पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बिना ठोस सबूत के CDPO पर कार्रवाई अवैध करार

पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बिना ठोस सबूत के CDPO पर कार्रवाई अवैध करार

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (CDPO) के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई को खारिज कर दिया है। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने अधीन काम करने वाली आंगनबाड़ी सेविकाओं से ₹3,000 प्रति केंद्र की अवैध वसूली की मांग की थी।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब भोजपुर जिले की कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं ने जिलाधिकारी को एक शिकायत सौंपी। इसमें कहा गया था कि CDPO के कार्यालय के हेड क्लर्क ने पैसों की मांग की है, संभवतः CDPO के कहने पर। CDPO ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि उन्होंने सिर्फ सेवाओं में लापरवाही पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

जांच की शुरुआत हुई, लेकिन जल्द ही 71 आंगनबाड़ी सेविकाओं ने बयान दिया कि उनके हस्ताक्षर शिकायत पत्र में धोखे से लिए गए थे। जांच अधिकारी (अतिरिक्त समाहर्ता) ने माना कि स्थिति स्पष्ट नहीं है और किसी निष्कर्ष पर पहुँचना मुश्किल है।

इसके बावजूद, विभाग ने CDPO के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की। चार्जशीट दी गई, लेकिन जांच के दौरान किसी भी गवाह की गवाही नहीं हुई और न ही शिकायतकर्ता सेविकाओं को बुलाया गया। केवल दो दस्तावेज़—शिकायत पत्र और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट—को ही साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया।

जांच अधिकारी ने बिना प्रत्यक्ष साक्ष्य के आरोप सही माना और CDPO को वेतनमान की न्यूनतम श्रेणी में ला दिया गया। CDPO की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई।

इस आदेश को CDPO ने पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने पाया कि पूरी विभागीय प्रक्रिया दोषपूर्ण और सबूतविहीन थी। शिकायत में खुद CDPO का सीधा नाम नहीं था और 71 सेविकाओं ने आरोपों से इनकार किया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में बिना गवाह और साक्ष्य के कार्रवाई करना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।

अंततः कोर्ट ने विभागीय दंड और पुनर्विचार याचिका की अस्वीकृति दोनों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने CDPO को सभी लाभ देने का आदेश दिया और विभाग पर ₹10,000 का हर्जाना भी लगाया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय सरकारी अधिकारियों के खिलाफ होने वाली विभागीय कार्रवाई में निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया की अनिवार्यता को रेखांकित करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी कर्मचारी के साथ बिना प्रमाण के अन्याय नहीं हो सकता।

आम जनता के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है कि न्यायालय ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है और प्रशासन को सही प्रक्रिया अपनाने के लिए बाध्य कर सकता है। सरकार के लिए यह निर्णय एक चेतावनी है कि विभागीय जांच सिर्फ औपचारिकता न होकर निष्पक्ष और प्रमाण आधारित होनी चाहिए।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या बिना प्रत्यक्ष साक्ष्य के विभागीय जांच वैध थी?
    • निर्णय: नहीं। बिना गवाहों और ठोस सबूत के जांच असंवैधानिक थी।
  • क्या लगाया गया दंड उचित था?
    • निर्णय: नहीं। दंड को कोर्ट ने रद्द कर दिया।
  • क्या CDPO को लाभ और हर्जाना मिलना चाहिए?
    • निर्णय: हाँ। कोर्ट ने ₹10,000 हर्जाना और सभी लाभ बहाल करने का आदेश दिया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Ajoy Kumar vs. The State of Bihar, 2011(3) PLJR 430

मामले का शीर्षक

Kumari Reeta @ Reeta Kumari vs. The State of Bihar & Others

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 14412 of 2019

उद्धरण (Citation)

2020 (1) PLJR 65

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री बिंध्याचल सिंह, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री प्रशांत सिन्हा, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री ज्ञान प्रकाश ओझा, सरकारी अधिवक्ता (GA-7) — राज्य सरकार की ओर से
  • श्री गोपाल, सहायक अधिवक्ता — राज्य सरकार की ओर से

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTQ0MTIjMjAxOSMxI04=-ZgZWj9zlhYQ=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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