निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम (BSFC) द्वारा एक परिवहनकर्ता को पाँच वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश बिना उचित कारणों के और परिवहनकर्ता द्वारा दी गई सफाई को बिना देखे पारित किया गया था।
याचिकाकर्ता एक खाद्यान्न परिवहनकर्ता था, जिसके ट्रक से पीडीएस चावल की ढुलाई हो रही थी। रास्ते में ट्रक चालक पर चावल की काला बाजारी (black marketing) का आरोप लगा और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इस आधार पर जिला परिवहन समिति ने याचिकाकर्ता का अनुबंध समाप्त कर दिया, उसकी सुरक्षा राशि जब्त कर ली, बैंक गारंटी भुना ली और उसे 5 वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।
कोर्ट ने देखा कि अनुबंध में मध्यस्थता (arbitration) का प्रावधान था। इसलिए अनुबंध समाप्ति, राशि जब्ती और बैंक गारंटी के मुद्दे को मध्यस्थता के माध्यम से हल करने की छूट दी गई। लेकिन ब्लैकलिस्टिंग जैसा कठोर निर्णय मध्यस्थता के दायरे में नहीं आता, इसलिए कोर्ट ने इस पर विस्तृत विचार किया।
याचिकाकर्ता ने यह स्पष्ट किया था कि:
- एफआईआर केवल चालक के खिलाफ है, याचिकाकर्ता को आरोपी नहीं बनाया गया है।
- पुलिस ने 550 में से 344 बोरी चावल बरामद कर लिए थे।
- याचिकाकर्ता ने खुद 8.82 लाख रुपये की कटौती पर सहमति दी थी।
- वह शुरू से ही सहयोगात्मक और ईमानदार रहा।
लेकिन समिति ने इन बातों पर कोई विचार नहीं किया और सिर्फ चालक के खिलाफ एफआईआर के आधार पर याचिकाकर्ता को ब्लैकलिस्ट कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ब्लैकलिस्टिंग “सिविल डेथ” के समान है और यह केवल अनुमान या आशंका पर नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले Kulja Industries बनाम BSNL (2014) का हवाला देते हुए कहा कि किसी को ब्लैकलिस्ट करने से पहले पूरी निष्पक्षता, सुनवाई और उचित जांच होनी चाहिए। जब तक खुद याचिकाकर्ता की संलिप्तता साबित नहीं होती, उसे इस तरह दंडित नहीं किया जा सकता।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला बिहार के सरकारी विभागों, ठेकेदारों और आपूर्ति से जुड़े व्यापारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह याद दिलाता है कि प्रशासनिक कार्यवाही में प्रक्रिया का पालन अत्यंत आवश्यक है, विशेषकर जब परिणाम किसी व्यक्ति या संस्था के व्यापारिक अस्तित्व पर हो। केवल अनुमान या अधूरी जांच के आधार पर किसी को व्यवसाय से वंचित नहीं किया जा सकता।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- मुद्दा: क्या याचिकाकर्ता को 5 वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट करना उचित था?
- निर्णय: नहीं। आदेश को खारिज किया गया क्योंकि:
- याचिकाकर्ता की सफाई पर विचार नहीं किया गया;
- उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था;
- केवल ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर थी;
- ब्लैकलिस्टिंग अत्यधिक और असंवेदनशील कदम था।
- निर्णय: नहीं। आदेश को खारिज किया गया क्योंकि:
- मुद्दा: अनुबंध समाप्ति, बैंक गारंटी व सुरक्षा राशि की जब्ती चुनौती योग्य है?
- निर्णय: हाँ, लेकिन इसके लिए अनुबंध में निर्धारित मध्यस्थता प्रक्रिया अपनानी होगी।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Deepak Kumar बनाम राज्य बिहार, 2019(2) BLJ 479
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- M/s Kulja Industries Ltd. बनाम BSNL, AIR 2014 SC 9
- Erusian Equipment & Chemical Ltd. बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, (1975) 1 SCC 70
मामले का शीर्षक
Piyush Kumar बनाम बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम व अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 12554 of 2019
उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 10
न्यायमूर्ति गण का नाम
- Hon’ble श्री राजीव रंजन प्रसाद, न्यायाधीश
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री संदीप कुमार, श्री संजीत कुमार, श्री रोहित राज (याचिकाकर्ता की ओर से)
- श्री अंजनी कुमार (वरिष्ठ अधिवक्ता) और श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह (BSFC की ओर से)
- श्री आलोक रंजन, सहायक AAG-5 (राज्य की ओर से)
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTI1NTQjMjAxOSMxI04=-kw–am1–EpA61hx8=
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