पटना हाईकोर्ट ने कांट्रैक्टर का डिबारमेंट और ठेका रद्द करने का आदेश रद्द किया

पटना हाईकोर्ट ने कांट्रैक्टर का डिबारमेंट और ठेका रद्द करने का आदेश रद्द किया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ठेकेदार के मामले में अहम फैसला सुनाया, जिसमें सरकारी अधिकारियों ने उसका ठेका रद्द कर दिया था, उसे डिबार (Debar) कर दिया गया था और उसकी जमानत राशि भी जब्त कर ली थी।

यह मामला गया जिले में “सिंगरा स्थान तालाब” की सुंदरता बढ़ाने के लिए एक निर्माण कार्य से जुड़ा था। याचिकाकर्ता (ठेकेदार) को यह कार्य दिया गया था। लेकिन बाद में विवाद तब खड़ा हुआ जब ठेके की सूची (BOQ – Bill of Quantities) में एक ज़रूरी हिस्सा – “बेस फूटिंग” (Base Footing) – शामिल ही नहीं था। बेस फूटिंग किसी भी पक्के निर्माण की नींव होती है।

ठेकेदार ने इस कमी को समय पर पहचान कर संबंधित अधिकारियों को लिखित रूप से जानकारी दी (Annexure P/3 और P/4 में)। लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया और बाद में न केवल ठेका रद्द कर दिया गया बल्कि ठेकेदार को अगले किसी भी काम से रोकने का आदेश (Debarment) भी जारी कर दिया गया।

इसके विरोध में ठेकेदार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा:

  • बिना किसी समयसीमा के उसे डिबार कर देना अनुचित है।
  • बेस फूटिंग की गलती उसकी नहीं थी, इसलिए ठेका रद्द नहीं किया जा सकता।
  • उसने समय पर सभी बातें लिखित में दी थीं, लेकिन अधिकारियों ने जवाब तक नहीं दिया।

पहली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा। अगली सुनवाई में सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि:

  • डिबारमेंट का आदेश वापस ले लिया गया है।
  • BOQ में जो 17.22 घन मीटर बेस फूटिंग की मात्रा छूट गई थी, उसे अब शामिल किया जाएगा।
  • ठेका रद्द करने का आदेश भी हटा दिया गया है।
  • जमानत राशि की जब्ती भी रद्द की जा रही है।

इन सबको देखते हुए, कोर्ट ने ठेकेदार के पक्ष में फैसला दिया। अदालत ने यह भी कहा कि अब दोनों पक्ष (ठेकेदार और नगर निगम के अधिकारी) आपसी बातचीत से एक नई समयसीमा तय करें और उसी अनुसार काम पूरा करें।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला कई दृष्टिकोणों से अहम है:

  • ठेकेदारों के लिए: यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई प्रशासनिक गलती हो (जैसे BOQ में ज़रूरी हिस्सा छूट जाए), तो उसका दोष ठेकेदार पर नहीं थोपा जा सकता — खासकर जब वह पहले ही इस ओर ध्यान दिला चुका हो।
  • सरकारी अधिकारियों के लिए: यह निर्णय उन्हें यह याद दिलाता है कि ठेके रद्द करने और किसी को डिबार करने जैसे कदम उठाने से पहले उचित प्रक्रिया और सुनवाई देना ज़रूरी है।
  • जनता के लिए: ऐसे निर्माण कार्य जनता की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े होते हैं। अदालत का यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि प्रशासनिक लापरवाहियों से जनता को नुकसान न हो और समय पर कार्य पूरा हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या डिबारमेंट (Debarment) उचित था?
    • न्यायालय का निर्णय: डिबारमेंट केवल एक अस्थायी रोक थी, परंतु सरकार ने स्वयं इसे हटा लिया, इसलिए इस पर विस्तार में चर्चा नहीं हुई।
  • क्या ठेका रद्द करना और जमानत राशि जब्त करना सही था?
    • न्यायालय का निर्णय: नहीं। जब खुद सरकार मान रही है कि बेस फूटिंग BOQ में छूट गई थी और अब उसे जोड़ने को तैयार है, तो ठेका रद्द करना और EMD जब्त करना उचित नहीं था।
  • क्या याचिकाकर्ता को उचित सुनवाई नहीं मिली?
    • न्यायालय का निर्णय: हां। ठेकेदार ने समय पर सभी बातें रखीं, लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं दिया गया।
  • अब आगे क्या होगा?
    • न्यायालय का निर्देश: ठेकेदार और अधिकारी आपसी बातचीत से नई समयसीमा तय करें और उसी अनुसार कार्य पूरा करें।

मामले का शीर्षक

M/s Rajdeep Construction बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 5367 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति श्री हरीश कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

श्री शंभू नाथ, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
सरकारी अधिवक्ता (Standing Counsel 28) — प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक

https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/7bb9a3f2-9ee6-430c-be11-92ea1ceaaafa.pdf&search=Debarment

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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