निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे मामले का निपटारा किया, जिसमें जीएसटी पंजीकरण रद्द किए जाने के खिलाफ दायर अपील को समय सीमा के बाहर दायर करने के कारण खारिज कर दिया गया था। यह फैसला उन व्यवसायों के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है जो अपनी जीएसटी पंजीकरण को बहाल करवाना चाहते हैं।
इस मामले में याचिकाकर्ता एक ग्रेनाइट और मार्बल का कारोबार करने वाला फर्म था, जिसका जीएसटी पंजीकरण राज्य कर विभाग द्वारा रद्द कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने इस रद्दीकरण के खिलाफ अपील की, लेकिन वह अपील तय समय सीमा के लगभग 7 महीने बाद दायर की गई थी।
बिहार वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (BGST Act) की धारा 107(4) के अनुसार, किसी भी आदेश के खिलाफ अपील तीन महीने के भीतर दायर की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, अपीलीय प्राधिकारी केवल एक महीने की अधिकतम देरी को ही स्वीकार कर सकता है, अगर पर्याप्त कारण हो।
यहां याचिकाकर्ता ने करीब 7 महीने 18 दिन बाद अपील दायर की, जो कि तय सीमा से काफी ज्यादा थी। उसने स्वास्थ्य संबंधी कारणों और अनजाने में हुई देरी का हवाला दिया, साथ ही यह भी कहा कि उसने सभी कर देनदारियों का भुगतान कर दिया है और रद्दीकरण से व्यवसाय पर गंभीर असर पड़ा है।
राज्य सरकार और कर विभाग की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने जवाब में कहा कि अपीलीय प्राधिकारी ने कानून के अनुसार सही निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि इसी तरह के मामलों में पहले भी पटना हाई कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने समय सीमा की बाध्यता को बरकरार रखा है।
अंततः, हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह मामला पहले दिए गए फैसलों—Maruti Store v. State of Bihar और Addichem Specialty LLP v. Special Commissioner—से पूरी तरह मेल खाता है। इन फैसलों में साफ कहा गया है कि अपीलीय प्राधिकारी निर्धारित समय सीमा से अधिक की देरी को स्वीकार नहीं कर सकता।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला बिहार सहित पूरे देश के जीएसटी रजिस्टर्ड व्यवसायों के लिए एक सख्त चेतावनी है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि कर मामलों में निर्धारित समय सीमा का पालन अनिवार्य है। देरी के मामलों में न्यायालय writ jurisdiction का उपयोग करके राहत नहीं देगा, जब कानून खुद ही सीमा तय करता है।
इस फैसले से व्यवसायों, कर सलाहकारों और एकाउंटेंट्स को यह संदेश जाता है कि वे किसी भी सरकारी आदेश के खिलाफ जल्द और तय समय में कार्रवाई करें।
सरकार के लिए यह फैसला प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करता है और बिना वजह की लंबित अपीलों को कम करने में मदद करता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या अपीलीय प्राधिकारी ने अपील को देरी से दाखिल करने पर सही तरीके से खारिज किया?
✔ हाँ। BGST Act की धारा 107(4) के अनुसार निर्धारित सीमा से अधिक की देरी को स्वीकार नहीं किया जा सकता। - क्या हाई कोर्ट writ jurisdiction का उपयोग कर देरी को स्वीकार कर सकता है?
✘ नहीं। कोर्ट ने माना कि जब कानून सीमा तय करता है, तब writ का सहारा लेकर राहत नहीं दी जा सकती। - क्या स्वास्थ्य कारण या व्यवसायिक नुकसान, तय सीमा से ज्यादा देरी को सही ठहरा सकते हैं?
✘ नहीं। कोर्ट ने कहा कि सहानुभूति की भावना में कानून को नहीं बदला जा सकता।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Addichem Specialty LLP v. Special Commissioner 1, Department of Trade and Taxes & Anr., W.P. (C) 14279 of 2024, दिल्ली उच्च न्यायालय, दिनांक 16.12.2024
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Maruti Store v. State of Bihar and Others, CWJC No. 2441 of 2024, पटना उच्च न्यायालय, दिनांक 27.02.2024
- Addichem Specialty LLP v. Special Commissioner 1, Department of Trade and Taxes & Anr., W.P. (C) 14279 of 2024, दिल्ली उच्च न्यायालय, दिनांक 16.12.2024
मामले का शीर्षक
M/s Geosence Granite and Marble through its proprietor v. State of Bihar & Others
केस नंबर
CWJC No. 18204 of 2024
माननीय न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजन्त्री
माननीय श्री न्यायमूर्ति सुनील दत्ता मिश्रा
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री गोपाल प्रसाद सिंह, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
राज्य प्रतिनिधि अधिवक्ता (Standing Counsel 11) — प्रतिवादी की ओर से
निर्णय का लिंक
6c7b20bc-af77-49b2-aea1-3d197307a494.pdf
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