास करके कंपनी ने पूंजी निवेश किया, इसलिए अब सरकार इस वादे से पीछे नहीं हट सकती। यह प्रॉमिसरी एसटॉपल (Promissory Estoppel) के सिद्धांत का उल्लंघन है — अर्थात, सरकार द्वारा किए गए वादे को बाद में नकारा नहीं जा सकता।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने “एम/एस सनी स्टार्स होटल्स प्रा. लि. बनाम बिहार राज्य” (CWJC No. 12104/2018) का हवाला दिया। उस मामले में पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने समान परिस्थिति में सब्सिडी अस्वीकृति आदेश को रद्द करते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर प्रोत्साहन राशि देने का आदेश दिया था।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने इस तथ्य से इनकार नहीं किया कि यह मामला भी उसी श्रेणी में आता है, परंतु उन्होंने कहा कि सरकार याचिकाकर्ता का मामला पुनः जांचकर नीति के अनुसार निर्णय लेगी।
न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह ने सुनवाई के बाद कहा कि यह मामला पूरी तरह सनी स्टार्स होटल्स प्रा. लि. के निर्णय से आच्छादित है। उन्होंने यह दोहराया कि:
- “सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति नहीं” कहकर प्रोत्साहन अस्वीकार करना मनमाना और बिना कारण था।
- औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2011 में “सक्षम प्राधिकारी” अलग से परिभाषित नहीं है, इसलिए राज्य निवेश संवर्धन बोर्ड (SIPB) की स्वीकृति ही पर्याप्त है।
- उद्योग विभाग या अन्य विभाग नीति में नहीं लिखी गई नई प्रक्रिया नहीं बना सकते।
- सरकार प्रॉमिसरी एसटॉपल के सिद्धांत से बंधी है — उसने उद्योग लगाने वालों को प्रोत्साहन देने का वादा किया था, तो अब उसे निभाना होगा।
अंततः न्यायालय ने उद्योग विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता की सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहनों पर निर्णय तीन माह के भीतर लें और यह सुनिश्चित करें कि पात्र लाभ तुरंत दिए जाएँ।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव
यह निर्णय बिहार में निवेश करने वाले उद्योगपतियों, उद्यमियों और राज्य प्रशासन — तीनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:
- यह स्पष्ट करता है कि जब सरकार किसी औद्योगिक नीति के तहत वादा करती है, तो वह कानूनी रूप से उस वादे को निभाने के लिए बाध्य है।
- यह निवेशकों के वैध अधिकारों और अपेक्षाओं की रक्षा करता है और बिहार में निवेश माहौल को बेहतर बनाता है।
- यह सरकार के अधिकारियों को याद दिलाता है कि मनमाने ढंग से सब्सिडी अस्वीकृत करना गलत है।
- न्यायालय ने यह भी सुनिश्चित किया कि उद्योगपति बार-बार विभागों के चक्कर लगाने या अदालत जाने को मजबूर न हों।
- नीति में निर्धारित समयसीमा में कार्यवाही कर निवेश को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या उद्योग विभाग “सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति न होने” के आधार पर सब्सिडी अस्वीकार कर सकता है?
❖ निर्णय: नहीं। राज्य निवेश संवर्धन बोर्ड की स्वीकृति ही पर्याप्त है, किसी और मंजूरी की जरूरत नहीं।
❖ तर्क: नीति में “सक्षम प्राधिकारी” की कोई अलग परिभाषा नहीं है। SIPB की स्वीकृति अंतिम मानी जाएगी। - क्या सरकार निवेशकों को वादा किए गए प्रोत्साहन बाद में देने से इनकार कर सकती है?
❖ निर्णय: नहीं। यह “प्रॉमिसरी एसटॉपल” सिद्धांत का उल्लंघन है।
❖ तर्क: सरकार के वादे पर उद्योगों ने निवेश किया, इसलिए सरकार अब उसे नकार नहीं सकती। - क्या यह मामला सनी स्टार्स होटल्स प्रा. लि. के फैसले के समान है?
❖ निर्णय: हाँ। न्यायालय ने उसी निर्णय के आधार पर याचिकाकर्ता को राहत दी और तीन माह में सब्सिडी देने का निर्देश दिया।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- एम/एस सनी स्टार्स होटल्स प्रा. लि. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, CWJC No. 12104 of 2018 (निर्णय दिनांक 29 जुलाई 2019)
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- एम/एस सनी स्टार्स होटल्स प्रा. लि. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, CWJC No. 12104 of 2018 — पूर्व निर्णय को लागू किया गया।
- एम/एस सुप्रभात स्टील लिमिटेड बनाम बिहार राज्य — प्रॉमिसरी एसटॉपल सिद्धांत के लिए उद्धृत।
मामले का शीर्षक
याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 4818 of 2017
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 323
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री एस.डी. संजय (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री मोहित अग्रवाल, श्रीमती प्रिया गुप्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री सुभाष प्रसाद सिंह (GA-3), श्री इंदेश्वरी प्रसाद मंडल (AC to GA-3) — राज्य की ओर से
निर्णय का लिंक
MTUjNDgxOCMyMDE3IzEjTg==-JcVs9YmD9xw=
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