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“मानव श्रृंखला में स्कूली बच्चों की भागीदारी: पटना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय”

 

विस्तृत सारांश:

पटना उच्च न्यायालय में दायर सिविल रिट याचिका संख्या 1032/2020 का विवरण

याचिकाकर्ता:
अखिल भारतीय विद्यार्थी फेडरेशन (बिहार राज्य परिषद)

  • अध्यक्ष: रंजीत पंडित (35 वर्ष)
  • पता: गाजीपुर गांव, देशहरी थाना, वैशाली जिला

प्रतिवादीगण:

  1. बिहार राज्य (मुख्य सचिव के माध्यम से)
  2. मुख्य सचिव, बिहार सरकार
  3. पुलिस महानिदेशक, बिहार सरकार
  4. प्रधान सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग
  5. अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग

विवाद का विषय:

  1. मानव श्रृंखला का आयोजन:
  • दिनांक: 19 जनवरी 2020
  • समय: सुबह 11:30 से दोपहर 12:00 बजे तक
  • विषय: जल-जीवन-हरियाली, नशामुक्ति, बाल विवाह निषेध, दहेज निषेध
  1. विवादित आदेश:
  • ज्ञापन संख्या 2871 दिनांक 03.12.2019
  • कक्षा 5 से ऊपर के छात्रों और शिक्षकों की भागीदारी का निर्देश

याचिकाकर्ता के मुख्य तर्क:

  1. कानूनी विरोधाभास:
  • पूर्व न्यायिक आदेशों का उल्लंघन
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 27 का उल्लंघन
  • मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन
  1. व्यावहारिक आपत्तियां:
  • बच्चों का शोषण
  • राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग
  • सार्वजनिक धन का दुरुपयोग

सरकार का पक्ष:

  1. कार्यक्रम का उद्देश्य:
  • सामाजिक जागरूकता फैलाना
  • पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना
  • सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता
  1. व्यवस्थाएं:
  • स्वैच्छिक भागीदारी
  • केवल कक्षा 5 और उससे ऊपर के छात्र
  • सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाएं
  • यातायात प्रबंधन

न्यायालय का विश्लेषण:

  1. शैक्षणिक पहलू:
  • बच्चे सर्वश्रेष्ठ राजदूत हो सकते हैं
  • कक्षा की चार दीवारों से परे शिक्षा
  • सामाजिक मुद्दों पर संवेदनशीलता
  1. कानूनी पहलू:
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम में कोई प्रतिबंध नहीं
  • पूर्व न्यायिक निर्णयों का कोई उल्लंघन नहीं
  • मौलिक कर्तव्यों का प्रचार-प्रसार

न्यायालय का निर्णय:

  1. मुख्य निष्कर्ष:
  • याचिका खारिज
  • कार्यक्रम को वैध माना
  • बच्चों की भागीदारी उचित
  1. महत्वपूर्ण टिप्पणियां:
  • पर्यावरण संरक्षण महत्वपूर्ण
  • सामाजिक एकता का प्रोत्साहन
  • शिक्षा का व्यापक दृष्टिकोण

निर्णय का महत्व:

  1. शैक्षणिक दृष्टिकोण:
  • शिक्षा का विस्तृत अर्थ
  • व्यावहारिक अनुभव का महत्व
  • सामाजिक जागरूकता का प्रसार
  1. सामाजिक प्रभाव:
  • युवा पीढ़ी का सशक्तिकरण
  • सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता
  • पर्यावरण संरक्षण का संदेश
  1. प्रशासनिक मार्गदर्शन:
  • सुरक्षा मानकों का महत्व
  • स्वैच्छिक भागीदारी का सिद्धांत
  • समुचित व्यवस्था की आवश्यकता

यह निर्णय शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है, जहां बच्चों को सामाजिक परिवर्तन के वाहक के रूप में देखा जाता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब तक उचित सुरक्षा और स्वैच्छिक भागीदारी सुनिश्चित हो, तब तक ऐसे सामाजिक कार्यक्रमों में बच्चों की भागीदारी न केवल वैध है बल्कि वांछनीय भी है।

पूरा
फैसला पढ़ने के लिए यहां
क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTAzMiMyMDIwIzEjTg==-Vta3MNaZVX8=

 

Abhishek Kumar

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