यह मामला प्रभा इलेक्ट्रो कास्टिंग्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, जो एक औद्योगिक इकाई है और बिहार के रक्सौल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है। कंपनी के निदेशक बिनोद कुमार सर्राफ ने बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) द्वारा उनकी जमीन का आवंटन रद्द किए जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की थी।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता को वर्ष 1992 में BIADA द्वारा रक्सौल औद्योगिक क्षेत्र में 2.27 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। लेकिन कंपनी को लगातार बिजली आपूर्ति में बाधा के कारण भारी नुकसान हुआ और कुछ वर्षों में इसका संचालन बंद हो गया। इस दौरान बिहार राज्य विद्युत बोर्ड (BSEB) से विद्युत बकाया को लेकर एक प्रमाणपत्र मामला (Certificate Case No. 04/Electricity/2002-03) दर्ज हुआ।
2012 में BIADA ने याचिकाकर्ता को उत्पादन शुरू करने के निर्देश दिए, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी। 2018 में कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता बकाया राशि जमा कर BIADA से अनुमति ले सकता है। इसके बाद BIADA ने 2019 में याचिकाकर्ता को तीन महीने का समय दिया कि वह उत्पादन शुरू करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
2020 में BIADA ने उनकी जमीन का आवंटन रद्द कर दिया, जिसके खिलाफ यह याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता की दलीलें
- बिजली की अनियमितता और सरकारी बाधाओं के कारण उत्पादन शुरू नहीं हो सका।
- BIADA ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना भूमि आवंटन रद्द कर दिया।
- याचिकाकर्ता को भूमि पर कब्ज़ा बनाए रखने और उत्पादन शुरू करने के लिए समय दिया जाए।
BIADA और बिहार सरकार की दलीलें
- याचिकाकर्ता ने 1992 में आवंटित जमीन का उपयोग नहीं किया, जिससे यह औद्योगिक क्षेत्र में बेकार पड़ी रही।
- BIADA ने कई बार नोटिस देकर जमीन पर औद्योगिक गतिविधि शुरू करने को कहा, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
- 2019 में भी याचिकाकर्ता को 3 महीने का समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने कोई काम नहीं किया।
- कई अन्य इच्छुक उद्योगपति जमीन चाहते थे, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे सिर्फ कब्जे में रखा।
न्यायालय का निर्णय
- याचिकाकर्ता को 2018 में ही कोर्ट ने स्पष्ट रूप से समयसीमा दी थी, लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया।
- 2019 में BIADA ने फिर से तीन महीने का समय दिया, जिसका याचिकाकर्ता ने कोई लाभ नहीं उठाया।
- याचिकाकर्ता की फैक्ट्री 19 साल से बंद पड़ी थी, और इसमें कोई औद्योगिक गतिविधि नहीं हुई थी।
- याचिकाकर्ता ने अदालत के आदेशों को बार-बार टाला और अपने हक को बरकरार रखने के लिए नई दलीलें पेश करता रहा।
- कोर्ट ने माना कि BIADA के पास यह अधिकार था कि वह जमीन किसी अन्य उद्योगपति को आवंटित करे।
- याचिका में कोई कानूनी आधार नहीं था, इसलिए इसे खारिज कर दिया गया।
इस केस से मिलने वाली सीख
- सरकारी भूमि पर कब्जा बनाए रखने के लिए बिना उपयोग के कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता।
- अगर कोर्ट किसी याचिकाकर्ता को समयसीमा देता है, तो उसका पालन करना जरूरी होता है।
- औद्योगिक क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विकास है, न कि व्यक्तिगत भूमि कब्जा बनाए रखना।
- सरकारी संस्थानों की नीतियों का पालन न करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
निष्कर्ष: इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिना किसी वैध कारण के औद्योगिक भूमि पर वर्षों तक कब्ज़ा बनाए रखना न केवल औद्योगिक नीति के खिलाफ है, बल्कि इससे अन्य इच्छुक उद्योगपतियों को भी नुकसान होता है। इसलिए, अदालत ने याचिका को खारिज कर BIADA के फैसले को बरकरार रखा।
पूरा फैसला
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https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjOTY0NyMyMDIwIzEjTg==-r–am1–Znr81dx4g=