निर्णय की सरल व्याख्या
दिनांक 6 नवम्बर 2020 को पटना हाई कोर्ट ने Tax Case No. 28 of 1986 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। मामला इस बात पर था कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 64(1)(iii) में 1975 के संशोधन को पिछली तारीखों से लागू किया जा सकता है या केवल आगे के लिए। अदालत ने साफ कहा कि यह संशोधन प्रत्यावर्ती (retrospective) नहीं है, बल्कि केवल आगे के लिए (prospective) ही लागू होगा।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता एक महिला थीं जिनके नाबालिग बेटे को एक साझेदारी फर्म (M/s Om Prakash & Co.) में लाभ का हिस्सा मिला था।
- फर्म का लेखा वर्ष 10 अगस्त 1975 को समाप्त हुआ।
- नाबालिग बेटे को ₹32,031/- आय के रूप में मिला।
- प्रारंभिक आकलन में यह आय मां (याचिकाकर्ता) की आय में नहीं जोड़ी गई थी।
- बाद में आयकर अधिकारी (ITO) ने आकलन दोबारा खोलकर इस आय को मां की कुल आय में जोड़ दिया, यह कहते हुए कि धारा 64(1)(iii) में संशोधन 1 अक्तूबर 1975 से लागू हो गया था।
करदाता का तर्क
याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि यह आय 10 अगस्त 1975 को ही अर्जित हो चुकी थी, जो संशोधन की तारीख (1 अक्तूबर 1975) से पहले है, इसलिए इसे मां की आय में शामिल नहीं किया जा सकता।
निचली अदालतों का निर्णय
- ITO का दृष्टिकोण: संशोधन 1 अप्रैल 1976 (असेसमेंट ईयर 1976–77 की पहली तारीख) से प्रभावी माना गया। इसलिए पूरा वर्ष इसके दायरे में आएगा।
- AAC और ITAT: दोनों ने ITO के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जो कानून असेसमेंट वर्ष की पहली तारीख को लागू होता है, वह पूरे वर्ष की आय पर लागू होगा।
पटना हाई कोर्ट के समक्ष प्रश्न
- क्या नाबालिग बेटे की आय को मां की आय में आकलन वर्ष 1976–77 के लिए शामिल किया जा सकता है?
- क्या 1 अक्तूबर 1975 से लागू संशोधन 10 अगस्त 1975 को अर्जित आय पर भी लागू होगा?
हाई कोर्ट की टिप्पणियाँ
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की पीठ ने कई महत्वपूर्ण सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया:
- Kesoram Industries (1966) और Karimtharuvi Tea Estate (1966) – संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि कर संबंधी संशोधन सामान्यतः भावी (prospective) होते हैं।
- C.P. Sarathy Mudaliar v. CIT (1966) – हाई कोर्ट संदर्भ (reference) के दौरान केवल सलाहकारी (advisory) अधिकार रखता है, अपीलीय (appellate) अधिकार नहीं।
- Premier Breweries Ltd. v. CIT (2015) – इस सिद्धांत को दोहराया गया कि संशोधन को पिछली तारीखों से लागू करना अनुचित है।
पटना हाई कोर्ट ने कहा:
- 1975 के संशोधन ने एक नई कर देनदारी (tax liability) पैदा की थी।
- यह केवल 1 अप्रैल 1976 से लागू होगी और उससे पहले की आय पर लागू नहीं होगी।
- इसलिए 10 अगस्त 1975 की आय को मां की आय में जोड़ना गलत था।
अदालत का फैसला
अदालत ने राजस्व विभाग के पक्ष को खारिज किया और कहा कि ITAT का निर्णय गलत था। संशोधन को प्रत्यावर्ती (retrospective) रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- करदाताओं के लिए: यह फैसला स्पष्ट करता है कि कोई भी नया कर संशोधन पिछली तारीखों पर लागू नहीं किया जा सकता।
- टैक्स प्रैक्टिशनर्स के लिए: कर देनदारी हमेशा उस तारीख के कानून के अनुसार तय होगी जिस दिन आय अर्जित हुई, न कि बाद में किए गए संशोधन के अनुसार।
- सरकारी विभागों के लिए: यह फैसला याद दिलाता है कि टैक्स वसूली निष्पक्ष और पूर्वानुमेय (predictable) होनी चाहिए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या 1 अक्तूबर 1975 से लागू संशोधन 10 अगस्त 1975 को अर्जित आय पर लागू होगा?
- निर्णय: नहीं। संशोधन केवल भावी (prospective) रूप से लागू होगा।
- क्या ITAT का फैसला सही था जिसमें आय जोड़ने को उचित ठहराया गया था?
- निर्णय: नहीं। ITAT का निर्णय कानूनन गलत था।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Badri Prasad v. CIT (1990) 185 ITR 307 (Patna HC)
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Keshav Mills v. CIT (1965) 2 SCR 908
- Rameshwar Prasad Bagla v. CIT (1973) 3 SCC 575
- C.P. Sarathy Mudaliar v. CIT (1966) 62 ITR 576 (SC)
- Kesoram Industries v. Wealth Tax Commissioner AIR 1966 SC 1370
- Karimtharuvi Tea Estate Ltd. v. State of Kerala AIR 1966 SC 1385
- Premier Breweries Ltd. v. CIT (2015) 11 SCC 695
मामले का शीर्षक
Smt. Narmada Devi बनाम Commissioner of Income Tax, Bihar, Patna
केस नंबर
Tax Case No. 28 of 1986
उद्धरण (Citation)
2021(1) PLJR 618
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री डी.वी. पाठी
- प्रतिवादी की ओर से: श्री ऋषि राज सिन्हा, सुश्री शिल्पी केशरी
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/NCMyOCMxOTg2IzIjTg==-i–am1–V–ak1–FvyrJfA=
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