बिहार के शिक्षकों को प्रोन्नति की तिथि से 7वें वेतन आयोग का लाभ चुनने की अनुमति: पटना हाई कोर्ट का फैसला

बिहार के शिक्षकों को प्रोन्नति की तिथि से 7वें वेतन आयोग का लाभ चुनने की अनुमति: पटना हाई कोर्ट का फैसला

पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि वे शिक्षक जिन्हें 1 जनवरी 2016 के बाद प्रोन्नति मिली है, वे 7वें वेतन आयोग का लाभ अपनी प्रोन्नति की तिथि से लेने का विकल्प चुन सकते हैं। यह निर्णय ऐसे सैकड़ों शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है जिनकी वेतन निर्धारण में अनुचितता हुई थी।

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला बिहार सरकार के अधीन काम कर रहे कई माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों से जुड़ा था, जिन्हें 21 फरवरी 2017 को प्रोन्नति मिली थी। इन शिक्षकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया क्योंकि सरकार ने उन्हें 7वें वेतन आयोग के तहत वेतन पुनर्निर्धारण का विकल्प प्रोन्नति की तिथि से देने से इनकार कर दिया था।

सरकार का तर्क था कि सभी कर्मचारियों का वेतन 1 जनवरी 2016 से “नॉशनल” रूप से तय होना चाहिए, और वास्तविक भुगतान 1 अप्रैल 2017 से किया जाएगा। लेकिन शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने कभी भी 1 जनवरी 2016 से वेतन निर्धारण का विकल्प नहीं चुना था। उन्हें 21 फरवरी 2017 को प्रोन्नति मिली और वे जुलाई 2017 से अपने नए पद के अनुसार वेतन निर्धारण चाहते थे।

सरकार ने अपने आंतरिक पत्रों और लेखा विभाग के निर्देशों का हवाला देते हुए इस विकल्प को नकार दिया। लेकिन कोर्ट ने इस निर्णय को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा 24 मई 2017 को प्रकाशित गजट अधिसूचना ही मान्य होगी, जो एक वैधानिक आदेश है और इसमें स्पष्ट रूप से यह अधिकार दिया गया है कि प्रोन्नत कर्मी वेतन निर्धारण की तिथि का विकल्प चुन सकते हैं।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय बिहार सरकार के अधीन कार्यरत उन सभी कर्मचारियों के लिए राहतदायक है जो 1 जनवरी 2016 के बाद प्रोन्नत हुए और जिन्होंने सही समय पर विकल्प प्रस्तुत किया। यह स्पष्ट करता है कि गजट अधिसूचना के नियम वैधानिक होते हैं और विभागीय पत्र या आंतरिक आदेश इन पर हावी नहीं हो सकते।

इसके अलावा, यह फैसला राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को यह संदेश देता है कि कर्मचारियों के वित्तीय अधिकारों को केवल आंतरिक निर्देशों के आधार पर नहीं छीना जा सकता, बल्कि कानूनी अधिसूचनाओं के अनुसार ही फैसला लिया जाना चाहिए।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या शिक्षकों को प्रोन्नति की तिथि से 7वें वेतन आयोग का लाभ लेने का विकल्प मिल सकता है?
    • हाँ, कोर्ट ने माना कि यह अधिकार गजट अधिसूचना के तहत है।
  • क्या विभागीय आदेश गजट अधिसूचना को निरस्त कर सकते हैं?
    • नहीं, गजट अधिसूचना वैधानिक है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  • क्या 25 नवंबर 2020 का सरकारी आदेश वैध था?
    • नहीं, कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया।

मामले का शीर्षक

पंकज कुमार एवं अन्य बनाम राज्य बिहार एवं अन्य

केस नंबर

सिविल रिट न्याय क्षेत्र मामला संख्या 3520/2021

उद्धरण (Citation)- 2025 (1) PLJR 20

न्यायमूर्ति गण का नाम

Hon’ble श्री न्यायमूर्ति विवेक चौधरी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री प्रिया रंजन, अधिवक्ता
  • प्रतिवादी की ओर से: श्री ललित किशोर, महाधिवक्ता

निर्णय का लिंक-

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“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”


Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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