सेवा से बर्खास्त कर्मचारी की बरी होने के बाद अधिकारों पर पटना हाईकोर्ट का अहम फैसला

सेवा से बर्खास्त कर्मचारी की बरी होने के बाद अधिकारों पर पटना हाईकोर्ट का अहम फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई कर्मचारी आपराधिक मामले में दोषसिद्ध होकर सेवा से बर्खास्त हो जाता है और बाद में बरी हो जाता है, तो उसकी सेवानिवृत्ति के बाद उसे क्या अधिकार मिलते हैं।

इस मामले में याचिकाकर्ता उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में चपरासी के पद पर कार्यरत थे। 2006 में उनके और उनके परिवारजनों पर दहेज हत्या (धारा 304B और 34 आईपीसी) का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज हुई। 2015 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और वे जेल चले गए।

1 सितंबर 2015 को उन्हें जमानत मिली और 8 सितंबर को जेल से रिहा हुए। 9 सितंबर को उन्होंने बैंक में फिर से ज्वॉइनिंग देने की कोशिश की, लेकिन बैंक ने 15 अक्टूबर को बर्खास्तगी का नोटिस भेजा। 27 नवंबर 2015 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

बाद में उन्होंने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, जिसमें 2 जनवरी 2019 को उन्हें बरी कर दिया गया। तब तक वे सेवानिवृत्त हो चुके थे। उन्होंने हाईकोर्ट से दो reliefs मांगे:

  1. सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द किया जाए।
  2. 9 सितंबर 2015 से वेतन का भुगतान किया जाए, क्योंकि उन्होंने उस दिन से ड्यूटी जॉइन करनी चाही थी।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बैंक के सेवा नियमों के अनुसार आपराधिक दोषसिद्धि अपने आप में सेवा से हटाने का आधार है, भले ही विभागीय जांच न हुई हो। लेकिन एक बार दोषमुक्ति हो जाने के बाद वह अयोग्यता समाप्त हो जाती है।

हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि वेतन का अधिकार केवल दोषमुक्ति के बाद सेवा जॉइन करने की पेशकश पर ही बनता है, न कि सिर्फ जमानत पर रिहा होकर। चूंकि याचिकाकर्ता ने ज्वॉइनिंग उस समय दी थी जब वे अभी भी दोषी थे, इसलिए उन्हें उस अवधि का वेतन नहीं मिल सकता।

कोर्ट ने यह जरूर माना कि अब जबकि वे दोषमुक्त हो चुके हैं, उन्हें सेवानिवृत्त लाभ जैसे पेंशन आदि देने में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। बैंक को चार हफ्तों के भीतर आवेदन लेकर तीन महीने के अंदर उनका निपटान करने का निर्देश दिया गया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला सरकारी कर्मचारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए मार्गदर्शक है। यह स्पष्ट करता है कि यदि किसी कर्मचारी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराकर सेवा से हटाया गया है, लेकिन वह बाद में बरी हो जाता है, तो उसे सेवानिवृत्त लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता।

इससे यह भी स्पष्ट होता है कि बर्खास्तगी के खिलाफ अदालत में अपील लंबित रहते हुए यदि कर्मचारी सेवा में लौटना चाहता है, तो उसे दोषमुक्ति के बाद ही वैध रूप से ऐसा करने का अधिकार प्राप्त होता है।

सरकारी संस्थाओं के लिए यह निर्णय यह बताता है कि ऐसे मामलों में किस प्रकार नियमों के तहत कार्यवाही करनी चाहिए और दोषमुक्त कर्मचारियों को लाभ कैसे दिए जाएं।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या दोषसिद्ध कर्मचारी जमानत के बाद सेवा में लौटने की पेशकश करके वेतन का हकदार होता है?
    • निर्णय: नहीं, वेतन का अधिकार केवल दोषमुक्ति के बाद सेवा में लौटने की वैध पेशकश पर बनता है।
  • क्या दोषमुक्त होने के बाद बर्खास्त कर्मचारी को सेवानिवृत्त लाभ मिल सकते हैं?
    • निर्णय: हाँ, क्योंकि अब उस पर कोई अयोग्यता नहीं है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Raj Narayan Vs. Union of India, Civil Appeal No. 3339 of 2019
  • Ranchhorji Chaturji Thakore Vs. Superintending Engineer, Gujarat Electricity Board, Himmatnagar & Ors., (1996) 11 SCC 60.

मामले का शीर्षक

Tarkeshwa Pandey Vs. Uttar Bihar Gramin Bank & Ors.

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 17545 of 2015

उद्धरण (Citation)

2020 (1) PLJR 214

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री शशि भूषण कुमार-मंगलम (याचिकाकर्ता की ओर से)
  • श्री प्रभाकर झा एवं श्री मुकुंद मोहन झा (प्रतिवादियों की ओर से)

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTc1NDUjMjAxNSMxI04=-LJW–am1–mSpGyc4=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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