निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि जीएसटी (GST) कानून के तहत अपील दाखिल करने की समयसीमा को कैसे गिना जाए। यह मामला एक निजी कंपनी से जुड़ा था जिसने जीएसटी विभाग द्वारा लगाए गए टैक्स, ब्याज और पेनल्टी के आदेश को चुनौती दी थी।
मामले की शुरुआत जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक के टैक्स पीरियड को लेकर हुई, जब विभाग ने कंपनी को लगभग 81 लाख रुपये टैक्स, 77 लाख रुपये ब्याज और 8 लाख रुपये जुर्माना अदा करने का नोटिस भेजा। कंपनी ने जवाब दाखिल किया लेकिन फिर 27 दिसंबर 2023 को विभाग ने फाइनल डिमांड ऑर्डर जारी कर दिया।
कंपनी के निदेशक की तबीयत खराब होने के कारण वे अपील समय पर दाखिल नहीं कर सके और 26 अप्रैल 2024 को अपील की। अपील अथॉरिटी ने इस अपील को केवल समयसीमा पार होने के आधार पर खारिज कर दिया, यह मानते हुए कि तीन महीने और एक अतिरिक्त महीना मिलाकर कुल 120 दिन की सीमा होती है। उनका कहना था कि यह समय सीमा समाप्त हो चुकी थी।
कंपनी ने कोर्ट में तर्क दिया कि कानून में “तीन महीने” और “एक महीना” लिखा है, न कि “90 दिन” और “30 दिन”। यानी महीने का मतलब है पूरा कैलेंडर महीना, न कि दिन गिनकर सीमाएं तय करना। इसलिए 26 अप्रैल 2024 को दाखिल अपील वैध है।
पटना हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार किया। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि जब कानून में “महीना” कहा गया है, तो उसे कैलेंडर महीने के रूप में ही गिना जाएगा। इसी आधार पर कोर्ट ने अपील को खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया और अपील अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वो मामले की सुनवाई करें और कंपनी को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दें।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला उन सभी व्यापारियों और करदाताओं के लिए राहत की खबर है जो अपील दाखिल करने में थोड़ी देरी कर बैठते हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि विभाग अपील को खारिज नहीं कर सकता अगर अपील कैलेंडर महीने की सीमा के अंदर की गई हो। इससे टैक्स कानूनों की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायसंगत व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा।
सरकारी विभागों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे समयसीमा की गणना में नियमों की सही व्याख्या करें और जल्दबाजी में अपील खारिज न करें। यह फैसला विशेष रूप से बिहार के व्यापारियों और जीएसटी रजिस्टर कारोबारियों के लिए महत्वपूर्ण है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- मुद्दा: क्या GST कानून के तहत तीन महीने और एक महीने की अपील अवधि को 90 और 30 दिन के रूप में गिनना सही है?
- निर्णय: नहीं। कोर्ट ने कहा कि “महीना” का मतलब कैलेंडर महीना है, दिन नहीं। अपील समय सीमा में थी।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- State of Himachal Pradesh v. Himachal Techno Engineers, (2010) 12 SCC 210
- Bibi Salma Khatoon v. State of Bihar, (2001) 7 SCC 197
- Econ Antri Ltd. v. Rom Industries Ltd., (2014) 11 SCC 769
- State of Bihar v. Kalika Kuer @ Kalika Singh, (2003) 5 SCC 448
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Saketh India Ltd. v. India Securities Ltd., (1999) 3 SCC 1
- Tarun Prasad Chatterjee v. Dinanath Sharma, (2000) 8 SCC 649
- State of West Bengal v. Rajpath Contractors and Engineers Ltd., 2024 INSC 477
मामले का शीर्षक
M/s Brand Protection Services Private Limited बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
CWJC No. 14957 of 2024
उद्धरण (Citation)– 2025 (1) PLJR 881
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
माननीय श्री न्यायमूर्ति रमेश चंद मालवीय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री अनुभव खोवाला — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद, सरकारी अधिवक्ता (GP-7) — राज्य की ओर से
निर्णय का लिंक
MTUjMTQ5NTcjMjAyNCMxI04=-SF–am1–FgO1X9iE=
“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”