पटना हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई GST रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश रद्द किया

पटना हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई GST रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश रद्द किया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक छोटे व्यवसायी का GST रजिस्ट्रेशन बिना स्पष्ट कारण और उचित सुनवाई के रद्द कर दिया गया था। यह मामला एक व्यक्ति द्वारा दाखिल याचिका से जुड़ा है, जिसने अपने रजिस्ट्रेशन को बहाल कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मूल मामला यह था कि याचिकाकर्ता का GST रजिस्ट्रेशन 12 सितम्बर 2019 को बिहार वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 29 के अंतर्गत रद्द कर दिया गया था। कारण बताया गया कि उन्होंने शो-कॉज नोटिस का जवाब नहीं दिया और सुनवाई की तारीख पर उपस्थित नहीं हुए।

हालांकि, जब कोर्ट ने रद्दीकरण आदेश देखा तो पाया कि उसमें न तो शो-कॉज नोटिस का कोई उल्लेख था और न ही याचिकाकर्ता के जवाब पर कोई विचार किया गया था। आदेश न तो स्पष्ट था और न ही उसमें कोई तर्क दिया गया था कि आखिर किस आधार पर रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया।

कोर्ट ने इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन माना। जब किसी व्यक्ति के व्यापारिक अधिकार, वित्तीय स्थिति और कर देनदारी पर असर पड़ता है, तो प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह निर्णय उचित प्रक्रिया से ले। बिना तर्क दिए किसी का रजिस्ट्रेशन रद्द करना असंवैधानिक है।

इसी आधार पर हाईकोर्ट ने रद्दीकरण आदेश को रद्द कर दिया और रजिस्ट्रेशन को बहाल करने का निर्देश दिया। साथ ही, कर विभाग को याचिकाकर्ता का मूल्यांकन कानून के अनुसार पूरा करने को कहा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता द्वारा GST रिटर्न दाखिल करने में हुई देरी को अब भविष्य में मुद्दा नहीं बनाया जाएगा, जैसा कि सरकारी वकील द्वारा आश्वस्त किया गया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला उन हजारों छोटे व्यापारियों और प्रोपराइटरों के लिए राहत की बात है, जिनका रजिस्ट्रेशन तकनीकी या प्रक्रिया से जुड़ी गलती के कारण रद्द कर दिया गया है। यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि:

  • रजिस्ट्रेशन रद्द करने से पहले कर विभाग को जवाब मांगने और उस पर विचार करने की जिम्मेदारी है।
  • किसी भी आदेश में कारण और तर्क स्पष्ट रूप से होने चाहिए।
  • प्राकृतिक न्याय का पालन करना अनिवार्य है — यानि किसी को सजा या नुकसान देने से पहले उसे अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए।

आम जनता के लिए यह संदेश है कि सरकारी आदेशों में पारदर्शिता और निष्पक्षता जरूरी है। यदि ऐसा न हो, तो अदालत से न्याय मिल सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या बिना उचित सुनवाई के GST रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया?
    ✔️ हां, कोर्ट ने पाया कि आदेश बिना किसी तर्क या विचार के दिया गया था।
  • क्या रद्दीकरण आदेश रद्द किया जाना चाहिए?
    ✔️ हां, कोर्ट ने आदेश को रद्द कर दिया क्योंकि वह “स्पष्ट कारण रहित” और “संक्षिप्त” था।
  • क्या रजिस्ट्रेशन बहाल किया जाएगा?
    ✔️ हां, कोर्ट ने तुरंत रजिस्ट्रेशन बहाल करने का आदेश दिया।
  • क्या रिटर्न दाखिल करने में हुई देरी को दोबारा मुद्दा बनाया जा सकता है?
    ❌ नहीं, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा अब बंद माना जाएगा।

मामले का शीर्षक
Manoj Kumar Sah v. The State of Bihar & Ors.

केस नंबर
CWJC No. 18307 of 2022

उद्धरण (Citation)– 2023 (1) PLJR 830

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय श्री न्यायाधीश पार्थ सार्थी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
सुश्री अर्चना सिन्हा @ अर्चना शाही – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद (राज्य पक्षकार-7) – प्रतिवादियों की ओर से

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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