यह मामला राजीव कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता ने पटना उच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका (Civil Review Petition) दायर की थी। यह पुनर्विचार याचिका पहले से निर्णय लिए गए दो मामलों सुरेश राम बनाम बिहार राज्य और सुनीता कुमारी बनाम बिहार राज्य के संदर्भ में दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चूंकि वह इन मामलों का पक्षकार नहीं था, इसलिए उसका पक्ष सुना नहीं गया।
मामले की पृष्ठभूमि
राजीव कुमार सिंह बिहार राज्य के एक शिक्षक हैं और उन्होंने यह याचिका इसलिए दायर की क्योंकि उनकी मूल रिट याचिका (CWJC No. 5489/2020) को सुरेश राम केस के आधार पर खारिज कर दिया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि वह सुरेश राम या सुनीता कुमारी मामलों के पक्षकार नहीं थे, इसलिए उनके मामले को अलग से सुना जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार राज्य शिक्षण संस्थानों के शिक्षक एवं कर्मचारी (विवाद निवारण और अपील) नियम, 2020 को 2011 के नियमों के तहत नियुक्त शिक्षकों पर भी लागू कर दिया, जो कि कानूनी रूप से गलत था। उनका कहना था कि सरकारी स्कूलों के नियमित शिक्षक और पंचायत-नगर निकायों के शिक्षक अलग-अलग नियमों के तहत नियुक्त होते हैं, और उनकी सेवा शर्तें भी अलग होती हैं। इसलिए, दोनों को एक समान अपीलीय प्राधिकरण के अधीन रखना अनुचित होगा।
याचिकाकर्ता के मुख्य तर्क
-
अलग-अलग प्रकार के शिक्षकों का भिन्न सेवा कानून होता है –
- पंचायत और नगर निकायों द्वारा नियुक्त शिक्षक अलग नियमों से संचालित होते हैं।
- राष्ट्रीयकृत स्कूलों के शिक्षक भी अलग श्रेणी में आते हैं।
- 2011 के नियमों के तहत नियुक्त शिक्षक पूरी तरह से अलग प्रक्रिया से गुजरते हैं।
-
2020 के नियमों का विस्तार अनुचित –
- 2020 के नियम केवल पंचायत, ज़िला परिषद और नगर निकायों में कार्यरत शिक्षकों पर लागू होते हैं।
- नियमित रूप से नियुक्त सरकारी शिक्षकों पर यह नियम लागू नहीं होना चाहिए।
-
अपील के लिए उचित मंच –
- पंचायत शिक्षकों के लिए जिला अपीलीय प्राधिकरण होता है।
- नियमित शिक्षकों के लिए क्षेत्रीय उप निदेशक (Regional Deputy Director) और शिक्षा निदेशक (Director of Education) अपील के लिए सही मंच हैं।
- इसलिए, सभी शिक्षकों के लिए एक ही अपीलीय प्राधिकरण को लागू करना गलत है।
राज्य सरकार (BIHAR GOVERNMENT) का पक्ष
-
सभी शिक्षकों के लिए विवाद निवारण मंच समान होना चाहिए –
- सरकार का तर्क था कि चाहे शिक्षक किसी भी प्रकार के स्कूल में कार्यरत हों, उनकी शिकायतों को हल करने के लिए एक ही विवाद निवारण प्रणाली होनी चाहिए।
-
2020 के नियम व्यापक रूप से लागू होते हैं –
- सरकार ने कहा कि 2020 के नियमों में स्पष्ट रूप से सभी प्रकार के शिक्षकों को शामिल किया गया है, चाहे वे सरकारी स्कूलों में हों, राष्ट्रीयकृत स्कूलों में हों, या फिर पंचायत/नगर निकायों द्वारा नियुक्त किए गए हों।
-
पुराने नियमों का स्थान 2020 के नियमों ने लिया है –
- पहले 2015 के नियम लागू थे, जो केवल पंचायत शिक्षकों पर लागू होते थे।
- लेकिन 2020 के नियम आने के बाद सभी शिक्षकों को एक समान नियमों के तहत लाया गया ताकि उनकी शिकायतों को अधिक प्रभावी ढंग से हल किया जा सके।
न्यायालय का निर्णय
-
पुनर्विचार याचिका स्वीकार करने योग्य थी –
- चूंकि याचिकाकर्ता पहले के मामलों में पक्षकार नहीं था, इसलिए उसे पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार था।
-
लेकिन पुनर्विचार याचिका को खारिज किया गया –
- कोर्ट ने कहा कि 2020 के नियम पूरी तरह से सभी शिक्षकों पर लागू होते हैं और इस फैसले में कोई कानूनी त्रुटि नहीं थी।
- इसलिए इस मुद्दे पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है।
-
सभी शिक्षक 2020 के नियमों के दायरे में आते हैं –
- अदालत ने स्पष्ट किया कि नियमों की परिभाषा व्यापक है और यह सभी शिक्षकों को कवर करती है।
- इसका मतलब है कि सभी शिक्षकों को अब “जिला अपीलीय प्राधिकरण” और “राज्य अपीलीय प्राधिकरण” के तहत अपील करनी होगी।
इस फैसले का प्रभाव
- सरकारी स्कूलों, राष्ट्रीयकृत स्कूलों, पंचायतों और नगर निकायों के शिक्षकों की शिकायतों के लिए अब एक समान मंच होगा।
- अब सभी शिक्षकों को अपनी समस्याओं के लिए “जिला अपीलीय प्राधिकरण” और “राज्य अपीलीय प्राधिकरण” के समक्ष अपील करनी होगी।
- अलग-अलग श्रेणियों के शिक्षकों के लिए अलग नियमों की मांग खारिज कर दी गई है।
निष्कर्ष
पटना उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि 2020 के विवाद निवारण नियम सभी प्रकार के शिक्षकों पर लागू होंगे, चाहे उनकी नियुक्ति किसी भी प्रक्रिया से हुई हो। अदालत ने याचिकाकर्ता की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और सरकार के फैसले को सही ठहराया। इस फैसले से बिहार के सभी शिक्षकों को समान अधिकार और अपील का मंच प्राप्त होगा, जिससे शिक्षा क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता और न्याय की संभावना बढ़ेगी।
पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTEjMzcjMjAyMiMxI04=-SzZ–am1–nIB–am1–73c=