"स्थानांतरण विवाद में वेतन रोकना अनुचित – हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई"

“स्थानांतरण विवाद में वेतन रोकना अनुचित – हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई”

 

भूमिका:

यह मामला सिविल रिट न्यायालयिक याचिका संख्या 9669/2020 से संबंधित है, जिसे रवि कुमार (याचिकाकर्ता) द्वारा पटना उच्च न्यायालय में दायर किया गया था। याचिका में बिहार राज्य जल परिषद (BUIDCO) और शहरी विकास एवं आवास विभाग, बिहार सरकार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी।

याचिकाकर्ता, जो एक चतुर्थ श्रेणी (Class-IV) कर्मचारी हैं, ने आरोप लगाया कि फरवरी 2020 से जनवरी 2021 तक उनका वेतन रोक दिया गया था, जिसके कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।

मामले की मुख्य बातें:

  1. सरकारी कर्मचारी रवि कुमार का वेतन फरवरी 2020 से जनवरी 2021 तक नहीं दिया गया।
  2. कोविड-19 महामारी के दौरान वेतन रोका गया, जिससे याचिकाकर्ता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
  3. बिहार सरकार ने तर्क दिया कि कर्मचारी ने स्थानांतरण (Transfer) आदेश का पालन नहीं किया।
  4. पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि वेतन रोकना अनुचित था और सरकार को याचिकाकर्ता को ₹25,000 हर्जाना देना होगा।

मामले की विस्तृत समीक्षा

1. याचिकाकर्ता की माँग:

याचिकाकर्ता रवि कुमार ने उच्च न्यायालय से निम्नलिखित राहत माँगी थी:

  • उनका बकाया वेतन फरवरी 2020 से जनवरी 2021 तक तुरंत भुगतान किया जाए।
  • स्थानांतरण आदेश (Transfer Order) के अनुसार उन्हें रिलीविंग लेटर (Relieving Letter) दिया जाए, ताकि वे अपनी नई पोस्टिंग पर जॉइन कर सकें।
  • उन्हें अन्य उचित कानूनी राहतें प्रदान की जाएं।

2. बिहार सरकार का पक्ष:

राज्य सरकार और संबंधित विभागों (BUIDCO) ने दलील दी कि:

  • याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं किया, इसलिए उनका वेतन रोका गया।
  • चूंकि उन्होंने नई पोस्टिंग पर जॉइन नहीं किया, इसलिए विभाग ने कार्रवाई की।

3. पटना उच्च न्यायालय का अवलोकन:

  1. याचिकाकर्ता को स्थानांतरण आदेश के उल्लंघन के लिए दंडित किया जा सकता था, लेकिन वेतन रोकना अवैध है।
  2. अगर कोई कर्मचारी स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं करता, तो विभाग को उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए थी, न कि वेतन रोकना चाहिए था।
  3. सरकार बिना किसी वैध कारण के वेतन नहीं रोक सकती, खासकर कोविड-19 जैसी कठिन परिस्थिति में।
  4. याचिकाकर्ता को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ी, इसलिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए।

अदालत का निर्णय

1. वेतन रोकने को अवैध करार दिया गया:

  • न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्थानांतरण आदेश का उल्लंघन और वेतन रोकना दो अलग-अलग विषय हैं।
  • यदि याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं किया, तो विभाग को शासनिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए थी, न कि वेतन रोकना चाहिए था।

2. बिहार सरकार को ₹25,000 मुआवजा देने का आदेश:

  • न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को तीन महीने के भीतर ₹25,000 का मुआवजा दे।
  • अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अनावश्यक रूप से न्यायालय आना पड़ा, इसलिए उन्हें कानूनी खर्चों के लिए यह राशि दी जानी चाहिए।

3. वेतन पहले ही चुका दिया गया था, इसलिए याचिका निस्तारित की गई:

  • याचिकाकर्ता का वेतन अक्टूबर 2020 और अक्टूबर 2021 के बीच चुका दिया गया था।
  • इसलिए अदालत ने यह मामला निस्तारित (Disposed) कर दिया।

इस फैसले का व्यापक महत्व

1. सरकारी कर्मचारियों के वेतन संरक्षण का अधिकार:

  • यह फैसला स्पष्ट करता है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी का वेतन बिना ठोस कारण के नहीं रोका जा सकता।
  • यदि कोई कर्मचारी स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं करता, तो सरकार को अनुशासनात्मक प्रक्रिया अपनानी चाहिए, न कि वेतन रोकना चाहिए।

2. कोविड-19 के दौरान सरकारी नीतियों पर सवाल:

  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 जैसी आपदा के समय में सरकार को कर्मचारियों के अधिकारों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • महामारी के दौरान वेतन रोकना असंवेदनशील (Insensitive) और गैर-कानूनी था।

3. सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही:

  • यह निर्णय सरकारी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में कार्य करेगा कि वे किसी भी कर्मचारी के साथ अनुचित व्यवहार न करें।
  • वेतन न देने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में प्रशासन को अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।

4. अन्य कर्मचारियों के लिए मार्गदर्शक फैसला:

  • यह फैसला अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए एक कानूनी मिसाल (Legal Precedent) बनेगा।
  • यदि भविष्य में किसी कर्मचारी का वेतन बिना कारण रोका जाता है, तो वे इस फैसले का हवाला देकर न्यायालय में अपनी याचिका दायर कर सकते हैं।

निष्कर्ष

यह मामला सरकारी कर्मचारियों के वेतन अधिकार और प्रशासनिक पारदर्शिता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला है। पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी कर्मचारी का वेतन बिना ठोस कारण के नहीं रोक सकती, खासकर कोविड-19 जैसी आपदा के दौरान।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि:
स्थानांतरण आदेश का पालन न करने पर वेतन रोकना गैर-कानूनी है।
सरकार को अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए थी, न कि वेतन रोकना चाहिए था।
कोविड-19 जैसी आपदा के समय कर्मचारियों के अधिकारों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सरकारी कर्मचारियों को वेतन से संबंधित अन्याय के खिलाफ न्यायालय में जाने का अधिकार है।
याचिकाकर्ता को ₹25,000 का मुआवजा दिया जाएगा, ताकि उनके कानूनी खर्चों की भरपाई हो सके।

यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के वेतन अधिकार की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा।

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjOTY2OSMyMDIwIzEjTg==-HA8Mo6gsqAY=

Abhishek Kumar

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