पटना हाईकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को रद्द किया, प्रक्रिया में गड़बड़ी को बताया कारण

पटना हाईकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को रद्द किया, प्रक्रिया में गड़बड़ी को बताया कारण

निर्णय की सरल व्याख्या

इस मामले में महिला प्रधान प्रतिनिधि (Pramukh), जो वैशाली जिले के महनार प्रखंड पंचायत समिति की निर्वाचित प्रमुख थीं, ने अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्हें 13 जुलाई 2018 को आयोजित विशेष बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पारित कर पद से हटा दिया गया था।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह पूरी प्रक्रिया कानून के तहत तय प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए की गई थी। विशेष रूप से उन्होंने तीन मुख्य बिंदुओं पर आपत्ति जताई:

  1. विधिवत रूप से प्रस्ताव की प्रति उन्हें पहले से नहीं दी गई थी, जैसा कि बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006 की धारा 44(3)(i) में अनिवार्य है।
  2. नोटिस में अविश्वास प्रस्ताव लाने के कारण/आरोप स्पष्ट रूप से नहीं बताए गए थे, जो धारा 44(3)(iv) का उल्लंघन है।
  3. बैठक की सूचना सात स्पष्ट दिनों पहले नहीं दी गई थी, जैसा कि धारा 46(4) में निर्धारित है।

राज्य सरकार ने प्रारंभ में यह तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने स्वयं 13 जुलाई की तारीख प्रस्तावित की थी। लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने स्वीकार किया कि कार्यपालक पदाधिकारी की जिम्मेदारी थी कि सभी कानूनी औपचारिकताएं पूर्ण हों, और इसमें वे विफल रहे।

अंततः न्यायालय ने पाया कि:

  • अविश्वास प्रस्ताव की सूचना में कारण/आरोप नहीं थे।
  • सात स्पष्ट दिनों की पूर्व सूचना नहीं दी गई थी।

इसलिए न्यायालय ने उक्त प्रस्ताव और याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी को अवैध करार दिया और उसे रद्द कर दिया।

हालाँकि, न्यायालय ने यह भी माना कि याचिकाकर्ता को प्रस्ताव की जानकारी थी, और इसलिए उसने निर्देश दिया कि वह अगले 15 दिनों के भीतर नियमानुसार एक विशेष बैठक बुलाएं। यदि वह ऐसा नहीं करतीं, तो उप-प्रमुख या एक तिहाई निर्वाचित सदस्य यह कार्य कर सकते हैं।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय पंचायती स्तर के लोकतांत्रिक प्रतिनिधियों की सुरक्षा के लिए एक अहम मिसाल है। यह बताता है कि चुने हुए प्रतिनिधियों को पद से हटाने जैसी संवेदनशील प्रक्रिया केवल कानून के अनुसार और पूरी पारदर्शिता के साथ ही की जा सकती है।

बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पंचायत स्तर पर राजनीतिक तनाव अक्सर होता है, यह फैसला स्पष्ट करता है कि “प्रक्रिया का पालन” न केवल औपचारिकता है, बल्कि कानूनी बाध्यता भी है। अन्यथा, पूरी कार्यवाही अमान्य हो सकती है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • मुद्दा: क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विधिसम्मत था?
    • निर्णय: नहीं, प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियाँ थीं।
  • मुद्दा: क्या सात दिन की स्पष्ट सूचना और आरोप/कारणों की जानकारी दी गई थी?
    • निर्णय: नहीं, दोनों आवश्यकताओं का पालन नहीं हुआ।
  • मुद्दा: आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
    • निर्णय: याचिकाकर्ता 15 दिनों में पुनः बैठक बुलाएं, नहीं तो उप-प्रमुख या अन्य सदस्य कर सकते हैं।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • कोई विशिष्ट निर्णय नहीं, केवल अधिनियम की धाराएँ

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006:
    • धारा 44(3)(i)
    • धारा 44(3)(iv)
    • धारा 46(4)

मामले का शीर्षक
Sheela Devi बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर
CWJC No. 14023 of 2018

उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 74

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री एस.बी.के. मंगलम एवं श्री रवि रंजन, याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री अनवर करीम, सहायक सरकारी अधिवक्ता (GP10) राज्य की ओर से
  • श्री अमित श्रीवास्तव एवं श्री गिरीश पांडे, राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से
  • श्री एस.पी. श्रीवास्तव एवं श्री अरुण कुमार, निजी प्रतिवादियों की ओर से

निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTQwMjMjMjAxOCMxI04=-3dWhx6s85A0=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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