गृह रक्षक भर्ती में जिला-वार चयन अनिवार्य: पटना हाई कोर्ट का गोपालगंज मामले में बड़ा आदेश

गृह रक्षक भर्ती में जिला-वार चयन अनिवार्य: पटना हाई कोर्ट का गोपालगंज मामले में बड़ा आदेश

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें बिहार में गृह रक्षकों (Home Guard) की भर्ती प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाया गया। गोपालगंज जिले के कई आवेदकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका आरोप था कि विज्ञापन संख्या 02/2011 के तहत भर्ती जिला स्तर पर की जानी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे ब्लॉक-वार (प्रखंड-वार) कर दिया।

इस बदलाव का असर यह हुआ कि एक ब्लॉक के उम्मीदवार, भले ही दूसरे ब्लॉक में खाली पद हों, वहां आवेदन नहीं कर सकते थे। जबकि अगर भर्ती जिला-वार होती, तो सभी योग्य उम्मीदवार पूरे जिले में उपलब्ध सभी पदों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते थे।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह प्रक्रिया बिहार गृह रक्षक अधिनियम, 1947 और बिहार गृह रक्षक नियम, 1953 के खिलाफ है। इन नियमों में साफ कहा गया है कि आवेदन जिला पदाधिकारी (डीएम) के पास किया जाएगा और चयन जिला समिति के जरिए होगा। कहीं भी ब्लॉक-वार भर्ती का प्रावधान नहीं है।

कोर्ट ने पाया कि प्रशासन ने अपनी सुविधा के लिए नियम और विज्ञापन की शर्तों से हटकर चयन प्रक्रिया चलाई। यह “खेल के नियम” (rule of the game) के सिद्धांत का उल्लंघन है, जिसका मतलब है कि भर्ती के विज्ञापन में जो नियम तय किए गए हैं, उन्हें सभी को मानना होगा।

इसके अलावा, कोर्ट ने माना कि ब्लॉक-वार भर्ती संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन कर सकती है, क्योंकि यह समान अवसर के अधिकार को प्रभावित करती है। किसी योग्य उम्मीदवार को केवल इस कारण बाहर करना कि वह दूसरे ब्लॉक का है, भेदभावपूर्ण है।

यह मामला नया नहीं था। इससे पहले स्टेट ऑफ बिहार बनाम मंझय कुमार मामले में भी कोर्ट ने यही निर्णय दिया था कि भर्ती जिला-वार होगी। उस मामले में मुद्दा मुजफ्फरपुर जिले का था, लेकिन कानूनी सवाल बिल्कुल वही था।

अंत में, पटना हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि—

  • गोपालगंज जिले के सभी याचिकाकर्ताओं के मामले पर विचार किया जाए।
  • चयन प्रक्रिया को विज्ञापन और नियमों के अनुसार जिला-वार किया जाए।
  • 90 दिनों के भीतर योग्य याचिकाकर्ताओं को पद पर समायोजित करने की कार्रवाई की जाए।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला इस बात को पुख्ता करता है कि भर्ती प्रक्रिया में प्रशासन अपनी सुविधा के लिए नियम नहीं बदल सकता, खासकर जब वह प्रक्रिया किसी कानून या नियम से तय की गई हो।

आम जनता के लिए इसका मतलब है कि गृह रक्षक जैसी सरकारी नौकरियों में सभी योग्य उम्मीदवारों को पूरे जिले के पदों के लिए समान अवसर मिलना चाहिए। सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि यदि विज्ञापन और कानून में अंतर होगा तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • मुद्दा: विज्ञापन संख्या 02/2011 के तहत भर्ती जिला-वार होनी चाहिए या ब्लॉक-वार।
    निर्णय: भर्ती जिला-वार होगी, जैसा कि विज्ञापन और बिहार गृह रक्षक नियम, 1953 में है।
  • मुद्दा: क्या ब्लॉक-वार भर्ती संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करती है।
    निर्णय: हां, यह योग्य उम्मीदवारों के साथ भेदभाव कर सकती है।
  • मुद्दा: क्या 2007 के सरकारी निर्देशों के आधार पर ब्लॉक-वार भर्ती को सही ठहराया जा सकता है।
    निर्णय: नहीं, सरकारी निर्देश किसी कानून और नियम को नहीं बदल सकते।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • स्टेट ऑफ बिहार बनाम मंझय कुमार (LPA No. 645 of 2021)
  • बी.एन. नगराजन बनाम स्टेट ऑफ कर्नाटका, (1979) 4 SCC 507
  • अशोक राम परहद बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र, (2023) SCC OnLine SC 265
  • नायर सर्विस सोसाइटी बनाम डॉ. टी. बीरमस्थान, (2009) 5 SCC 545

मामले का शीर्षक
कई याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 159 of 2018

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति डॉ. अंशुमान

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ताओं के लिए: महेंद्र ठाकुर, कृष्ण ठाकुर, राजीव कुमार सिंह, ज्ञानेंद्र कुमार दिवाकर, प्रभजोत सिंह, अभिजीत सिंह, रंजन कुमार श्रीवास्तव, शशवत श्रीवास्तव, उमेश कुमार सिंह
  • प्रतिवादियों के लिए: अजय कुमार (AC to GP-4), पी.के. वर्मा (AAG-3), सुमन कुमार झा (AC to AAG-3), मोहम्मद नदीम सिराज (GP-5), शालिनी मिश्रा (AC to GP-5), मनीष कुमार (GP-4), मोहम्मद एन.एच. खान (SC-1), मोहम्मद ईशा (AC to SC-1), मंकेश्वर तिवारी (AC to AAG-3)

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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