"समान अंक, अलग चयन: सरकारी भर्ती प्रक्रिया पर न्यायिक टिप्पणी"

“समान अंक, अलग चयन: सरकारी भर्ती प्रक्रिया पर न्यायिक टिप्पणी”

यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दायर एक सिविल रिट याचिका (संख्या 21075/2019) से संबंधित है, जिसे रघवेंद्र कुमार ने दायर किया था। इस याचिका में बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा असिस्टेंट पर्सनेल ऑफिसर के पद पर नियुक्ति में हुई अनियमितताओं को चुनौती दी गई थी।

मामले की पृष्ठभूमि

रघवेंद्र कुमार, जो बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड में अकाउंट असिस्टेंट के रूप में कार्यरत थे, ने वर्ष 2018 में प्रकाशित एक आंतरिक भर्ती विज्ञापन (नोटिस संख्या 10/2018) के तहत असिस्टेंट पर्सनेल ऑफिसर के पद के लिए आवेदन किया था। इस भर्ती प्रक्रिया के तहत उन्हें परीक्षा में आवश्यक कट-ऑफ अंक प्राप्त होने के बावजूद अंतिम चयन सूची में शामिल नहीं किया गया।

मुख्य विवाद के बिंदु

  1. उम्र के आधार पर अस्वीकृति – याचिकाकर्ता का दावा था कि उन्होंने परीक्षा में कट-ऑफ अंक प्राप्त किए थे, लेकिन उनके समान अंक प्राप्त करने वाले एक अन्य उम्मीदवार (राजीव कुमार) को केवल इस आधार पर प्राथमिकता दी गई कि वह उम्र में वरिष्ठ (सीनियर) थे।

  2. सेवा अवधि की पात्रता में बदलाव – मूल विज्ञापन में भर्ती के लिए पात्रता के रूप में न्यूनतम पाँच वर्ष की सेवा आवश्यक थी, लेकिन बाद में एक संशोधन (30 अक्टूबर 2018) के माध्यम से इसे तीन वर्ष कर दिया गया। याचिकाकर्ता का आरोप था कि यह बदलाव विशेष रूप से एक निजी उत्तरदाता (चिन्मयी) को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।

  3. मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) का अभाव – याचिकाकर्ता ने दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया में केवल चयन सूची (सेलेक्शन लिस्ट) तैयार की गई, जबकि नियम 2015 के अनुसार पहले एक मेधा सूची तैयार किया जाना अनिवार्य था। इससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव दिखता है।

प्रतिवादी पक्ष की दलीलें

बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड की ओर से तर्क दिया गया कि:

  • भर्ती प्रक्रिया नियमों के अनुरूप थी।
  • यदि दो उम्मीदवारों को समान अंक प्राप्त होते हैं, तो उम्र को प्राथमिकता देना एक स्थापित सिद्धांत है।
  • सेवा अवधि पात्रता में बदलाव कंपनी के अधिकार क्षेत्र में था और यह नियमों के तहत किया गया।

न्यायालय का निर्णय

न्यायालय ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले:

  1. नियमों में बदलाव पर टिप्पणी – अदालत ने माना कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान पात्रता मानदंड में बदलाव (पाँच वर्ष से तीन वर्ष) किया गया, जिससे भर्ती प्रक्रिया पर संदेह उत्पन्न होता है। लेकिन चूंकि याचिकाकर्ता ने इस बदलाव को चुनौती दिए बिना चयन प्रक्रिया में भाग लिया था, इसलिए अब इसे लेकर शिकायत नहीं कर सकते।

  2. उम्र के आधार पर चयन का औचित्य – न्यायालय ने पाया कि न तो मूल विज्ञापन और न ही नियम 2015 में यह स्पष्ट प्रावधान था कि समान अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों में वरिष्ठता का निर्धारण उम्र के आधार पर किया जाएगा। इस कारण केवल उम्र के आधार पर चयन को न्यायोचित नहीं माना गया।

  3. नियुक्ति पर पुनर्विचार का निर्देश – न्यायालय ने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड को निर्देश दिया कि यदि पद अभी भी रिक्त हैं, तो याचिकाकर्ता की नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाए और उचित निर्णय छह सप्ताह के भीतर लिया जाए।

निष्कर्ष

यह मामला सरकारी भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता, नियमों के पालन और निष्पक्ष चयन के महत्व को उजागर करता है। न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया में हुई संभावित अनियमितताओं को स्वीकार किया, लेकिन चूंकि याचिकाकर्ता ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया था, इसलिए उन्हें पूरी प्रक्रिया को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी गई। फिर भी, न्यायालय ने उनकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया कि यदि पद रिक्त हैं, तो उनकी नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाए।

पूरा
फैसला पढ़ने के लिए यहां
क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMjEwNzUjMjAxOSMxI04=-ec0rR5Jojgg=

 

Abhishek Kumar

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