"शिक्षा में न्याय: पटना हाईकोर्ट ने स्कूलों को दिया उचित सुनवाई का अधिकार"

“शिक्षा में न्याय: पटना हाईकोर्ट ने स्कूलों को दिया उचित सुनवाई का अधिकार”

 

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दायर लेटर पेटेंट अपील (LPA) संख्या 387/2019 से संबंधित है, जिसे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा दाखिल किया गया था। मामला जगधर राय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बखरी बरारी, राजापाकर, वैशाली की संबद्धता (Affiliation) से जुड़ा था।

याचिकाकर्ता विद्यालय ने इंटरमीडिएट साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स के लिए वर्ष 2017-19 से संबद्धता की मांग की थी। हालांकि, पहले से की गई एक अनुशंसा (Recommendation) के बावजूद बिहार बोर्ड ने संबद्धता को रद्द कर दिया। इस फैसले के खिलाफ स्कूल ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें एकल पीठ (Single Bench) ने स्कूल के पक्ष में निर्णय दिया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए बिहार बोर्ड ने यह अपील दायर की थी।


मामले की मुख्य बातें

  1. स्कूल की मांग:

    • स्कूल ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से इंटरमीडिएट स्तर पर विज्ञान, कला और वाणिज्य (Commerce) की पढ़ाई के लिए संबद्धता मांगी
    • स्कूल का दावा था कि बोर्ड की संबद्धता समिति (Affiliation Committee) की रिपोर्ट उनके पक्ष में थी, लेकिन बोर्ड ने फिर भी संबद्धता नहीं दी।
    • स्कूल का यह भी आरोप था कि बिना उचित कारण बताए उनकी संबद्धता रद्द कर दी गई
  2. बिहार बोर्ड का पक्ष:

    • बिहार बोर्ड ने तर्क दिया कि कई स्कूलों को गलत तरीके से संबद्धता दी गई थी, इसलिए नए सिरे से निरीक्षण किया गया।
    • बोर्ड के अनुसार, कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी थी, जिसके कारण उनकी संबद्धता रद्द कर दी गई।
    • बोर्ड की नई निरीक्षण समिति ने बताया कि कई स्कूलों में उचित इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था, इसलिए संबद्धता प्रक्रिया पर रोक लगाई गई।
    • बोर्ड ने यह भी कहा कि राज्य में एक फर्जी टॉपर घोटाले के कारण शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया था, जिसके चलते कड़े कदम उठाने पड़े।

न्यायालय में सुनवाई और मुख्य तर्क

  1. पहली सुनवाई (Single Bench का फैसला, 2018)

    • पटना उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने फैसला दिया कि अगर संबद्धता समिति किसी स्कूल के पक्ष में सिफारिश करती है, तो बोर्ड के पास उसे अस्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं
    • अदालत ने कहा कि बोर्ड को संबद्धता प्रदान करनी चाहिए थी, क्योंकि समिति की रिपोर्ट स्कूल के पक्ष में थी
  2. बिहार बोर्ड की अपील (Letters Patent Appeal, 2019)

    • इस फैसले के खिलाफ बिहार बोर्ड ने उच्च न्यायालय में अपील की।
    • बोर्ड का तर्क था कि उन्हें संबद्धता देने और रद्द करने का पूरा अधिकार है और समिति की सिफारिश मात्र एक सुझाव होती है, न कि बाध्यकारी आदेश
    • बोर्ड ने यह भी कहा कि उन्होंने जांच के बाद ही संबद्धता रद्द की थी, क्योंकि स्कूल में बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं था

पटना उच्च न्यायालय का अंतिम फैसला (2022)

  1. अदालत ने पाया कि:

    • संबद्धता प्रक्रिया में अनियमितताएं थीं, लेकिन बिहार बोर्ड की प्रक्रिया भी सही नहीं थी।
    • बोर्ड को संबद्धता देने या रद्द करने का अधिकार जरूर है, लेकिन इससे पहले स्कूल को अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए
    • बोर्ड ने बिना सुनवाई दिए संबद्धता रद्द की, जो न्यायोचित प्रक्रिया का उल्लंघन था
  2. अदालत का आदेश:

    • स्कूल को दोबारा संबद्धता के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई
    • बिहार बोर्ड को तीन महीने के भीतर स्कूल का निरीक्षण कर उचित निर्णय लेना होगा
    • स्कूल को दोबारा आवेदन शुल्क देने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि पहले दिए गए शुल्क को समायोजित किया जाएगा।
    • यदि स्कूल को संबद्धता नहीं दी जाती है, तो उसे उचित कानूनी मंच पर अपील करने का अधिकार होगा

इस फैसले का प्रभाव

शिक्षण संस्थानों के लिए राहत:
यह फैसला उन स्कूलों और कॉलेजों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें बिना किसी उचित कारण के संबद्धता नहीं दी जाती या रद्द कर दी जाती है।

बिहार बोर्ड की शक्ति स्पष्ट हुई:
अब यह साफ हो गया कि बिहार बोर्ड संबद्धता देने या रद्द करने का अधिकार रखता है, लेकिन उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा

बिना सुनवाई संबद्धता रद्द नहीं हो सकती:
यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि बोर्ड को संबद्धता से संबंधित किसी भी निर्णय से पहले स्कूल को अपनी बात रखने का मौका देना होगा

शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता:
बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों में सुधार लाने की दिशा में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है।


निष्कर्ष

पटना उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि बिहार बोर्ड के पास संबद्धता को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार है, लेकिन यह प्रक्रिया न्यायसंगत और पारदर्शी होनी चाहिए। स्कूलों को अब अपनी मान्यता की लड़ाई लड़ने का एक मजबूत आधार मिल गया है

यह फैसला बिहार में शिक्षा व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित और निष्पक्ष बनाने में मदद करेगा। 🎓

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyMzODcjMjAxOSMxI04=-Rnav36SFVGg=

Abhishek Kumar

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