पटना हाई कोर्ट का फैसला: कोल कंपनी द्वारा अनिश्चितकालीन ब्लैकलिस्टिंग अवैध (2021)

पटना हाई कोर्ट का फैसला: कोल कंपनी द्वारा अनिश्चितकालीन ब्लैकलिस्टिंग अवैध (2021)

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने एक अहम मामले में फैसला सुनाया, जिसमें भवानी कोक इंडस्ट्रीज प्रा. लि. नामक कंपनी ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) द्वारा की गई ब्लैकलिस्टिंग को चुनौती दी थी।

कंपनी को 26 फरवरी 2004 के आदेश से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। कंपनी का कहना था कि यह आदेश मनमाना, अवैध और कानून के खिलाफ है।

याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के तर्क

  • अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) का सवाल: CCL ने कहा कि 30 अप्रैल 2008 के एक समझौते की धारा 18.4 के अनुसार केवल झारखंड हाई कोर्ट, रांची को ही ऐसे विवाद सुनने का अधिकार है। इस तर्क के लिए उन्होंने Central Coalfields Ltd. बनाम Babul Smokeless Fuel Pvt. Ltd. (LPA 788/2009) का हवाला दिया, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
  • कंपनी का जवाब: कंपनी ने कहा कि यह समझौता अब खत्म हो चुका है। इसलिए झारखंड हाई कोर्ट का “विशेष अधिकार क्षेत्र” अब लागू नहीं होता। ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई एफआईआर दर्ज होने के बाद हुई थी और समझौते की अवधि समाप्त हो चुकी थी, इसलिए पटना हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकता है।
  • ब्लैकलिस्टिंग पर तर्क: कंपनी ने कहा कि अनिश्चितकाल के लिए ब्लैकलिस्ट करना सुप्रीम कोर्ट के कानून के खिलाफ हैKulja Industries Ltd. बनाम BSNL [(2014) 14 SCC 731] में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि ब्लैकलिस्टिंग केवल सीमित और उचित समयावधि के लिए ही हो सकती है।

कोर्ट का फैसला

माननीय न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि:

  1. ब्लैकलिस्टिंग का आदेश मनमाना और अवैध है।
  2. किसी कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए ब्लैकलिस्ट करना कानूनन गलत है।
  3. हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने ऐसे ही मामलों में (CWJC No. 24940/2019, 28.01.2021 और CWJC No. 55/2019, 19.10.2020) ब्लैकलिस्टिंग के आदेश रद्द किए थे।

इसलिए अदालत ने 26.02.2004 की ब्लैकलिस्टिंग का आदेश रद्द कर दिया और CCL को निर्देश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार ही काम करें।

कोर्ट ने अपने फैसले में कई सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों पर भरोसा किया, जैसे:

  • Kulja Industries Ltd. बनाम BSNL (2014) 14 SCC 731
  • Daffodiles Pharmaceuticals Ltd. बनाम State of U.P. (Civil Appeal No. 9417/2019, निर्णय 13.12.2019)
  • Vetindia Pharmaceuticals Ltd. बनाम State of U.P. (Civil Appeal No. 3647/2020, निर्णय 06.11.2020)
  • UMC Technologies Pvt. Ltd. बनाम Food Corporation of India (Civil Appeal No. 3687/2020, निर्णय 16.11.2020)

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव

  • व्यापार और कंपनियों के लिए: यह फैसला सुनिश्चित करता है कि सरकारी कंपनियां मनमाने ढंग से किसी फर्म को हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट नहीं कर सकतीं।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) के लिए: ब्लैकलिस्टिंग करते समय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है।
  • उद्योग और व्यापार जगत के लिए: यह विश्वास पैदा करता है कि कोई भी कंपनी बिना वजह या एकतरफा तरीके से “हमेशा के लिए” काम से बाहर नहीं की जाएगी।
  • कानून और न्याय के लिए: यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के बनाए नियमों को लागू करने और न्याय में एकरूपता बनाए रखने का काम करता है।

कानूनी मुद्दे और कोर्ट का निर्णय

  • क्या पटना हाई कोर्ट के पास अधिकार क्षेत्र था?
    निर्णय: हाँ। समझौते की अवधि खत्म हो चुकी थी, इसलिए झारखंड हाई कोर्ट का विशेष अधिकार अब लागू नहीं था।
  • क्या कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए ब्लैकलिस्ट करना सही है?
    निर्णय: नहीं। यह अवैध और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है।
  • क्या राहत दी गई?
    निर्णय: 26.02.2004 का ब्लैकलिस्टिंग आदेश रद्द किया गया। CCL को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही आगे काम करने का आदेश दिया गया।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Central Coalfields Ltd. बनाम Babul Smokeless Fuel Pvt. Ltd., LPA No. 788/2009 (पटना HC, 02.02.2011), सुप्रीम कोर्ट (SLP No. 16777/2011) द्वारा बरकरार रखा गया।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Kulja Industries Ltd. बनाम BSNL (2014) 14 SCC 731
  • Daffodiles Pharmaceuticals Ltd. बनाम State of U.P. (Civil Appeal No. 9417/2019, 13.12.2019)
  • Vetindia Pharmaceuticals Ltd. बनाम State of U.P. (Civil Appeal No. 3647/2020, 06.11.2020)
  • UMC Technologies Pvt. Ltd. बनाम FCI (Civil Appeal No. 3687/2020, 16.11.2020)

मामले का शीर्षक

M/s Bhawani Coke Industries Pvt. Ltd. बनाम Central Coalfields Ltd. & Anr.

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 1641 of 2021

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 197

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री एस.डी. संजय, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री पारुल प्रसाद और श्री मोहित अग्रवाल के साथ — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री विश्व मोहन कुमार सिन्हा — प्रतिवादी (CCL) की ओर से

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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