निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जो बिहार में व्यापारियों और कारोबारियों के लिए राहत का कारण बन सकता है। यह मामला एक ट्रेडिंग फर्म से जुड़ा है, जिसने राज्य कर विभाग द्वारा पारित किए गए मूल्यांकन आदेशों को अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का मुख्य तर्क यह था कि इन आदेशों को पारित करने से पहले उसे व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया, जो कि GST कानून की धारा 75(4) के तहत अनिवार्य है।
धारा 75(4) के अनुसार, जब कोई प्रतिकूल निर्णय लिया जाना हो, तब अधिकारी को करदाता को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर देना आवश्यक है। इस मामले में, 30.09.2023 और 27.11.2023 को पारित किए गए आदेशों में ऐसा अवसर नहीं दिया गया था। इसलिए याचिकाकर्ता ने न्यायालय से गुहार लगाई।
अदालत ने देखा कि इस तरह के ही मामले—C.W.J.C. No. 4180 of 2024 (M/s Barhonia Engicon Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य)—में पहले ही फैसला हो चुका है, जिसमें बिना सुनवाई के पारित आदेशों को न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन माना गया था।
इसी तर्क के आधार पर, पटना हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी किए गए दोनों मूल्यांकन आदेशों को रद्द कर दिया। लेकिन अदालत ने पूरे मामले को समाप्त नहीं किया, बल्कि इसे फिर से जांच के लिए कर निर्धारण अधिकारी (Assessing Officer) को भेज दिया।
अब याचिकाकर्ता को 27.01.2025 को अथवा उसके बाद एक बार स्थगित की गई तिथि पर उपस्थित होना होगा। इसके बाद अधिकारी को तीन महीने के भीतर (09.01.2025 से गिनती शुरू करते हुए) या विधिक सीमा अवधि के भीतर, जो भी बाद में हो, पुनर्मूल्यांकन करना होगा।
यह निर्णय कर निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय के सिद्धांतों की मजबूती को दर्शाता है।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला न केवल इस याचिकाकर्ता के लिए बल्कि राज्यभर के हजारों करदाताओं के लिए एक मिसाल है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि GST मूल्यांकन में प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। कर अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि करदाता को उचित अवसर मिले, अन्यथा आदेश निरस्त किए जा सकते हैं।
सरकार के लिए भी यह एक चेतावनी है कि केवल तकनीकी या कानूनी अधिकारों का प्रयोग करना पर्याप्त नहीं है—प्रक्रियागत न्याय का पालन भी उतना ही जरूरी है।
इस निर्णय से करदाताओं में विश्वास बढ़ेगा कि न्यायालय उनकी सुनवाई सुनिश्चित करेगा, और अधिकारियों को अधिक सतर्कता से कार्य करना होगा।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या GST अधिनियम की धारा 75(4) के तहत बिना व्यक्तिगत सुनवाई के पारित मूल्यांकन आदेश वैध हैं?
- न्यायालय का निर्णय: नहीं, यह आदेश प्रक्रिया का उल्लंघन है और रद्द किए जा सकते हैं।
- क्या ऐसे आदेशों को पूरी तरह से रद्द किया जाना चाहिए या दोबारा जांच के लिए भेजा जाना चाहिए?
- न्यायालय का निर्णय: आदेशों को रद्द करके जांच के लिए पुनः संबंधित अधिकारी के पास भेजा जाए।
- पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा क्या होगी?
- न्यायालय का निर्णय: निर्णय की तारीख से तीन महीने के भीतर या विधिक सीमा अवधि के भीतर—जो भी बाद में हो—निर्णय लेना होगा।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- M/s Barhonia Engicon Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, C.W.J.C. No. 4180 of 2024, निर्णय दिनांक 27.11.2024
मामले का शीर्षक
M/s Singh Traders बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 18648 of 2024
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री रुद्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
- श्री अक्षांश अंकित, अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
- श्री गवर्नमेंट प्लीडर-7 (प्रतिवादीगण की ओर से)
निर्णय का लिंक
bb367a30-c7d7-4e22-bd8c-164f0c0fe944.pdf
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