परिचय
यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दायर सिविल रिट याचिका (CWJC No. 5055/2019) से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ताओं रवि कांत कुमार, दीपक कुमार, ऐश्वर्य कुमार और मनोरंजन झा ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के द्वारा दक्षिण क्षेत्र (South Zone) में असिस्टेंट ग्रेड-III (डिपो) पदों पर भर्ती प्रक्रिया में उन्हें नियुक्ति न देने को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।
याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने लिखित परीक्षा सफलतापूर्वक पास की थी और दस्तावेज़ सत्यापन भी हो चुका था, लेकिन फिर भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई। उन्होंने पटना हाई कोर्ट से आग्रह किया कि FCI को निर्देश दिया जाए कि उनकी नियुक्ति पर विचार किया जाए।
मामले की पृष्ठभूमि
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने वर्ष 2015 में असिस्टेंट ग्रेड-III (डिपो) पद के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी किया था (विज्ञापन संख्या 3/2015)।
- इस भर्ती के तहत कुल 597 पद (बाद में बढ़ाकर 780 कर दिए गए) केवल दक्षिण क्षेत्र (South Zone) के लिए थे।
- याचिकाकर्ताओं ने यह परीक्षा पास की थी और दस्तावेज़ सत्यापन भी पूरा हो चुका था।
- लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं की गई, जिसके चलते उन्होंने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
मुख्य विवाद के बिंदु
-
क्या पटना हाई कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार है?
- FCI ने तर्क दिया कि यह मामला दक्षिण क्षेत्र (South Zone) की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है, जो बिहार से संबंधित नहीं है।
- लिखित परीक्षा, दस्तावेज़ सत्यापन, और नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से दक्षिण क्षेत्र में हुई थी, इसलिए इस मामले की सुनवाई दक्षिण क्षेत्र के न्यायालय में होनी चाहिए।
- किसी भी प्रक्रिया का संचालन बिहार में नहीं हुआ, इसलिए पटना हाई कोर्ट के पास इस मामले में कोई क्षेत्रीय न्यायाधिकार (Territorial Jurisdiction) नहीं है।
-
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:
- याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वे बिहार के निवासी हैं, इसलिए पटना हाई कोर्ट को इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए।
- उनका यह भी कहना था कि उन्होंने बिहार से आवेदन किया था, इसलिए यह मामला पटना हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आता है।
-
FCI का पक्ष:
- FCI के वकील प्रभाकर टेक्रिवाल ने सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले Alchemist Ltd. बनाम State Bank of Sikkim (2007) 11 SCC 335 का हवाला दिया।
- इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि केवल याचिकाकर्ता का किसी राज्य में निवास करना, उस राज्य की अदालत को मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं देता।
- यदि कोई भी कार्रवाई उस राज्य में नहीं हुई है, तो उस राज्य की अदालत को क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त नहीं होता।
- इस मामले में परीक्षा, दस्तावेज़ सत्यापन और नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से दक्षिण क्षेत्र में हुई थी, इसलिए पटना हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता।
पटना हाई कोर्ट का फैसला
- न्यायमूर्ति विकाश जैन की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए FCI की दलील को स्वीकार किया।
- अदालत ने कहा कि इस मामले में बिहार राज्य से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि भर्ती की पूरी प्रक्रिया दक्षिण क्षेत्र में हुई थी।
- पटना हाई कोर्ट के पास इस मामले की सुनवाई करने का कोई क्षेत्रीय अधिकार नहीं है, इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है।
महत्वपूर्ण कानूनी निष्कर्ष
- केवल याचिकाकर्ता का बिहार का निवासी होना, पटना हाई कोर्ट को क्षेत्रीय अधिकार (Territorial Jurisdiction) नहीं देता।
- यदि कोई सरकारी भर्ती किसी अन्य राज्य या क्षेत्र में हो रही है, तो उसकी सुनवाई उसी राज्य की अदालत में होनी चाहिए।
- FCI ने पूरी भर्ती प्रक्रिया दक्षिण क्षेत्र में संचालित की थी, इसलिए इस मामले में उचित न्यायालय दक्षिण क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश
- पटना हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी।
- अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ताओं को कोई शिकायत है, तो उन्हें दक्षिण क्षेत्र के संबंधित हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए।
निष्कर्ष
यह मामला भारतीय न्यायपालिका में क्षेत्रीय न्यायालयिक क्षेत्राधिकार (Territorial Jurisdiction) के महत्व को स्पष्ट करता है। पटना हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी मामले में सुनवाई का अधिकार उस राज्य की अदालत को ही होगा, जहां कार्रवाई हुई हो।
पूरा
फैसला पढ़ने के लिए यहां
क्लिक करें:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNTA1NSMyMDE5IzEjTg==-PXQc2A–ak1–g5NM=