पटना हाईकोर्ट ने ठेकेदार की ब्लैकलिस्टिंग की अवधि को दो साल तक सीमित किया

पटना हाईकोर्ट ने ठेकेदार की ब्लैकलिस्टिंग की अवधि को दो साल तक सीमित किया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें जेलों को सामग्री सप्लाई करने वाले एक सरकारी ठेकेदार की ब्लैकलिस्टिंग को लेकर सवाल उठा था। ठेकेदार का दावा था कि टेंडर में दरें कंप्यूटर की गलती से गलत छप गईं, इसलिए वह सामान नहीं दे सका, और उसे ब्लैकलिस्ट करना अनुचित है।

यह ठेकेदार बिहार सरकार के जेल विभाग के एक टेंडर में हिस्सा लिया था जिसमें गया केंद्रीय कारा और शेरघाटी उपकारा के लिए 2022–23 में हरी सब्ज़ियाँ, अनाज और अन्य जरूरी चीजें सप्लाई करनी थी। टेंडर में उसने अधिकांश चीजों की दर ₹82/- लिख दी थी, जो उसने गलती बताया। उसने 1 मई 2022 को जेल खरीद समिति को पत्र लिखा कि दरों में गलती हो गई है और इसमें सुधार किया जाए।

परंतु समिति ने इस गलती को मान्यता नहीं दी और ठेकेदार की बोली को सबसे कम होने के कारण स्वीकार कर लिया। उसे 6.5 लाख रुपये की बैंक गारंटी देने और सप्लाई शुरू करने का निर्देश मिला। बावजूद इसके, ठेकेदार ने कोई सामान नहीं भेजा।

जून 2022 में उसे कई बार याद दिलाया गया, पर जब उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो समिति ने बैठक कर कार्रवाई का फैसला लिया। अंततः 27 दिसंबर 2022 को जेल अधीक्षक ने उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया और उसकी सुरक्षा राशि जब्त कर ली।

ठेकेदार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उसने कोई समझौता (एग्रीमेंट) नहीं किया था, इसलिए उसे बाध्य नहीं किया जा सकता था। साथ ही यह भी कहा कि ब्लैकलिस्टिंग की कोई समय सीमा नहीं दी गई, जिससे वह हमेशा के लिए सरकारी टेंडरों से बाहर हो सकता है।

कोर्ट ने माना कि एक बार टेंडर स्वीकृत होने के बाद, ठेकेदार को सप्लाई देना ज़रूरी था। उसकी निष्क्रियता के कारण जेल प्रशासन को परेशानी हुई और कैदियों के लिए जरूरी सामान नहीं मिल सका। हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि ब्लैकलिस्टिंग हमेशा के लिए नहीं होनी चाहिए।

इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि ब्लैकलिस्टिंग की अवधि दो वर्ष होगी — अर्थात 27 दिसंबर 2022 से 26 दिसंबर 2024 तक ही प्रभावी रहेगी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला सरकारी आपूर्ति और टेंडर प्रक्रिया से जुड़े सभी ठेकेदारों और अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल तकनीकी या टाइपिंग की गलती बताकर कोई ठेकेदार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।

सरकार के लिए यह निर्णय अहम है क्योंकि यह दर्शाता है कि आवश्यक सेवाओं (जैसे जेल में खाद्य आपूर्ति) में चूक होने पर कड़ा कदम उठाना ज़रूरी है। वहीं जनता और ठेकेदारों के लिए यह सन्देश है कि किसी गलती के बाद भी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है और निष्क्रियता का परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या टेंडर स्वीकृति के बाद ठेकेदार दरों की गलती के आधार पर आपूर्ति से इनकार कर सकता है?
    ❌ नहीं, कोर्ट ने कहा कि बोली स्वीकृत होने के बाद ठेकेदार बाध्य होता है।
  • क्या अनिश्चित काल के लिए ब्लैकलिस्टिंग वैध है?
    ✔️ आंशिक रूप से। कोर्ट ने ब्लैकलिस्टिंग को उचित माना लेकिन उसकी अवधि दो साल तय की।
  • क्या सुरक्षा राशि की जब्ती वैध थी?
    ✔️ हाँ, चूंकि ठेकेदार ने कोई आपूर्ति नहीं की, इसलिए जब्ती न्यायोचित है।

मामले का शीर्षक
Sanjeev Ranjan v. The State of Bihar & Ors.

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.13788 of 2023

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रॉय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री सतीश कुमार सिन्हा — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री मो. नदीम सिराज (GP 5) — राज्य की ओर से

निर्णय का लिंक
https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/5a21c754-a4d5-4a40-bc4b-66e0a89f9d75.pdf&search=Blacklisting

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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