कोयला आपूर्ति अनुबंध में ब्लैकलिस्टिंग को पटना हाई कोर्ट ने बताया अनुचित

कोयला आपूर्ति अनुबंध में ब्लैकलिस्टिंग को पटना हाई कोर्ट ने बताया अनुचित

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में दो उद्योगिक इकाइयों के खिलाफ बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन (BSMC) द्वारा की गई ब्लैकलिस्टिंग को रद्द कर दिया है। ये इकाइयाँ कोयले पर निर्भर थीं और उन्होंने BSMC से सालाना तय मात्रा में कोयला आपूर्ति के लिए अनुबंध किया था।

अनुबंध में “वार्षिक निर्धारित मात्रा” (ACQ) और “मासिक निर्धारित मात्रा” (MSQ) का जिक्र था, जहां MSQ को ACQ का 1/12 भाग माना गया था। BSMC ने आरोप लगाया कि इन इकाइयों ने कुछ महीनों में तय MSQ से ज्यादा कोयले का उपयोग किया, जो अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है। इसी आधार पर BSMC ने उन्हें तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया और उनकी सुरक्षा जमा राशि जब्त कर ली।

उद्योगिक इकाइयों ने यह दलील दी कि उन्हें हर महीने नियमित कोयला नहीं मिला। जब भी कोयला देर से मिला, उन्होंने अपने प्लांट को चालू रखने के लिए अधिक मात्रा में कोयले का उपयोग किया। उनका कहना था कि अनुबंध में मासिक उपयोग की सीमा पर कोई सख्त प्रतिबंध नहीं था और केवल सालाना कम उपयोग पर जुर्माने की बात कही गई थी।

कोर्ट ने अनुबंध का विश्लेषण करते हुए पाया कि अनुबंध में केवल वार्षिक उपयोग (ACQ) की बात है। मासिक उपयोग (MSQ) को मार्गदर्शक मानते हुए कोई कठोर शर्त नहीं लगाई गई थी। साथ ही, BSMC कई बार समय पर कोयला आपूर्ति नहीं कर सका, जिससे कंपनियों को मजबूरी में अधिक उपयोग करना पड़ा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि शो कॉज नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं हुआ तो ब्लैकलिस्ट किया जाएगा या सुरक्षा राशि जब्त की जाएगी। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला उन उद्योगों के लिए राहत भरा है जो सरकारी एजेंसियों से संसाधन प्राप्त करते हैं। यह स्पष्ट करता है कि सरकार और उसकी एजेंसियाँ अनुबंध की शर्तों से बाहर जाकर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकतीं। इस निर्णय से यह संदेश जाता है कि सरकार को अनुबंधों का पालन और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता रखनी चाहिए।

सरकार के लिए यह संकेत है कि प्रशासनिक निर्णय लेते समय प्रक्रिया और न्यायिक सिद्धांतों का पालन अनिवार्य है। निजी इकाइयों को यह भरोसा मिलता है कि यदि उनके साथ अनुचित व्यवहार होता है तो न्यायालय उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या मासिक मात्रा से अधिक कोयले का उपयोग अनुबंध उल्लंघन है?
    ➤ नहीं, अनुबंध में मासिक सीमा का उल्लंघन दंडनीय नहीं बताया गया है।
  • क्या शो कॉज नोटिस कानूनी रूप से वैध था?
    ➤ नहीं, उसमें दंड की जानकारी नहीं दी गई थी, जो प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।
  • क्या वैकल्पिक उपाय (arbitration) होने के बावजूद हाई कोर्ट में याचिका स्वीकार्य थी?
    ➤ हां, क्योंकि प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियाँ थीं।
  • अंतिम निर्णय
    ➤ BSMC के आदेश रद्द किए गए; अनुबंध जारी रहेगा जब तक कानूनी रूप से समाप्त न हो।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • State of Bihar Road Construction Department Vs. Espan Infrastructure (I) Ltd., 2023 SCC Online Pat 7047

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • State of H.P. & Ors. v. Gujarat Ambuja Cement Limited & Anr., (2005) 6 SCC 499

मामले का शीर्षक
M/s Bhagwati Coke Industries Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य व अन्य
साथ में
M/s Konark Coke Industries बनाम बिहार राज्य व अन्य

केस नंबर
CWJC No. 1114 of 2024
CWJC No. 1011 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री एस. डी. संजय (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री मोहित अग्रवाल
प्रत्युत्तर की ओर से: श्री एस. डी. यादव (AAG-9), श्री नरेश दीक्षित (विशेष पीपी – माइनिंग), सुश्री कल्पना

निर्णय का लिंक
https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/75ab03b2-edcd-4f73-bd14-bbd3ab756963.pdf&search=Blacklisting

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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