निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने डानापुर, बिहार के एक निजी स्कूल की CBSE मान्यता रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। यह मामला वर्ष 2017 में एक बच्ची से यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद उठे विवाद पर आधारित था। स्कूल की मान्यता पहले CBSE ने सुरक्षा में चूक और आधारभूत संरचना की कमियों के आधार पर रद्द कर दी थी।
स्कूल ने पहले भी इस निर्णय को चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने यह कहते हुए CBSE का आदेश रद्द कर दिया था कि वह बिना तर्क के और अस्पष्ट था। कोर्ट ने CBSE को निर्देश दिया था कि स्कूल की जवाबी दलीलों पर विचार कर कानून के अनुसार नया आदेश पारित करें।
CBSE ने इसके बाद फरवरी 2019 और फिर मई 2019 में नया आदेश पारित किया, जिसमें पहले के निष्कर्षों को दोहराया गया। स्कूल ने इसे फिर से कोर्ट में चुनौती दी, यह कहते हुए कि CBSE ने न कोई स्वतंत्र जांच की और न ही स्कूल की दलीलों पर ठीक से विचार किया, बल्कि राज्य सरकार की जांच रिपोर्ट पर पूरी तरह निर्भर रहा — जिसकी वैधता पहले ही सवालों में थी क्योंकि राज्य ने NOC वापस लेने का अपना फैसला भी वापस ले लिया था।
अदालत के मुख्य बिंदु:
- CBSE द्वारा कोई स्वतंत्र जांच नहीं की गई – पूरी कार्रवाई राज्य सरकार की रिपोर्ट पर आधारित थी, जबकि CBSE को खुद से तथ्यों की जांच करनी थी।
- प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन – हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद CBSE ने न तो स्कूल की बात सुनी, न ही निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई।
- मान्यता रद्द करना एक गंभीर निर्णय है – ऐसी कार्रवाई केवल पुख्ता और न्यायसंगत प्रक्रिया के तहत ही की जा सकती है।
न्यायालय ने CBSE के दिनांक 7 मई 2019 के आदेश को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि यदि CBSE चाहे तो वह 60 दिनों के भीतर स्वतंत्र जांच कर उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत नया निर्णय ले। यदि 60 दिनों में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो माना जाएगा कि CBSE के पास अब कोई आरोप नहीं है और स्कूल की सभी सुविधाएं बहाल मानी जाएंगी।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को यह आश्वासन देता है कि केवल बाहरी रिपोर्टों के आधार पर किसी स्कूल की मान्यता रद्द नहीं की जा सकती। CBSE जैसे बड़े बोर्डों को भी निष्पक्षता और कानून का पालन करना होगा।
यह फैसला पूरे देश के स्कूलों के लिए एक उदाहरण है कि गंभीर आरोपों के मामलों में भी जवाब देने का अवसर मिलना, निष्पक्ष जांच होना, और स्वतंत्र निर्णय लिया जाना जरूरी है। इससे शिक्षा संस्थानों की साख और छात्रों के भविष्य की रक्षा होती है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या CBSE ने स्वतंत्र जांच की?
❌ नहीं। उन्होंने केवल राज्य सरकार की रिपोर्ट पर भरोसा किया। - क्या हाईकोर्ट के पहले आदेश का पालन किया गया?
❌ नहीं। नया आदेश पुराने निष्कर्षों को ही दोहराता है। - क्या CBSE फिर से जांच कर सकता है?
✅ हाँ। लेकिन 60 दिनों के भीतर उचित प्रक्रिया अपनानी होगी। - अगर 60 दिनों में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो?
✅ स्कूल की मान्यता स्वतः बहाल मानी जाएगी।
मामले का शीर्षक
Holy Cross International School v. Union of India & Ors.
केस नंबर
CWJC No. 8353 of 2019
उद्धरण (Citation)
2020 (3) PLJR 427
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री संजय सिंह, श्री अपूर्व हर्ष, श्री मनु त्रिपाठी – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री संजय कुमार (राज्य की ओर से)
श्री विजय कृष्ण त्रिपाठी – CBSE की ओर से
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/vieworder/MTUjODM1MyMyMDE5IzMjTg==-yGB4TUTB–ak1–3Q=
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