पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: शिक्षा सेवा पर CGST जुर्माना रद्द, RTE कानून के तहत सेवा देने वालों को राहत

पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: शिक्षा सेवा पर CGST जुर्माना रद्द, RTE कानून के तहत सेवा देने वालों को राहत

निर्णय की सरल व्याख्या

14 फरवरी 2025 को पटना उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाया, जिसमें एक शिक्षा सेवा प्रदाता पर लगे CGST अधिनियम के तहत जुर्माने को रद्द कर दिया गया। यह सेवा वर्ष 2016–17 में प्रदान की गई थी, यानी जब CGST अधिनियम लागू ही नहीं हुआ था।

याचिकाकर्ता ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क विभाग के सहायक आयुक्त द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ₹6,33,879 का सेवा कर जुर्माना और CGST अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत ₹10,000-₹10,000 के तीन अलग-अलग दंड लगाए गए थे।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि वर्ष 2016–17 में उन्होंने ‘मुक्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ (RTE Act) के तहत एक पात्र शैक्षणिक संस्था को सेवाएं प्रदान की थीं, जो उस समय सेवा कर से छूट में आती थीं। चूंकि उस वर्ष CGST कानून लागू नहीं हुआ था, इसलिए इस अधिनियम के तहत जुर्माना लगाना पूरी तरह अवैध है।

राजस्व विभाग की ओर से यह आपत्ति उठाई गई कि याचिकाकर्ता को पहले अपील करनी चाहिए थी, क्योंकि कानून में वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है। परंतु याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उनका मामला M/S Kanak Automobiles Pvt. Ltd. vs. Union of India जैसे पहले से निर्णयित मामले के अनुरूप है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी 3 जनवरी 2025 को स्वीकार कर लिया था और विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया था।

कोर्ट ने यह पाया कि दोनों मामलों में कर राशि का अंतर केवल मात्रात्मक है—जहां Kanak Automobiles में राशि ₹86 लाख थी, वहीं इस मामले में ₹6.33 लाख थी। इस आधार पर कोर्ट ने Kanak Automobiles मामले को मिसाल मानते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया और पूरा दंड आदेश रद्द कर दिया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय शिक्षा से जुड़े उन संस्थानों और सेवा प्रदाताओं के लिए एक बड़ा राहत भरा संदेश है जो RTE अधिनियम के तहत सरकारी आदेशों का पालन करते हुए सेवाएं प्रदान करते हैं। इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि:

  • कोई भी कानून (जैसे CGST) उसके लागू होने से पहले के कार्यों पर लागू नहीं किया जा सकता।
  • सरकार द्वारा निर्देशित शैक्षणिक कार्य सेवा कर से छूट के पात्र हैं।
  • जब उच्चतम न्यायालय किसी मामले पर फैसला कर चुका हो, तो वैसी ही स्थिति वाले मामलों में बार-बार नए मुकदमे नहीं होने चाहिए।

इससे न सिर्फ बिहार में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में RTE के तहत काम करने वाले शैक्षणिक संगठनों को भी राहत मिल सकती है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या CGST अधिनियम को पूर्व-प्रभाव से लागू किया जा सकता है?
    • निर्णय: नहीं। 2016–17 में यह कानून अस्तित्व में ही नहीं था, इसलिए उसे उस अवधि पर लागू करना गलत है।
  • क्या उस समय प्रदान की गई शैक्षणिक सेवाएं सेवा कर के तहत आती थीं?
    • निर्णय: नहीं। Finance Act, 1994 के तहत यह सेवाएं कर से छूट में थीं।
  • क्या याचिका खारिज होनी चाहिए थी क्योंकि वैकल्पिक उपाय (अपील) मौजूद था?
    • निर्णय: नहीं। मामला पहले से निर्णयित मिसाल पर आधारित था, इसलिए याचिका सही थी।
  • क्या सहायक आयुक्त द्वारा लगाया गया दंड कानूनन वैध था?
    • निर्णय: नहीं। दंड आदेश को पूरी तरह से रद्द किया गया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • M/S Kanak Automobiles Pvt. Ltd. vs. Union of India & Ors.
  • विशेष अनुमति याचिका (SLP) डायरी नं. 54313/2024, निर्णय दिनांक 03.01.2025, सर्वोच्च न्यायालय

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • M/S Kanak Automobiles Pvt. Ltd. vs. Union of India & Ors. (पटना उच्च न्यायालय)
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा SLP खारिज किया जाना (03.01.2025)

मामले का शीर्षक
Pawan Kumar Upmanyu vs. The Union of India & Ors.

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 11975 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
माननीय श्री न्यायमूर्ति सुनील दत्ता मिश्रा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से:

  • श्री संजय कुमार, अधिवक्ता
  • श्री विजय कुमार पांडेय, अधिवक्ता
  • श्री तेजेन्द्र सिन्हा, अधिवक्ता

प्रतिवादियों की ओर से:

  • डॉ. के. एन. सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता
  • श्री अंशुमान सिंह, वरिष्ठ CGST व अधिवक्ता
  • श्री शिवादित्य धारी सिंह, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक
d04c85e3-02a2-4ab8-9354-7baabaf2f30a.pdf

“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News