निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला बिहार पुलिस के एक सेवानिवृत्त उप-निरीक्षक (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर किया गया था। उनका कहना था कि सेवा निवृत्ति के बाद मिलने वाले आर्थिक लाभ उन्हें पूरे हक से नहीं मिले हैं।
याचिकाकर्ता की दो प्रमुख माँगें थीं:
- अवकाश नकदीकरण (Leave Encashment): नियम के अनुसार उन्हें 300 दिनों के संचित अवकाश का भुगतान होना चाहिए था, लेकिन उन्हें केवल 205 दिनों का ही भुगतान किया गया। शेष 95 दिनों का भुगतान उन्हें मिलना चाहिए।
- एक माह अतिरिक्त वेतन: उन्होंने 2015–2016 और 2016–2017 वित्तीय वर्षों के लिए एक माह अतिरिक्त वेतन की भी मांग की। उन्होंने इसका आधार गृह (पुलिस) विभाग द्वारा जारी परिपत्र संख्या 4495 (दिनांक 30.06.2015) को बताया, जिसमें पुलिस अधिकारियों को यह लाभ देने का निर्देश था।
राज्य सरकार का पक्ष:
- राज्य ने कहा कि याचिकाकर्ता केवल 205 दिनों के अवकाश नकदीकरण के हकदार हैं। इसका विवरण उनके प्रतिवेदन के साथ संलग्न गणना पत्रक (Calculation Chart) में दिया गया है।
- अतिरिक्त वेतन के मामले में राज्य का तर्क था कि यह लाभ केवल विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के अधिकारियों को 30.06.2017 की संकल्प संख्या 5290 के तहत दिया गया था। चूँकि याचिकाकर्ता 01.04.2017 को ही इस विभाग से स्थानांतरित होकर बाहर आ चुके थे, इसलिए उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सकता।
न्यायालय की कार्यवाही और आदेश:
- न्यायालय ने राज्य को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को अवकाश नकदीकरण की गणना शीट की प्रति दो सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएँ।
- याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देते हुए गणना चार सप्ताह में अंतिम की जाए।
- यदि अतिरिक्त भुगतान की आवश्यकता होगी तो उसे आठ सप्ताह के भीतर कर दिया जाए।
- जहाँ तक अतिरिक्त एक माह वेतन की मांग का सवाल है, याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे को इस याचिका में आगे नहीं बढ़ाया। उन्होंने इसे एक नई याचिका में विस्तृत रूप से उठाने की अनुमति मांगी। न्यायालय ने यह अनुमति दे दी।
इस प्रकार, अवकाश नकदीकरण का मुद्दा न्यायालय ने राज्य को पुनः जाँच करने और भुगतान करने का निर्देश देकर निपटाया, जबकि अतिरिक्त वेतन का मुद्दा भविष्य की याचिका के लिए खुला छोड़ा गया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए संदेश: यह फैसला बताता है कि सेवा निवृत्ति लाभों की गणना पारदर्शी और सही तरीके से होना जरूरी है।
- पुलिस बल के लिए स्पष्टता: विशेष लाभ, जैसे अतिरिक्त वेतन, केवल सरकारी संकल्प और आदेश पर आधारित होते हैं। अधिकारी किस विभाग में किस समय पदस्थ थे, इसका सीधा असर उनके हक पर पड़ता है।
- प्रशासन के लिए निर्देश: जब किसी कर्मचारी को लगता है कि उसके आर्थिक अधिकारों में कटौती हुई है, तो उसे सुनवाई का पूरा अवसर मिलना चाहिए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या याचिकाकर्ता 300 दिनों का अवकाश नकदीकरण पाने के हकदार हैं?
✅ न्यायालय ने कहा कि राज्य पुनः गणना करे और यदि कोई अतिरिक्त राशि बनती है तो भुगतान करे। - क्या याचिकाकर्ता 2015–2016 और 2016–2017 के लिए अतिरिक्त एक माह वेतन पाने के हकदार हैं?
❌ अभी नहीं। याचिकाकर्ता ने इसे इस मामले में नहीं दबाया, लेकिन नई याचिका दायर करने की छूट दी गई।
मामले का शीर्षक
Ram Binay Sharma v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 19777 of 2018
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 310
माननीय न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति विकास जैन
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री राजेश कुमार शर्मा एवं श्री अमरेश कुमार
- राज्य की ओर से: सुश्री दिव्या वर्मा, AC to AAG 3
- विजिलेंस की ओर से: श्री अनिल सिंह, अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
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