पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला: तकनीकी आधार पर ऑडिटर की नियुक्ति से इनकार अनुचित

पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला: तकनीकी आधार पर ऑडिटर की नियुक्ति से इनकार अनुचित

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला एक चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म से जुड़ा है, जिसने बिहार एजुकेशन प्रोजेक्ट काउंसिल (BEPC) द्वारा 2020-2021 के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत कराए गए टेंडर में ऑडिटर के रूप में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन इस फर्म का आवेदन केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उसने जो “संविधान प्रमाणपत्र” दिया था, वह उस फॉर्मेट में नहीं था जैसा कि बीईपीसी अपेक्षा कर रही थी।

पिटीशनर ने आवश्यक सभी दस्तावेज जमा किए थे, जिनमें फर्म का “संविधान प्रमाणपत्र” और फर्म कार्ड भी शामिल था, जिसमें उनकी संरचना और अनुभव की पूरी जानकारी दी गई थी। लेकिन टेंडर मूल्यांकन समिति ने उसे “तकनीकी रूप से असंवेदनशील” कहकर अयोग्य घोषित कर दिया क्योंकि उस प्रमाणपत्र का फॉर्मेट अन्य निविदाकारों से अलग था।

जब यह निर्णय लिया गया, पिटीशनर ने अगले ही दिन संबंधित अधिकारियों को इस पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्होंने सारी जानकारी दे दी है — बस भाषा या फॉर्मेट अलग है। बावजूद इसके, किसी ने आपत्ति का जवाब नहीं दिया और बाकी निविदाकारों की फाइनेंशियल बिड खोल दी गई।

कोर्ट में सरकार या बीईपीसी ने यह नहीं कहा कि पिटीशनर ने कोई गलत दस्तावेज दिया या वह अयोग्य है। बल्कि यह माना गया कि पिछले दो वर्षों तक उसी फर्म को चुना गया था और इस बार सिर्फ “तकनीकी” आधार पर बाहर कर दिया गया।

माननीय न्यायमूर्ति अशुतोष कुमार ने यह माना कि फॉर्मेट अलग हो सकता है, लेकिन जब जानकारी पूरी दी गई थी, तो उसे खारिज करना केवल फॉर्मालिटी को लेकर कठोरता दिखाना है, जो न्यायसंगत नहीं है।

हालांकि इस बीच अन्य ऑडिटरों की नियुक्ति हो चुकी थी, इसलिए कोर्ट ने इस साल की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया। लेकिन भविष्य के लिए यह स्पष्ट निर्देश दिया गया कि इस मुकदमे को पिटीशनर के विरुद्ध किसी तरह से न लिया जाए और अगली बार आवेदन करने पर निष्पक्ष रूप से मूल्यांकन हो।

साथ ही कोर्ट ने बीईपीसी को यह भी सलाह दी कि अगली बार टेंडर में दस्तावेजों को लेकर स्पष्ट और विस्तृत निर्देश दें, ताकि भ्रम की स्थिति न बने।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

इस फैसले का व्यापक असर उन सभी टेंडर प्रक्रियाओं पर पड़ सकता है जो सरकारी विभागों द्वारा की जाती हैं:

  • यह स्पष्ट करता है कि तकनीकी कारणों से योग्य व्यक्तियों को बाहर करना अनुचित है, खासकर जब जरूरी जानकारी दी गई हो।
  • सरकारी एजेंसियों को टेंडर के नियमों और दस्तावेजों की मांग स्पष्ट रूप से करनी चाहिए, जिससे कोई उम्मीदवार भ्रमित न हो।
  • पूर्व में विश्वसनीय सेवाएं देने वाले आवेदकों को केवल दस्तावेज के फॉर्मेट के कारण अयोग्य घोषित करना न्याय के विरुद्ध है
  • यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि कोर्ट प्रशासनिक कठोरता के खिलाफ एक संतुलन बना सकता है, ताकि योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय न हो।

सरकारी टेंडरों में भाग लेने वाले पेशेवरों के लिए यह निर्णय एक मार्गदर्शन है कि दस्तावेज़ तो सही हों ही, लेकिन यदि फॉर्मेट अलग हो तो भी न्यायालय उनकी बात सुनेगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या संविधान प्रमाणपत्र के फॉर्मेट के कारण आवेदन खारिज करना उचित था?
    ❌ नहीं। कोर्ट ने माना कि जरूरी जानकारी थी, भले ही फॉर्मेट अलग था।
  • क्या पिटीशनर के खिलाफ कोई दुर्भावना थी?
    ✅ नहीं। सरकार और काउंसिल ने खुद माना कि पूर्व में इस फर्म को चुना गया था।
  • क्या कोर्ट को चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना चाहिए था?
    ❌ नहीं। क्योंकि चयन पूरा हो चुका था, इसलिए कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया लेकिन भविष्य के लिए सुरक्षा दी।
  • क्या आगे से काउंसिल को दस्तावेजों की स्पष्टता देनी चाहिए?
    ✅ हां। कोर्ट ने यह स्पष्ट सलाह दी।

मामले का शीर्षक

Subodh Goel and Co. Chartered Accountants v. State of Bihar & Others

केस नंबर

CWJC No. 7711 of 2020

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 176

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति अशुतोष कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री एस. डी. संजय, वरिष्ठ अधिवक्ता — पिटीशनर की ओर से
  • श्री गिरिजेश कुमार — बीईपीसी की ओर से
  • श्री प्रियदर्शी मातृशरण — राज्य की ओर से

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNzcxMSMyMDIwIzEjTg==-XLPyATDHB10=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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