पटना हाई कोर्ट का फैसला: आरक्षण श्रेणी में गलती पर उम्मीदवारी अमान्य (2021)

पटना हाई कोर्ट का फैसला: आरक्षण श्रेणी में गलती पर उम्मीदवारी अमान्य (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि यदि किसी उम्मीदवार ने सरकारी नियुक्ति के आवेदन पत्र में गलत आरक्षण श्रेणी दर्ज की है और दस्तावेज़ सत्यापन के समय वह इसे मूल प्रमाणपत्र से साबित नहीं कर पाता, तो उसकी उम्मीदवारी स्वतः अमान्य मानी जाएगी।

यह मामला बिहार पुलिस में सिपाही नियुक्ति (विज्ञापन संख्या 01/2017) से जुड़ा था। एक अभ्यर्थी ने ऑनलाइन आवेदन करते समय स्वयं को पिछड़ा वर्ग (BC) श्रेणी में बताया, जबकि उसके पास वास्तव में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) का प्रमाणपत्र था। उसने लिखित परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा दोनों में सफलता प्राप्त कर ली थी, लेकिन जब दस्तावेज़ सत्यापन हुआ, तो अधिकारियों ने पाया कि आवेदन पत्र और प्रमाणपत्र में आरक्षण श्रेणी मेल नहीं खा रही थी। इसी आधार पर उसका आवेदन रद्द कर दिया गया।

अभ्यर्थी ने हाई कोर्ट में दलील दी कि यह गलती अनजाने में हुई थी, और उसे सामान्य श्रेणी (General Category) में नियुक्ति पर विचार किया जाना चाहिए। लेकिन न्यायालय ने माना कि विज्ञापन में पहले ही स्पष्ट लिखा गया था कि आवेदन में कोई भी गलत जानकारी या श्रेणी दर्ज करने पर उम्मीदवारी स्वतः रद्द हो जाएगी। आवेदन पत्र के कॉलम 20 में भी उम्मीदवार ने यह घोषणा की थी कि दी गई जानकारी गलत पाए जाने पर उसकी उम्मीदवारी निरस्त कर दी जाएगी।

नियुक्ति बोर्ड ने यह भी बताया कि इस परीक्षा में 10.5 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। ऐसे बड़े पैमाने की परीक्षा में यदि कोई उम्मीदवार बाद में श्रेणी बदलने की अनुमति पा जाए, तो पूरी चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठेगा। बोर्ड ने यह भी कहा कि परिणाम 11 जून 2018 को प्रकाशित किए गए थे, 9,839 उम्मीदवार सफल घोषित हुए थे और नियुक्तियों के लिए सिफारिशें 13 जून 2018 को भेज दी गई थीं।

न्यायालय ने पहले दिए गए दो निर्णयों का उल्लेख किया। पहला, अनिल कुमार बनाम राज्य बिहार (2013), जिसमें कहा गया था कि यदि किसी उम्मीदवार ने आवेदन में गलत श्रेणी बताई है और वह प्रमाणपत्र से साबित नहीं होती, तो उसे किसी अन्य श्रेणी में नहीं माना जा सकता। दूसरा, सेंट्रल सेलेक्शन बोर्ड ऑफ कॉन्स्टेबल बनाम राज कुमार (2017), जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि आवेदन में दी गई गलत जानकारी या श्रेणी यदि प्रमाणपत्र से मेल नहीं खाती, तो पूरी उम्मीदवारी अमान्य हो जाती है।

इन निर्णयों का हवाला देते हुए पटना हाई कोर्ट ने कहा कि जब किसी उम्मीदवार ने आवेदन पत्र में गलत आरक्षण श्रेणी दी हो और उसके पास उस श्रेणी का मूल प्रमाणपत्र न हो, तो उसकी उम्मीदवारी मान्य नहीं रह जाती। इसलिए, याचिकाकर्ता का आवेदन रद्द करना पूरी तरह सही था। न्यायालय ने 5 अप्रैल 2021 को याचिका खारिज कर दी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है —

  • यह स्पष्ट करता है कि सरकारी नौकरियों में आवेदन करते समय दी गई जानकारी कानूनी रूप से बाध्यकारी होती है। आरक्षण श्रेणी या अन्य व्यक्तिगत जानकारी में की गई छोटी सी गलती भी उम्मीदवारी रद्द करा सकती है।
  • इस निर्णय से यह भी संदेश जाता है कि बड़े पैमाने पर होने वाली परीक्षाओं में सभी उम्मीदवारों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। यदि किसी को बाद में श्रेणी सुधारने की अनुमति दी जाए, तो यह बाकी लाखों उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा।
  • सरकारी विभागों और भर्ती संस्थाओं के लिए यह फैसला उनके विज्ञापन और नियमों की सख्ती को वैध ठहराता है। अब वे गलत जानकारी देने वाले उम्मीदवारों के आवेदन को बिना झिझक रद्द कर सकते हैं।
  • आम उम्मीदवारों के लिए यह चेतावनी है कि आवेदन करते समय अपनी आरक्षण श्रेणी, जाति प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र आदि की पूरी तरह जांच कर लें। एक बार गलत जानकारी भरने के बाद उसे ठीक करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं रहेगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • प्रश्न: क्या उम्मीदवार जिसने आवेदन पत्र में एक श्रेणी भरी और प्रमाणपत्र में दूसरी श्रेणी है, उसे किसी अन्य श्रेणी (जैसे General) में नियुक्त किया जा सकता है?
    निर्णय: नहीं। आवेदन में दी गई गलत आरक्षण श्रेणी उम्मीदवारी को अमान्य कर देती है। प्रमाणपत्र से मेल न खाने पर बाद में श्रेणी बदलना अनुमत नहीं है।
  • प्रश्न: क्या भर्ती बोर्ड द्वारा “Mismatch in Application Form Data with Original Documents” के आधार पर उम्मीदवारी रद्द करना वैध था?
    निर्णय: हाँ। यह कार्रवाई विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप थी और पूरी तरह कानूनी थी।
  • प्रश्न: क्या परिणाम प्रकाशित होने के बाद चयन प्रक्रिया को दोबारा खोला जा सकता है?
    निर्णय: नहीं। एक बार चयन सूची जारी हो जाने और नियुक्ति सिफारिशें भेजे जाने के बाद प्रक्रिया को दोबारा खोलने का कोई औचित्य नहीं है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • अनिल कुमार बनाम राज्य बिहार एवं अन्य, 2013 (4) PLJR 1 (डिवीजन बेंच)
  • सेंट्रल सेलेक्शन बोर्ड ऑफ कॉन्स्टेबल एवं अन्य बनाम राज कुमार एवं अन्य, 2017 (1) PLJR 599

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • अनिल कुमार बनाम राज्य बिहार एवं अन्य, 2013 (4) PLJR 1
  • सेंट्रल सेलेक्शन बोर्ड ऑफ कॉन्स्टेबल एवं अन्य बनाम राज कुमार एवं अन्य, 2017 (1) PLJR 599

मामले का शीर्षक

याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (नाम गोपनीय)

केस नंबर

CWJC No. 16836 of 2018

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 352

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह (दिनांक 05-04-2021)

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री कुमार मलेंदु
  • राज्य की ओर से: श्री मोहम्मद नदीम सिराज (GP-5), श्री मोहम्मद इक़बाल असीफ नियाज़ी (AC to GP-5)
  • केंद्रीय चयन बोर्ड (CSBC) की ओर से: श्री संजय पांडे, श्री बिनोद कुमार मिश्रा, श्री विवेक आनंद अमृतेश

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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