"न्याय की जीत: पटना हाईकोर्ट ने योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा की"

“न्याय की जीत: पटना हाईकोर्ट ने योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा की”

 

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला पटना उच्च न्यायालय में सिविल रिट याचिका संख्या 3521/2022 से संबंधित है, जिसे अमन कुमार (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर किया गया था। मामला बिहार के पूर्णिया जिले में आयोजित शिक्षक भर्ती काउंसलिंग से जुड़ा हुआ था, जिसे त्रुटियों और अनियमितताओं के चलते रद्द कर दिया गया था

याचिकाकर्ता का दावा था कि उन्होंने वैध रूप से काउंसलिंग में भाग लिया था और उन्हें नियुक्ति मिलनी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन ने संपूर्ण प्रक्रिया को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया, जिससे वह अपने अधिकार से वंचित हो गए।


याचिकाकर्ता की मुख्य मांगें

अमन कुमार ने न्यायालय से निम्नलिखित राहत की मांग की:

  1. 25 जनवरी 2022 को जारी आदेश को रद्द किया जाए, जिसमें पूर्णिया जिले की 52 रोजगार इकाइयों की काउंसलिंग रद्द कर दी गई थी
  2. पहले हुए काउंसलिंग के आधार पर नियुक्ति दी जाए, क्योंकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी।
  3. पुनः आयोजित काउंसलिंग में भाग लेने का पूरा अवसर दिया जाए

सरकारी पक्ष का तर्क

बिहार सरकार के वकील ने न्यायालय में निम्नलिखित दलीलें दीं:

  • काउंसलिंग प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं थीं, जिसके कारण इसे रद्द करना आवश्यक था।
  • कम मेरिट वाले उम्मीदवारों को सामान्य कोटे में रखा गया था, जबकि उच्च मेरिट वाले उम्मीदवारों को पिछड़े वर्ग (EBC) में डाल दिया गया था
  • कई जगहों पर पहले EBC उम्मीदवारों की काउंसलिंग हुई और बाद में सामान्य वर्ग की, जिससे उच्च मेरिट वाले उम्मीदवारों का नुकसान हुआ
  • जांच समिति ने पाया कि कई नियुक्तियाँ गलत तरीके से की गई थीं, इसलिए पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया।

न्यायालय की टिप्पणियां और फैसला

  1. काउंसलिंग में गंभीर गड़बड़ियाँ थीं:

    • न्यायालय ने तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट का अध्ययन किया और पाया कि पूरा चयन दोषपूर्ण था
    • कम मेरिट वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई थी, जिससे योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ
  2. सरकार का निर्णय न्यायसंगत था:

    • न्यायालय ने कहा कि यदि चयन प्रक्रिया दोषपूर्ण पाई जाती है, तो सरकार इसे रद्द कर सकती है
    • नियुक्ति के बाद भी, अगर चयन अवैध पाया जाता है, तो सरकार उसे निरस्त कर सकती है
  3. याचिकाकर्ता को पुनः काउंसलिंग में शामिल होने का अवसर मिला:

    • याचिकाकर्ता का यह दावा कि उन्हें पुनः काउंसलिंग में भाग लेने का मौका नहीं मिला, गलत पाया गया।
    • न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से कोई लिखित शिकायत भी नहीं दी गई थी कि उन्हें काउंसलिंग में भाग लेने से रोका गया
  4. नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने का आदेश:

    • न्यायालय ने सरकार के निर्णय को सही ठहराया और याचिका को खारिज कर दिया
    • यह भी स्पष्ट किया कि सरकार के पास परीक्षा या चयन प्रक्रिया को रद्द करने का पूरा अधिकार है, यदि उसमें अनियमितताएँ पाई जाती हैं

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि नियुक्तियों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार के पास चयन प्रक्रिया रद्द करने का अधिकार है। इनमें शामिल हैं:

  • Union of India Vs. Rajesh P.U. Puthuvalnikathu (2003) 7 SCC 285
  • Commissioner of Income Tax-III Vs. Calcutta Knitwears, Ludhiana (2014) 6 SCC 644
  • Gohil Vishvaraj Hanubhai Vs. State of Gujarat (2017) 13 SCC 621
  • Sachin Kumar Vs. Delhi Subordinate Service Selection Board (2021) 4 SCC 631

इन फैसलों में कहा गया कि यदि चयन प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण हो, तो उसे रद्द किया जा सकता है, भले ही उम्मीदवार पहले से चयनित हो चुके हों


इस फैसले का प्रभाव

सरकारी चयन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता:

  • यह फैसला सुनिश्चित करता है कि यदि किसी भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई जाती है, तो सरकार उसे रद्द कर सकती है

गलत चयन को रोका जा सकेगा:

  • यह सुनिश्चित करेगा कि योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय न हो और चयन प्रक्रिया निष्पक्ष हो

सरकारी नियुक्तियों में कड़ा नियंत्रण:

  • यह फैसला सरकारी विभागों को नियुक्तियों में अधिक पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगा।

उम्मीदवारों के लिए सीख:

  • यदि किसी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता हो, तो उम्मीदवारों को न्याय पाने के लिए पुनः आवेदन करने का अवसर दिया जाएगा

निष्कर्ष

पटना उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता पाई जाती है, तो सरकार के पास उसे रद्द करने का अधिकार है

याचिकाकर्ता की नियुक्ति इस आधार पर निरस्त की गई कि पूरी प्रक्रिया ही त्रुटिपूर्ण थी। इस फैसले ने यह सुनिश्चित किया कि न्याय केवल चयनित उम्मीदवारों के लिए नहीं, बल्कि उन योग्य उम्मीदवारों के लिए भी हो, जिन्हें पहले अन्यायपूर्वक बाहर कर दिया गया था

यह निर्णय भविष्य में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। 

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMzUyMSMyMDIyIzEjTg==-U6Rsea5LYhA=

 

Abhishek Kumar

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