निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया कि टैक्स अथॉरिटी द्वारा पारित आदेश के खिलाफ सही रास्ता सीधा हाईकोर्ट में याचिका दायर करना नहीं बल्कि पहले अपीलीय मंच, यानी कि Customs, Excise and Service Tax Appellate Tribunal (CESTAT), में अपील करना है।
इस मामले में याचिकाकर्ता एक कंसल्टेंसी फर्म थी। उस पर टैक्स विभाग ने 22 फरवरी 2021 को आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ता ने इस आदेश को चुनौती देते हुए जनवरी 2022 में पटना हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की और लंबे समय तक अंतरिम राहत पाई रही। लेकिन बाद में उसने अनुरोध किया कि उसे यह याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए ताकि वह वैधानिक अपील दायर कर सके।
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का संज्ञान लिया, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान पूरे देश में लिमिटेशन (समयसीमा) को बढ़ा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था की थी कि सभी अपील और आवेदन दाखिल करने की समयसीमा 28 फरवरी 2022 तक स्थगित रहेगी और उसके बाद भी 90 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा। चूंकि याचिकाकर्ता ने जनवरी 2022 में ही रिट दायर कर दी थी, इसलिए उसे अपील का अधिकार सुरक्षित रहा।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह राहत तो दी कि वह अब CESTAT में अपील दाखिल कर सकती है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जब इतने लंबे समय तक मामले पर रोक लगी रही, तो राजस्व विभाग (Revenue) के हितों की रक्षा करना भी जरूरी है। इसलिए अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को मुख्य टैक्स डिमांड का 50% एक महीने के भीतर जमा करना होगा और उसी अवधि में अपील भी दाखिल करनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो विभाग को कार्रवाई करने की पूरी छूट होगी।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस मामले के मेरिट (मूल विवाद) पर उसने कोई राय नहीं दी है। यह सब मुद्दे अब CESTAT में उठाए जा सकते हैं।
इस प्रकार, पटना हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि अपील का अधिकार बचा रहे, कोविड-19 अवधि के कारण किसी को तकनीकी आधार पर वंचित न किया जाए, और साथ ही सरकार के राजस्व का भी संरक्षण हो।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
इस फैसले का महत्व व्यापक है। कोविड-19 के समय बहुत से लोग समयसीमा पूरी न कर पाने के डर से सीधे हाईकोर्ट चले गए थे। अब यह साफ हो गया है कि ऐसे मामलों में हाईकोर्ट अपील का अधिकार सुरक्षित रखते हुए, सही मंच यानी CESTAT में ही मामले को भेजेगा।
जनता और व्यवसायियों के लिए संदेश यह है कि अगर कोविड-19 अवधि में आपके खिलाफ कोई आदेश पारित हुआ था, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के चलते अपील का अधिकार अभी भी आपके पास सुरक्षित हो सकता है। वहीं सरकार और विभागों के लिए यह निर्णय राहतभरा है क्योंकि अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि लंबे समय तक राहत पाने वाले करदाता (Taxpayer) को कम से कम आधी राशि जमा करनी होगी।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट की बजाय CESTAT में अपील करनी चाहिए थी?
✔️ हां। अदालत ने कहा कि टैक्स मामलों में विशेषज्ञ अपीलीय मंच मौजूद है, इसलिए वहीं जाना उचित है। - क्या कोविड-19 अवधि में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समयसीमा बढ़ाने की सुविधा लागू होगी?
✔️ हां। अदालत ने माना कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी अपीलों के लिए समयसीमा बढ़ाई थी, इसलिए याचिकाकर्ता की अपील वैध रहेगी। - लंबे समय तक अंतरिम राहत मिलने के बाद, क्या शर्तें लगाई जा सकती हैं?
✔️ हां। अदालत ने आदेश दिया कि टैक्स डिमांड का 50% एक महीने में जमा करना होगा और अपील उसी अवधि में दायर करनी होगी।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- In Re: Cognizance for Extension of Limitation, Suo Motu Writ (Civil) No. 3 of 2020 — कोविड-19 के दौरान सुप्रीम कोर्ट का आदेश।
मामले का शीर्षक
M/S Sriwas Consultants Vs. The Union of India
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 1623 of 2022.
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश (K. Vinod Chandran) एवं माननीय न्यायमूर्ति राजीव रॉय।
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्रीमती अर्चना शाही, अधिवक्ता; श्री आलोक कुमार, अधिवक्ता।
- केंद्र सरकार/CGST & CX की ओर से: डॉ. के.एन. सिंह, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल; श्री अंशुमान सिंह; श्री शिवादित्य धारी सिन्हा।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से: श्री राकेश कुमार सिंह, अधिवक्ता।
- LIC Housing Finance Ltd. की ओर से: श्री लक्ष्मण लाल पांडेय, अधिवक्ता।
निर्णय का लिंक
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