निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला बिहार मेडिकल सर्विसेज़ एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (BMSICL) के अस्पताल निर्माण से जुड़े टेंडरों को रद्द करने पर आधारित है। कॉरपोरेशन ने कई टेंडर केवल इस आधार पर रद्द कर दिए कि उनमें केवल एक ही बोलीदाता (single bidder) था। बोलीदाताओं ने इस फैसले को चुनौती दी और पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके तकनीकी दस्तावेज़ों की जाँच हो चुकी थी और उन्हें “responsive” पाया गया था, यानी वे योग्य थे। ऐसे में केवल “एक ही बोलीदाता है” कहकर टेंडर को रद्द करना अनुचित और मनमाना है।
सरकार और कॉरपोरेशन की दलील थी कि जब पहली बार टेंडर निकाला गया था, तब कोई बोलीदाता सामने नहीं आया। इसलिए अगली बार निकाला गया टेंडर “पहला टेंडर” माना जाएगा। और अगर पहले टेंडर में सिर्फ एक बोली आती है, तो उसे बिना कारण बताए भी रद्द किया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और स्थिति को स्पष्ट किया। कोर्ट ने कहा:
- अगर वास्तव में यह पहला टेंडर है और उसमें केवल एक बोली आती है, तो केवल “single bidder” के आधार पर रद्द करना मान्य है।
- लेकिन अगर यह दूसरा टेंडर है और उसमें बोलीदाता तकनीकी रूप से योग्य है, तो केवल “single bidder” कहकर टेंडर रद्द नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में बोर्ड को कम से कम संक्षिप्त और स्पष्ट कारण देना आवश्यक है।
इस मामले में, कॉरपोरेशन के बोर्ड ने कोई अतिरिक्त कारण दर्ज नहीं किया था, बल्कि केवल “single bidder” लिखकर टेंडर रद्द कर दिया। यह प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं मानी जा सकती।
हालांकि, कोर्ट ने बोलीदाताओं के पक्ष में टेंडर बहाल करने का आदेश नहीं दिया। इसके बजाय, उसने मामले को वापस कॉरपोरेशन के बोर्ड के पास भेज दिया और कहा कि वे 15 दिनों के अंदर पुनः विचार करें और यदि टेंडर रद्द करना चाहते हैं तो कारण स्पष्ट रूप से लिखें।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों के लिए: यह निर्णय स्पष्ट करता है कि “single bidder” के आधार पर बिना कारण बताए टेंडर रद्द करना केवल पहले टेंडर पर लागू है। दोबारा निकाले गए टेंडर में कारण बताना अनिवार्य है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और मनमानी फैसलों पर रोक लगेगी।
- ठेकेदारों और कंपनियों के लिए: अब यदि दूसरा टेंडर है और केवल एक ही योग्य बोली आती है, तो कॉरपोरेशन को उसे ठुकराने से पहले ठोस कारण देना होगा। इससे व्यापारियों को भरोसा मिलेगा कि उनकी बोली को निष्पक्ष रूप से परखा जाएगा।
- आम जनता के लिए: अस्पताल निर्माण जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे होंगे क्योंकि बिना वजह टेंडर रद्द करने की प्रवृत्ति कम होगी। इसका सीधा असर बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या दूसरा टेंडर केवल “single bidder” कहकर रद्द किया जा सकता है?
- निर्णय: नहीं। अगर बोलीदाता तकनीकी रूप से योग्य है तो कारण लिखना ज़रूरी है।
- न्यायिक समीक्षा का दायरा कितना है?
- निर्णय: सीमित है। लेकिन अगर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है या कारण नहीं दिए गए हैं, तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है।
- उचित राहत क्या होगी?
- निर्णय: कोर्ट ने सीधे टेंडर बहाल नहीं किया, बल्कि मामले को बोर्ड के पास भेजा और 15 दिनों में कारण सहित पुनः विचार करने का निर्देश दिया।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- State of Jharkhand v. CWE-SOMA Consortium, (2016) 14 SCC 172
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- कोई विशेष उल्लेख नहीं; सामान्य सिद्धांत और नियमों का प्रयोग किया गया।
मामले का शीर्षक
याचिकाकर्ता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (BMSICL सहित)
केस नंबर
- CWJC No. 7166 of 2020 (मुख्य मामला)
- CWJC No. 7846 of 2020
- CWJC No. 7856 of 2020
- CWJC No. 7921 of 2020
उद्धरण (Citation)
2021(1)PLJR 735
न्यायमूर्ति गण का नाम
- माननीय श्री न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय (मौखिक निर्णय दिनांक 04-02-2021)
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ताओं की ओर से: श्री शशि भूषण कुमार मंगलम, अधिवक्ता
- राज्य/प्रतिवादियों की ओर से: श्री ललित किशोर, महाधिवक्ता; श्री एस.डी. यादव, एएजी-9; श्री ब्रज भूषण मिश्रा, एसी टू एएजी-9
- बीएमएसआईसीएल की ओर से: श्री विकास कुमार, अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNzE2NiMyMDIwIzEjTg==-YH7D5BBmD
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