निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक के एक कर्मचारी की सेवा समाप्ति (Dismissal) को सही ठहराया। मामला भर्ती परीक्षा में भेष बदलकर (Impersonation) किसी और को परीक्षा दिलाने के आरोप से जुड़ा था। कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक न्यायाधिकरण (Industrial Tribunal) का फैसला सबूतों पर आधारित है और इसमें दखल की जरूरत नहीं है।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता 2013 में पंजाब नेशनल बैंक के क्लर्क पद पर चयनित हुआ। 13 मार्च 2013 को उसने ज्वॉइन किया। लेकिन उसके चचेरे भाई ने शिकायत की कि भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है।
बैंक ने जांच की और आरोप लगाया कि 11 दिसंबर 2011 को लिखित परीक्षा में याचिकाकर्ता की जगह कोई और बैठा था। परीक्षा के समय लिए गए हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान बैंक के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते थे।
विभागीय जांच और सजा
फरवरी 2014 में आरोप-पत्र (Charge Memo) जारी हुआ। विस्तृत विभागीय जांच हुई और 22 मई 2015 को बिना नोटिस के सेवा समाप्ति का आदेश पारित हुआ।
याचिकाकर्ता ने अपील की, लेकिन अगस्त 2015 में अपील भी खारिज हो गई। इसके बाद उसने औद्योगिक विवाद उठाया, जिसे पटना औद्योगिक न्यायाधिकरण ने 25 जून 2019 को निपटाया। न्यायाधिकरण ने सेवा समाप्ति को सही ठहराया और कहा कि यह कानून के अनुसार है।
याचिकाकर्ता की दलीलें
- उसने कहा कि सबूत अपर्याप्त हैं और हस्तलेख विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है।
- उसने दावा किया कि परीक्षा से पहले उसे मेनिन्जाइटिस या हल्का लकवे का अटैक हुआ था, जिसके कारण हस्ताक्षर कांप गए थे।
- उसने यह भी कहा कि न्यायाधिकरण ने पहले जांच को दोषपूर्ण माना था, फिर भी बैंक को नए दस्तावेज और गवाह पेश करने की अनुमति दी, जो गलत है।
हाई कोर्ट की राय
- कई गवाहों और विशेषज्ञों ने गवाही दी कि परीक्षा के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान याचिकाकर्ता से मेल नहीं खाते।
- बीमारी का दावा पहली बार न्यायाधिकरण के सामने किया गया, जबकि विभागीय जांच में कभी इसका जिक्र नहीं हुआ। इसे बाद में गढ़ा गया तर्क (afterthought) माना गया।
- न्यायाधिकरण की कार्यवाही में याचिकाकर्ता ने पूरे समय बिना आपत्ति भाग लिया और बाद में हारने के बाद आपत्ति उठाई, जिसे कोर्ट ने विवेकाधिकार का त्याग (waiver) और estoppel मानते हुए खारिज कर दिया।
- न्यायाधिकरण का निर्णय सबूतों पर आधारित था और इसमें कोई कानूनी त्रुटि या पक्षपात नहीं था।
अंतिम निर्णय
हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और बैंक कर्मचारी की सेवा समाप्ति को वैध माना।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
कर्मचारियों के लिए
भर्ती परीक्षा में धांधली या Impersonation जैसे आरोप बहुत गंभीर होते हैं। बाद में बहाने या बीमारी का हवाला देकर बचा नहीं जा सकता।
नियोक्ताओं (Employers) के लिए
यह फैसला बताता है कि यदि विभागीय जांच सही प्रक्रिया के साथ की गई है और सबूत पर्याप्त हैं तो अदालतें सेवा समाप्ति के आदेश में दखल नहीं देंगी।
औद्योगिक विवादों के लिए
यदि कर्मचारी जांच और सुनवाई में बिना आपत्ति शामिल होता है, तो बाद में वह यह नहीं कह सकता कि प्रक्रिया गलत थी। कोर्ट केवल उन्हीं मामलों में दखल देगा जहाँ निर्णय स्पष्ट रूप से अवैध या पक्षपातपूर्ण हो।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या भर्ती परीक्षा में प्रतिरूपण (Impersonation) के आरोप पर सेवा समाप्ति उचित थी?
• हाँ। सबूत पर्याप्त थे, सेवा समाप्ति बरकरार रही। - क्या न्यायाधिकरण ने बैंक को अतिरिक्त गवाह और दस्तावेज पेश करने की अनुमति गलत दी?
• नहीं। याचिकाकर्ता ने समय पर आपत्ति नहीं की, इसलिए बाद में यह तर्क मान्य नहीं। - क्या बीमारी (मेनिन्जाइटिस/लकवा) से हस्ताक्षर बदलने का तर्क स्वीकार किया गया?
• नहीं। इसे बाद में बनाया गया तर्क माना गया और खारिज कर दिया गया।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Kurukshetra University v. Prithvi Singh, 2018 (2) PLJR 177 (SC) – याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में उद्धृत किया।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- सुप्रीम कोर्ट का उपरोक्त निर्णय संदर्भित हुआ, लेकिन तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता को लाभ नहीं मिला।
मामले का शीर्षक
Gunjan Kumar v. Management of Circle Head, Punjab National Bank & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 24521 of 2019
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 77
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री विजय कुमार
- बैंक की ओर से: श्री सुरेश प्रसाद सिंह संख्या 1, सुश्री कुमारी रश्मि
निर्णय का लिंक
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