पटना हाई कोर्ट 2021: बिहार वैट कर विवाद में रिट खारिज, अपील दायर करने का निर्देश

पटना हाई कोर्ट 2021: बिहार वैट कर विवाद में रिट खारिज, अपील दायर करने का निर्देश

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला बिहार मूल्य संवर्धित कर अधिनियम, 2005 (Bihar VAT Act, 2005) से जुड़ा है। याचिकाकर्ता एक ऑटोमोबाइल व्यवसायी है, जिसने दिसंबर 2019 में जारी कर मांग नोटिस को चुनौती दी थी। यह नोटिस आकलन वर्ष 2012-13 से संबंधित था।

याचिकाकर्ता का कहना था कि यह मांग नोटिस बिना सुनवाई का अवसर दिए जारी किया गया, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। साथ ही, इस आदेश से उनकी अपील का अधिकार (धारा 72 के तहत) बाधित हो गया। इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट में रिट याचिका (CWJC No. 6727 of 2020) दायर कर नोटिस को रद्द करने की मांग की।

राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि:

  • कर देयता जैसे तथ्यात्मक विवादों पर फैसला हाई कोर्ट रिट में नहीं कर सकता।
  • VAT कानून में अपील का पूरा प्रावधान (धारा 73(A)) उपलब्ध है, जिसे याचिकाकर्ता ने इस्तेमाल नहीं किया।
  • प्राकृतिक न्याय से जुड़ा सवाल भी अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अधिक प्रभावी ढंग से उठाया जा सकता है।

कोर्ट ने राज्य की दलीलों से सहमति जताई। दो जजों की पीठ (माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय कौल और माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार) ने कहा कि जब कानून में वैकल्पिक और प्रभावी उपाय मौजूद है, तो हाई कोर्ट को सीधे हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

हालाँकि, यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता का बैंक खाता पहले से जब्त था और मामला पुराना था, कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति से निम्नलिखित व्यवस्था की:

  1. याचिकाकर्ता को निर्देश दिया गया कि वे 8 मार्च 2021 तक VAT अधिनियम की धारा 73(A) के तहत उचित प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर करें।
  2. अगर अपील समय पर दायर की जाती है, तो प्राधिकारी दो सप्ताह में अंतरिम राहत पर फैसला करेगा।
  3. मुख्य कार्यवाही 31 मार्च 2021 तक समाप्त करनी होगी क्योंकि यह 2012-13 से जुड़ा मामला है।
  4. यदि कोई राशि रिफंड योग्य पाई जाती है, तो अधिकारी उसे समयसीमा में वापस करेंगे।
  5. कोविड-19 महामारी के कारण सुनवाई डिजिटल माध्यम से भी हो सकती है।
  6. अपील की समयसीमा बाधा नहीं बनेगी, बशर्ते यह निर्धारित अवधि में दायर हो।
  7. याचिकाकर्ता को आगे उच्चतर कानूनी उपाय अपनाने की स्वतंत्रता भी दी गई।

इस तरह, कोर्ट ने रिट याचिका खारिज कर दी और अपील दाखिल करने का मार्ग प्रशस्त किया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • करदाताओं के लिए: यह फैसला बताता है कि कर विवादों में पहले वैधानिक अपील का रास्ता अपनाना ज़रूरी है। सीधे हाई कोर्ट जाने पर राहत नहीं मिलेगी।
  • सरकार और कर प्रशासन के लिए: यह निर्णय कर प्रणाली को मज़बूती देता है और सुनिश्चित करता है कि प्रक्रियाओं को दरकिनार कर कोर्ट का इस्तेमाल न हो।
  • आम जनता के लिए: यह दिखाता है कि न्यायालय कैसे संतुलन बनाते हैं—एक ओर कर कानून की प्रक्रिया का सम्मान और दूसरी ओर करदाता के अधिकारों की सुरक्षा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या कर मांग नोटिस को सीधे रिट याचिका में चुनौती दी जा सकती है जबकि अपील का प्रावधान मौजूद है?
    • निर्णय: नहीं। पहले अपील करनी होगी।
  • क्या प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का सवाल सीधे रिट में उठाया जा सकता है?
    • निर्णय: नहीं। इसे अपील में अधिक प्रभावी तरीके से उठाया जा सकता है।
  • क्या कोर्ट ने राहत दी?
    • निर्णय: हाँ, कोर्ट ने अपील दायर करने की समयसीमा तय की और अंतरिम राहत व रिफंड के लिए निर्देश दिए।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • सामान्य सिद्धांत कि वैकल्पिक उपाय उपलब्ध होने पर रिट याचिका नहीं चलेगी

मामले का शीर्षक

M/s Anand Automobiles बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

CWJC No. 6727 of 2020

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 743

न्यायमूर्ति गण का नाम

  • माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय कौल
  • माननीय श्री न्यायमूर्ति एस. कुमार (निर्णय दिनांक 19-02-2021)

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री संजेश प्रसाद, अधिवक्ता
  • प्रतिवादी राज्य की ओर से: श्री विकास कुमार, स्थायी अधिवक्ता-11

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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