बिना उचित कारण बताए ब्लैकलिस्ट करने का आदेश रद्द — पटना हाईकोर्ट का फैसला

बिना उचित कारण बताए ब्लैकलिस्ट करने का आदेश रद्द — पटना हाईकोर्ट का फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक प्रिंटिंग कॉन्ट्रैक्टर को ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि ब्लैकलिस्ट करने से पहले न तो उचित शो-कॉज नोटिस दिया गया और न ही उस व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का अवसर मिला। इससे न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ।

मामले में याचिकाकर्ता एक प्रिंटिंग प्रेस है जो जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा के लिए सामग्री छापने का कार्य कर रही थी। विभाग ने 25 जनवरी 2024 को एक पत्र भेजा जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता द्वारा गैरकानूनी रूप से कुछ सामग्री रखी गई है और उसे तुरंत उठाया जाए, नहीं तो ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। लेकिन इस पत्र में कोई स्पष्ट आरोप या कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

बिना किसी अन्य नोटिस या सुनवाई के, विभाग ने एक सार्वजनिक सूचना जारी कर याचिकाकर्ता को ब्लैकलिस्ट कर दिया। इस आदेश को याचिकाकर्ता ने कोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट ने कहा कि—

  • 25.01.2024 का पत्र एक सही शो-कॉज नोटिस नहीं था।
  • इसमें न तो आरोपों का विवरण था, न ही संभावित सजा का उल्लेख।
  • सार्वजनिक सूचना में भी यह नहीं बताया गया कि किस कारण से ब्लैकलिस्ट किया गया।
  • याचिकाकर्ता को अपने पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं मिला।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला दिया जैसे कि Oryx Fisheries Pvt. Ltd. v. Union of India, Gorkha Security Services v. Govt. of NCT of Delhi, और Erusian Equipment v. State of West Bengal, जिनमें कहा गया है कि—

  1. शो-कॉज नोटिस में स्पष्ट आरोप और प्रस्तावित कार्रवाई होनी चाहिए।
  2. नोटिस प्राप्त करने वाले को यह विश्वास होना चाहिए कि उसे निष्पक्ष सुनवाई मिलेगी।
  3. ब्लैकलिस्टिंग जैसे गंभीर मामलों में कानून और निष्पक्षता का पालन अनिवार्य है।

कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि ब्लैकलिस्ट करने का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और इसे रद्द किया जाता है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि विभाग चाहे तो उचित प्रक्रिया के तहत नया नोटिस जारी कर सकता है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि कोई भी सरकारी संस्था किसी नागरिक या व्यवसायी के खिलाफ गंभीर कार्रवाई करने से पहले उसे सुनवाई का पूरा मौका दे। ब्लैकलिस्टिंग जैसी कार्रवाई से व्यक्ति के व्यापार, प्रतिष्ठा और आजीविका पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हर प्रक्रिया न्यायसंगत हो।

इस निर्णय से बिहार में काम कर रहे छोटे व्यवसायों और सप्लायर्स को राहत मिलेगी जो अक्सर बिना सुनी गई कार्रवाई का सामना करते हैं। वहीं सरकारी विभागों को यह चेतावनी भी है कि वे केवल औपचारिकता के नाम पर कार्रवाई न करें, बल्कि हर आदेश की वैधानिकता और प्रक्रिया का पालन करें।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या याचिकाकर्ता को वैध शो-कॉज नोटिस दिया गया था?
    नहीं। केवल सामग्री हटाने की चेतावनी दी गई थी, आरोप या प्रस्तावित कार्रवाई नहीं बताई गई थी।
  • क्या ब्लैकलिस्टिंग का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है?
    हाँ। याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं मिला।
  • क्या यह आदेश वैध प्रक्रिया के बिना टिक सकता है?
    नहीं। इसे रद्द कर दिया गया।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Oryx Fisheries (P) Ltd. v. Union of India, (2010) 13 SCC 427
  • Gorkha Security Services v. Govt. (NCT of Delhi), (2014) 9 SCC 105
  • Erusian Equipment & Chemicals Ltd. v. State of West Bengal, (1975) 1 SCC 70

मामले का शीर्षक
M/s Vijayshree Press v. The State of Bihar & Others

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 2517 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश
माननीय श्री न्यायमूर्ति हरीश कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री प्रशांत सिन्हा, अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
  • श्री विकास कुमार, अधिवक्ता (प्रतिवादी की ओर से)

निर्णय का लिंक
https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/1b6ae3d0-ff53-44f0-90af-8ef50642720e.pdf&search=Blacklisting

यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।

Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News