बोली में यूनिट की गलती पर ठेकेदार को तीन साल के लिए काली सूची में डाला: पटना हाईकोर्ट का फैसला

बोली में यूनिट की गलती पर ठेकेदार को तीन साल के लिए काली सूची में डाला: पटना हाईकोर्ट का फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक ठेकेदार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने बिजली कंपनी द्वारा उसे तीन साल के लिए टेंडरों से बाहर करने के फैसले को चुनौती दी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी निविदाओं (tenders) में दी गई शर्तों का पालन करना जरूरी है, और उसमें हुई गलती को सामान्य टाइपिंग की गलती नहीं माना जा सकता।

मामला उत्तर बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (NBPDCL) द्वारा जारी एक टेंडर से जुड़ा है। इस टेंडर में DPC एल्युमिनियम वायर सप्लाई करने के लिए बोली मंगाई गई थी। शर्तों के अनुसार सभी बोलीदाता को “प्रति मीट्रिक टन” की दर से मूल्य (rate) देना था, लेकिन याचिकाकर्ता ने गलती से “प्रति किलोग्राम” की दर से बोली भर दी।

बोली जांच के दौरान यह गलती सामने आई। याचिकाकर्ता ने कंपनी को पत्र लिखकर कहा कि उसने जो दर प्रति किलोग्राम में दी है, उसे मीट्रिक टन में मान लिया जाए, और इसका नया हिसाब भी दिया। परंतु कंपनी ने इसे नियमों के खिलाफ मानते हुए, बोली बदलने (modification) का मामला माना और नियम 1.10(d) के तहत उस पर तीन साल के लिए प्रतिबंध (blacklisting) लगा दिया।

पहले भी याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने कंपनी को पुनर्विचार का आदेश दिया था। लेकिन दोबारा विचार करने के बाद भी कंपनी ने वही निर्णय दोहराया। अब दूसरी बार हाईकोर्ट ने मामले की पूरी जांच कर यह याचिका खारिज कर दी।

कोर्ट ने माना कि “प्रति किलोग्राम” के बजाय “प्रति मीट्रिक टन” में दर देना एक बुनियादी शर्त थी। इसे टाइपिंग मिस्टेक कहकर टाला नहीं जा सकता। साथ ही बोली में बाद में बदलाव करने की अनुमति नहीं है। चूंकि नियम 1.10(d) में यह स्पष्ट है कि ऐसी स्थिति में 3 से 5 साल तक की सस्पेंशन हो सकती है, इसलिए कंपनी का फैसला सही है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

इस फैसले का सबसे बड़ा संदेश यह है कि सरकारी टेंडर की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्त नियमों का पालन जरूरी है। छोटी गलती भी यदि बुनियादी शर्त से जुड़ी हो तो उसका असर गंभीर हो सकता है।

ठेकेदारों और कंपनियों को यह समझना जरूरी है कि टेंडर की हर शर्त, विशेषकर तकनीकी रूप से, बेहद मायने रखती है। सरकार की ओर से यह निर्णय प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखने की दृष्टि से उचित माना जा सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या प्रति किलोग्राम में मूल्य देना टाइपिंग की गलती थी या गंभीर त्रुटि?
    ✔ कोर्ट ने माना कि यह गंभीर त्रुटि थी। यह टेंडर की मूल शर्त का उल्लंघन है।
  • क्या बोली के बाद कीमत में बदलाव करना नियमों के खिलाफ है?
    ✔ हां। नियम 1.10(d) के अनुसार यह बदलाव सजा योग्य है और बोलीदाता को 3 साल तक टेंडरों से बाहर किया जा सकता है।
  • क्या 3 साल की सजा कठोर है?
    ✔ कोर्ट ने कहा कि यह न्यूनतम सजा है, और जब तक नियम को चुनौती नहीं दी जाती, कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
  • क्या बोली की गलती का असर बोली परिणाम पर पड़ता है?
    ✔ नहीं। याचिकाकर्ता यदि सही यूनिट में दर देता, तब भी वह सबसे सस्ती बोली नहीं होती। फिर भी नियम का उल्लंघन महत्वपूर्ण है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • CWJC No. 2991 of 2019 – Aarpee Infra Projects Pvt. Ltd. बनाम राज्य बिहार
  • Supreme Infrastructure India Ltd. बनाम रेल विकास निगम लिमिटेड

मामले का शीर्षक

M/s Balaji Enterprises बनाम North Bihar Power Distribution Company Ltd. व अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 810 of 2023

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री एस. डी. संजय (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्रीमती पारुल प्रसाद, सुश्री सुष्मिता मिश्रा
  • प्रत्युत्तर प्रतिवादी की ओर से: श्री विनय कीर्ति सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री विजय कुमार वर्मा, श्री अखिलेश्वर सिंह

निर्णय का लिंक

https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/b078afef-ea34-437c-99e0-3ed150911b27.pdf&search=Debarment

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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