पटना हाई कोर्ट ने ठेकेदार कंपनी पर लगे 10 साल के ब्लैकलिस्टिंग आदेश को रद्द किया

पटना हाई कोर्ट ने ठेकेदार कंपनी पर लगे 10 साल के ब्लैकलिस्टिंग आदेश को रद्द किया

निर्णय की सरल व्याख्या

इस मामले में एक निजी निर्माण कंपनी ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने बिहार राज्य शैक्षणिक अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) द्वारा उस पर लगाए गए 10 वर्षों के ब्लैकलिस्टिंग आदेश को चुनौती दी थी।

मामला इस बात से शुरू हुआ कि निगम ने आरोप लगाया कि कंपनी ने एक सरकारी टेंडर में भाग लेने के दौरान झूठा अनुभव प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। इसके आधार पर, मुख्य अभियंता द्वारा 25 जनवरी 2023 को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और बाद में 11 मई 2023 को कंपनी को 10 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह कार्रवाई न केवल अधिकार क्षेत्र से बाहर थी, बल्कि बिना उचित प्रक्रिया के की गई थी। इतना गंभीर दंड देने से पहले, संबंधित प्राधिकारी को प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करनी चाहिए थी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों ने यह भी बताया कि एक समान मामला पहले ही पटना उच्च न्यायालय द्वारा CWJC No. 12290/2023 में 7 अक्टूबर 2023 को निपटाया जा चुका है, जिसमें ब्लैकलिस्टिंग आदेश रद्द कर दिया गया था। इस तर्क को राज्य की ओर से उपस्थित वकील ने भी नहीं झुठलाया।

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, माननीय न्यायाधीशों ने माना कि याचिकाकर्ता ने हस्तक्षेप करने योग्य मामला बनाया है और पहले दिए गए निर्णय को लागू करते हुए इस याचिका को स्वीकार कर लिया। अदालत ने 25.01.2023 का कारण बताओ नोटिस और 11.05.2023 का ब्लैकलिस्टिंग आदेश दोनों को रद्द कर दिया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय खासतौर से बिहार में सरकारी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाले ठेकेदारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह साफ संदेश देता है कि सरकारी एजेंसियां यदि किसी कंपनी पर गंभीर कार्रवाई करना चाहती हैं, जैसे कि ब्लैकलिस्ट करना, तो उन्हें प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना होगा और अधिकार क्षेत्र में रहकर निर्णय लेना होगा।

आम जनता के लिए यह निर्णय यह भरोसा देता है कि न्यायालय मनमानी और बिना सुनवाई के किए गए सरकारी फैसलों पर निगरानी रखता है। सरकार के लिए यह एक सीख है कि प्रशासनिक अनुशासन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना आवश्यक है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या मुख्य अभियंता को कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का अधिकार था?
    • न्यायालय ने कहा कि यह आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर था और अमान्य है।
  • क्या ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया कानूनी रूप से सही थी?
    • न्यायालय ने प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण और अन्यायपूर्ण माना।
  • क्या पिछले समान मामले का पालन करना उचित था?
    • हां, न्यायालय ने CWJC No. 12290/2023 के फैसले को लागू किया।
  • क्या कंपनी को नए टेंडर में भाग लेने से रोका जा सकता था?
    • ब्लैकलिस्टिंग रद्द होने के कारण यह रोक स्वतः समाप्त हो गई।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • CWJC No. 12290/2023 — निर्णय दिनांक 07.10.2023

मामले का शीर्षक

Sarvagya Construction and Developers Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य शैक्षणिक अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड एवं अन्य

केस नंबर

CWJC No. 15686 of 2023

न्यायमूर्ति गण का नाम

  • माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
  • माननीय श्री न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री प्रभात रंजन, श्री अंश प्रसाद, श्री चंदन कुमार
  • प्रत्युत्तरकर्ता की ओर से: श्री गिरीजेश कुमार

निर्णय का लिंक

https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/0934262e-a4a3-40a8-833e-28d5444e8d63.pdf&search=Blacklisting

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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