पटना हाई कोर्ट का फैसला: महिला अध्ययन (Women Studies) विषय को सहायक विषय में शामिल करने की मांग पर (2021)

पटना हाई कोर्ट का फैसला: महिला अध्ययन (Women Studies) विषय को सहायक विषय में शामिल करने की मांग पर (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट के सामने एक याचिका आई जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने शिकायत की कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (Bihar State University Service Commission) द्वारा 21 सितंबर 2020 को निकाले गए सहायक प्राध्यापक (Assistant Professor) की भर्ती विज्ञापन में “महिला अध्ययन (Women Studies)” विषय को शामिल नहीं किया गया।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने महिला अध्ययन में उच्च शिक्षा प्राप्त की है और यह विषय देश के कई विश्वविद्यालयों में सामाजिक विज्ञान (Social Sciences), इतिहास और अर्थशास्त्र जैसे मुख्य विषयों (core subjects) का सहायक विषय (allied subject) माना जाता है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) भी UGC-NET परीक्षा में महिला अध्ययन को एक मान्य सहायक विषय मानता है। इसलिए बिहार में भी इसे मान्यता मिलनी चाहिए थी।

उन्होंने यह भी कहा कि पटना विश्वविद्यालय के कुलसचिव (Registrar) ने आयोग से इस विषय को शामिल करने का अनुरोध किया था।

दूसरी ओर, राज्य सरकार और आयोग ने बताया कि इस बीच 17 नवंबर 2020 को एक संशोधन (corrigendum) जारी किया गया, जिसमें कुछ विषयों को जोड़ा गया, लेकिन विषय विशेषज्ञ समिति (Subject Expert Committee) ने महिला अध्ययन को सहायक विषय के रूप में मान्यता नहीं दी। आयोग ने तर्क दिया कि UGC नियमों और विश्वविद्यालय अधिनियमों के अनुसार केवल विशेषज्ञ समिति की राय ही मान्य है।

अदालत ने कहा कि:

  1. न्यायालय स्वयं यह तय नहीं कर सकता कि कौन सा विषय सहायक विषय होगा। यह काम विशेषज्ञों और UGC का है।
  2. लेकिन यह भी सच है कि याचिकाकर्ताओं ने महिला अध्ययन में मेहनत से पढ़ाई की है और उन्हें उम्मीद थी कि इसका उपयोग होगा।
  3. चूंकि देश के कई बड़े विश्वविद्यालयों में यह विषय स्वीकार किया जा चुका है, इसलिए बिहार सरकार को भी इस पर विचार करना चाहिए।

अंत में कोर्ट ने विज्ञापन को रद्द नहीं किया और न ही यह आदेश दिया कि महिला अध्ययन को तुरंत शामिल किया जाए। लेकिन कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि अगर याचिकाकर्ता दो हफ्ते के अंदर शिक्षा विभाग, बिहार सरकार के प्रधान सचिव को प्रतिनिधित्व (representation) देते हैं तो उस पर उचित विचार किया जाए। चूंकि भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी, समय रहते निर्णय लेने से याचिकाकर्ताओं को लाभ हो सकता है।

इस प्रकार, मामला अदालत से निपटा दिया गया लेकिन जिम्मेदारी अब शिक्षा विभाग और विशेषज्ञों पर छोड़ दी गई कि वे महिला अध्ययन विषय को सहायक विषय में शामिल करें या नहीं।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • छात्रों के लिए: महिला अध्ययन विषय के छात्रों को यह उम्मीद मिलती है कि उनकी पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी और सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी।
  • विश्वविद्यालयों के लिए: यह फैसला विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप चलने के लिए प्रेरित करता है, जहाँ महिला अध्ययन को मान्यता मिल चुकी है।
  • शिक्षा नीति के लिए: यह स्पष्ट हुआ कि शिक्षा से जुड़े विषयों का निर्णय विशेषज्ञ ही लेंगे, लेकिन सरकार को भी निष्पक्षता बरतनी होगी ताकि योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिल सके।
  • प्रशासन और शासन के लिए: यह फैसला संतुलित है—न्यायालय ने दखल नहीं दिया, लेकिन सरकार को निर्देश दिया कि वह छात्रों की उम्मीदों की अनदेखी न करे।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या महिला अध्ययन को सहायक विषय के रूप में शामिल करने का आदेश अदालत दे सकती है?
    निर्णय: नहीं। यह निर्णय विषय विशेषज्ञ और UGC के अधिकार क्षेत्र में है।
  • क्या विज्ञापन को महिला अध्ययन को शामिल न करने के कारण रद्द किया जा सकता है?
    निर्णय: नहीं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

मामले का शीर्षक

Dr. Sumit Saurav & Ors. बनाम State of Bihar & Ors.

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 8940 of 2020

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 192

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति अशुतोष कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री मुकेश कुमार नं. 1 — याचिकाकर्ताओं की ओर से
  • श्री पवन कुमार चौधरी — प्रतिवादी 5 से 7 (बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग) की ओर से
  • श्री प्रभाकर झा, GP-27 — राज्य की ओर से

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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