यह मामला पटना उच्च न्यायालय के सिविल रिट न्यायाधिकार क्षेत्र (CWJC) संख्या 3680/2020 से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता रविंद्र कुमार ने बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके स्थानांतरण आदेश को रद्द करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।
मामले की पृष्ठभूमि
- याचिकाकर्ता रविंद्र कुमार, जो कि एक फार्मासिस्ट हैं, को 26 जून 2019 को भोजपुर जिले के जगदीशपुर से दानापुर स्थानांतरित कर दिया गया था।
- यह स्थानांतरण क्षेत्रीय उप निदेशक (Regional Deputy Director – RDD) द्वारा किया गया था, जो स्वास्थ्य विभाग के तहत एक अधिकारी हैं।
- लेकिन 23 जनवरी 2020 को स्वास्थ्य सेवा निदेशक-इन-चीफ (Director-in-Chief, Health Services) द्वारा इस स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया गया।
- याचिकाकर्ता का दावा था कि यह रद्दीकरण गलत था, क्योंकि RDD को स्थानांतरण करने का अधिकार प्राप्त था।
अदालत में प्रस्तुत तर्क
याचिकाकर्ता (रविंद्र कुमार) का पक्ष:
- RDD को स्थानांतरण करने का अधिकार था –
- वर्ष 2006 में बिहार सरकार ने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) जारी किया था, जिसमें RDD को वर्ग-III (Class-III) कर्मचारियों का स्थानांतरण करने का अधिकार दिया गया था।
- याचिकाकर्ता एक फार्मासिस्ट (Class-III कर्मचारी) हैं, इसलिए RDD को उन्हें स्थानांतरित करने का पूरा अधिकार था।
- स्थानांतरण आदेश को बिना सुनवाई के रद्द किया गया –
- याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया गया और बिना कारण बताए स्थानांतरण रद्द कर दिया गया।
- निदेशक-इन-चीफ के पास स्थानांतरण रद्द करने का कोई अधिकार नहीं था –
- चूंकि स्थानांतरण RDD द्वारा किया गया था, इसलिए इसे रद्द करने का अधिकार केवल उसी अधिकारी के पास था।
राज्य सरकार (बिहार स्वास्थ्य विभाग) का पक्ष:
- 2014 के नियमों के अनुसार स्थानांतरण निदेशक-इन-चीफ का अधिकार है –
- बिहार सरकार ने बिहार फार्मासिस्ट संवर्ग नियम, 2014 (Bihar Pharmacist Cadre Rules, 2014) लागू किए थे।
- नियम 22 के अनुसार, फार्मासिस्ट का स्थानांतरण केवल निदेशक-इन-चीफ द्वारा किया जा सकता है।
- 2006 का कार्यकारी आदेश 2014 के नियमों के बाद अप्रभावी हो चुका है।
- RDD को स्थानांतरण करने का अधिकार नहीं था –
- याचिकाकर्ता का स्थानांतरण गलत तरीके से हुआ था क्योंकि RDD के पास स्थानांतरण का अधिकार नहीं था।
- स्थानांतरण आदेश का रद्दीकरण उचित था –
- निदेशक-इन-चीफ को अधिकार है कि वह गलत स्थानांतरण आदेश को रद्द कर सकते हैं।
अदालत का फैसला
- न्यायालय ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया।
- अदालत ने कहा कि 2014 के नियम केवल नियुक्ति (Appointment) के लिए हैं, न कि स्थानांतरण (Transfer) के लिए।
- 2014 के नियमों में स्थानांतरण का स्पष्ट प्रावधान नहीं था, इसलिए 2006 के कार्यकारी आदेश को रद्द नहीं किया जा सकता।
- न्यायालय ने निदेशक-इन-चीफ द्वारा 23 जनवरी 2020 को जारी स्थानांतरण रद्दीकरण आदेश को अवैध घोषित कर दिया।
- अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के 26 जून 2019 के स्थानांतरण को लागू किया जाए।
निष्कर्ष
यह मामला सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण अधिकारों और नियमों की व्याख्या से जुड़ा था। न्यायालय ने 2006 के कार्यकारी आदेश को सही ठहराया और याचिकाकर्ता के स्थानांतरण को बहाल करने का आदेश दिया। इस फैसले से स्पष्ट हुआ कि यदि नए नियमों में स्थानांतरण प्रक्रिया स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है, तो पुराने आदेश प्रभावी रहेंगे।
पूरा
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https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMzY4MCMyMDIwIzEjTg==-1RFXHXiWaTI=