"बिहार लोक सेवा आयोग भर्ती विवाद: पटना हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला"

“बिहार लोक सेवा आयोग भर्ती विवाद: पटना हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला”

यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दायर किया गया था, जिसमें याचिकाकर्ता डॉ. तेज नारायण राज ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के एक निर्णय को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन BPSC ने उनकी उम्मीदवारी यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनकी सीनियर रेजिडेंसी की अवधि तीन वर्षों से कम थी और मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से नहीं थी।

मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि

डॉ. तेज नारायण राज एक योग्य डॉक्टर हैं, जिन्होंने MBBS और MD की डिग्री प्राप्त की है और 2000 से बिहार सरकार में मेडिकल अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। 2011 में उन्हें वर्धमान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (VIMS), पावापुरी, नालंदा में सीनियर रेजिडेंट के रूप में नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 17 मई 2011 से 15 अगस्त 2015 तक काम किया।

BPSC ने 2017 में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए विज्ञापन (नंबर 15/2017) जारी किया, जिसमें यह शर्त रखी गई कि आवेदकों को तीन वर्षों का सीनियर रेजिडेंसी अनुभव मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने आवेदन किया, लेकिन BPSC ने उनकी उम्मीदवारी यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनका अनुभव आवश्यक योग्यता मानदंडों को पूरा नहीं करता।

याचिकाकर्ता के तर्क

याचिकाकर्ता का दावा था कि:

  1. उन्होंने सीनियर रेजिडेंसी का कार्यकाल पूरा किया है और चार वर्षों का अनुभव रखते हैं।
  2. उन्हें बिहार सरकार द्वारा VIMS, पावापुरी में नियुक्त किया गया था, इसलिए यह उनका दोष नहीं कि उस समय संस्थान MCI द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं था।
  3. स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव ने BPSC को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि याचिकाकर्ता के अनुभव को मान्य माना जाए।

प्रतिवादी (BPSC) के तर्क

BPSC ने कहा कि:

  1. विज्ञापन में स्पष्ट रूप से तीन वर्षों के अनुभव की शर्त रखी गई थी, जो MCI द्वारा मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से होना आवश्यक था।
  2. VIMS, पावापुरी को MCI ने 2 जुलाई 2013 में मान्यता दी थी, इसलिए याचिकाकर्ता का अनुभव केवल 2 जुलाई 2013 से 15 अगस्त 2015 तक ही वैध माना जा सकता है, जो तीन वर्षों से कम है।
  3. पटना उच्च न्यायालय के एक अन्य फैसले (CWJC No. 7297/2017) में भी यह तय हुआ था कि राज्य सरकार न्यूनतम योग्यता से अधिक कठोर मानदंड लागू कर सकती है।

न्यायालय का निर्णय

न्यायालय ने BPSC के पक्ष में फैसला दिया और कहा कि:

  1. BPSC के नियमों और विज्ञापन की शर्तों के अनुसार, सीनियर रेजिडेंसी का अनुभव तभी वैध होगा जब वह MCI द्वारा मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से हो।
  2. याचिकाकर्ता का अनुभव केवल 2 जुलाई 2013 के बाद ही गिना जा सकता है, जो तीन वर्षों से कम है।
  3. इसलिए, याचिकाकर्ता पात्र नहीं थे और उनकी याचिका खारिज की जाती है।

निष्कर्ष

इस फैसले से स्पष्ट होता है कि किसी पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक और अनुभव संबंधी योग्यताओं का कड़ाई से पालन किया जाता है। यदि कोई संस्थान नियुक्ति के समय मान्यता प्राप्त नहीं था, तो वहां की सेवा को वैध अनुभव नहीं माना जाएगा। न्यायालय ने इस मामले में सरकारी भर्ती नियमों को सर्वोपरि रखा और याचिकाकर्ता की मांग को खारिज कर दिया।

पूरा
फैसला पढ़ने के लिए यहां
क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNjA0IzIwMTgjMSNO-lmuGsG1zNg0=

 

 

Abhishek Kumar

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