पटना हाईकोर्ट का फैसला: परिवार की आर्थिक स्थिरता के कारण अनुकंपा नियुक्ति से इनकार जायज

पटना हाईकोर्ट का फैसला: परिवार की आर्थिक स्थिरता के कारण अनुकंपा नियुक्ति से इनकार जायज

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक बेटे की अनुकंपा नियुक्ति की मांग को खारिज करने के राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराया है। यह मामला उस बेटे का है जिसकी मां सरकारी सेवा में कार्यरत थीं और सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। बेटे ने सरकारी नौकरी में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग की थी।

याचिकाकर्ता की मां एक सरकारी प्रशिक्षण कॉलेज में क्राफ्ट टीचर के पद पर कार्यरत थीं और मार्च 2013 में उनका निधन हो गया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जो कि उस स्थिति में दी जाती है जब परिवार को सरकारी कर्मचारी की असामयिक मृत्यु के कारण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।

हालाँकि, सरकार ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि:

  • याचिकाकर्ता के पिता पहले से ही सरकारी सेवा से रिटायर हो चुके हैं और उन्हें नियमित पेंशन मिल रही है।
  • मां की मृत्यु के बाद परिवार को फैमिली पेंशन भी मिल रही है।
  • याचिकाकर्ता का बड़ा भाई निजी नौकरी में कार्यरत है और आय अर्जित कर रहा है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बड़ा भाई अलग रह रहा है और परिवार की जिम्मेदारी नहीं ले रहा, और पिता की पेंशन मेडिकल खर्च में चली जाती है। लेकिन सिंगल जज ने पहले ही इस दलील को खारिज करते हुए कहा था कि परिवार की कुल आय को देखकर यह मामला अनुकंपा नियुक्ति के दायरे में नहीं आता।

इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने लेटर्स पेटेंट अपील (LPA) दायर की, जिसे न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई अधिकार नहीं है बल्कि यह एक विशेष परिस्थिति में दी जाने वाली सहानुभूतिपूर्ण राहत है।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले Umesh Kumar Nagpal v. State of Haryana (1994) 4 SCC 138 का हवाला देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य केवल उन परिवारों की मदद करना है जो असहाय और आर्थिक रूप से संकट में हों। हर मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति देना नियम नहीं है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि अनुकंपा नियुक्ति कोई पारिवारिक विरासत नहीं है। यह केवल उन परिवारों के लिए है जिनके पास जीविकोपार्जन का कोई अन्य साधन नहीं होता।

आम जनता के लिए यह संदेश है कि यदि परिवार में पेंशन या अन्य स्रोतों से आय है, तो अनुकंपा नियुक्ति की संभावना कम हो जाती है। सरकार के लिए यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि अनुकंपा नीति का लाभ केवल जरूरतमंदों को ही मिले और इसका दुरुपयोग न हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या अनुकंपा नियुक्ति मृत कर्मचारी के परिवार का अधिकार है?
    • निर्णय: नहीं। यह एक विशेष राहत है, अधिकार नहीं।
  • क्या याचिकाकर्ता की नियुक्ति से इनकार करना सही था?
    • निर्णय: हाँ। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर इनकार जायज है।
  • क्या पिता की पेंशन और भाई की नौकरी नियुक्ति को रोकने के पर्याप्त कारण हैं?
    • निर्णय: हाँ। इससे साबित होता है कि परिवार आर्थिक संकट में नहीं है।
  • क्या पहले के एकल पीठ के फैसले में कोई गलती थी?
    • निर्णय: नहीं। खंडपीठ ने उस निर्णय को सही ठहराया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Umesh Kumar Nagpal v. State of Haryana, (1994) 4 SCC 138

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Umesh Kumar Nagpal v. State of Haryana, (1994) 4 SCC 138

मामले का शीर्षक

Nitesh Sinha vs. The State of Bihar & Others

केस नंबर

Letters Patent Appeal No. 2185 of 2016 in CWJC No. 2337 of 2014

उद्धरण (Citation)

2020 (1) PLJR 71

न्यायमूर्ति गण का नाम

  • माननीय श्री न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह
  • माननीय श्री न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री जगजीत रोशन — अपीलकर्ता की ओर से
  • श्री शशि शेखर तिवारी, सहायक अधिवक्ता (AAG 15) — राज्य सरकार की ओर से

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyMyMTg1IzIwMTYjMSNO-G7Kd0P–am1–QHq8=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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