पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: वाणिज्यिक विवादों में केवल जिला जज ही सुनवाई करेंगे, एडीजे नहीं

पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: वाणिज्यिक विवादों में केवल जिला जज ही सुनवाई करेंगे, एडीजे नहीं

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने 29 नवंबर 2024 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि वाणिज्यिक विवादों से जुड़े मध्यस्थता मामलों की सुनवाई केवल जिला न्यायाधीश (District Judge) ही कर सकते हैं। इस फैसले से उन सभी मामलों पर असर पड़ेगा जहां करोड़ों की राशि को लेकर सरकारी कंपनियों और निजी ठेकेदारों के बीच विवाद होता है।

इस निर्णय में तीन याचिकाएं शामिल थीं। पहली दो याचिकाएं बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड ने दायर की थीं और तीसरी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड द्वारा। इन सभी में एक ही मुख्य सवाल था कि क्या जिला जज किसी वाणिज्यिक विवाद को एडीजे (Additional District Judge) को सौंप सकते हैं?

याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि 2019 में बिहार सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर केवल जिला न्यायाधीश को वाणिज्यिक अदालत (Commercial Court) घोषित किया है। ऐसे में किसी भी वाणिज्यिक विवाद, जिसकी राशि ₹1 करोड़ से अधिक है, की सुनवाई केवल वही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एडीजे को ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है।

इसके विपरीत, उत्तरदाता पक्ष ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 236(a) के अनुसार ‘District Judge’ की परिभाषा में Additional District Judge भी आते हैं और जिला जज को यह अधिकार है कि वे किसी मामले को एडीजे को सौंप सकें।

लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब एक विशेष अधिनियम (जैसे कि Commercial Courts Act, 2015) के तहत विशेष रूप से ‘District Judge’ को ही अधिकार दिया गया है, तो उसमें विस्तार करना या अन्य न्यायाधीशों को शामिल करना सही नहीं होगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक राज्य सरकार की नई अधिसूचना नहीं आती, तब तक वाणिज्यिक अदालत के रूप में सिर्फ जिला जज ही मामलों की सुनवाई कर सकते हैं।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय बिहार के न्यायिक क्षेत्र में वाणिज्यिक मामलों की सुनवाई की प्रक्रिया को साफ करता है। इससे सरकारी विभागों और निजी कंपनियों के बीच अनुबंधों या मध्यस्थता से जुड़े मामलों की सुनवाई सही और निर्धारित अदालत में होगी। यह फैसला यह भी सुनिश्चित करता है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए और अधिकार क्षेत्र की अवहेलना न हो।

सरकारी निकायों के लिए यह एक चेतावनी है कि वे केवल अधिसूचना द्वारा निर्धारित अदालतों में ही अपने वाणिज्यिक मामले प्रस्तुत करें। आम जनता के लिए यह निर्णय कानूनी पारदर्शिता को दर्शाता है और इससे न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा बढ़ेगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या जिला जज वाणिज्यिक मध्यस्थता के मामलों को एडीजे को सौंप सकते हैं?
    कोर्ट ने कहा: नहीं। केवल District Judge ही सक्षम हैं।
  • क्या ‘Court’ की परिभाषा में Additional District Judge शामिल हैं?
    कोर्ट ने कहा: नहीं, केवल Principal Civil Court यानी जिला जज शामिल हैं।
  • क्या मध्यस्थता पुरस्कार (Arbitral Award) की कार्यवाही को एडीजे को सौंपा जा सकता है?
    कोर्ट ने कहा: नहीं, यह अधिकार भी केवल वाणिज्यिक अदालत यानी जिला जज के पास है।
  • क्या संविधान का अनुच्छेद 236(a) यहां लागू होगा?
    कोर्ट ने कहा: नहीं, विशेष अधिनियम के प्रावधान सर्वोपरि हैं।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Fuerst Day Lawson Ltd. v. Jindal Exports Ltd., (2011) 8 SCC 333
  • Kandla Export Corporation v. OCI Corporation, (2018) 14 SCC 715
  • PASL Wind Solutions v. GE Power Conversion India Pvt. Ltd., (2021) 7 SCC 1
  • SBP & Co. v. Patel Engineering Ltd., (2005) 8 SCC 618
  • State of U.P. v. Sabir Ali, AIR 1964 SC 1673
  • MSP Infrastructure Ltd. v. MP Road Development Corp., (2015) 13 SCC 713
  • Jaycee Housing Pvt. Ltd. v. Orissa HC, (2023) 1 SCC 549

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • M/s Vishal Builtech India Pvt. Ltd. v. Union of India, MJC No. 1323 of 2018
  • M/s Johnson Paints Pvt. Ltd. v. M/s Johnson Paints Company, Commercial Appeal No. 8 of 2024

मामले का शीर्षक
Bihar State Power (Holding) Company Ltd. बनाम Gammon India Ltd. एवं अन्य
साथ ही
Bihar State Power (Holding) Company Ltd. बनाम Gammon Engineering & Construction Pvt. Ltd.
साथ ही
Hindustan Construction Company Ltd. बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd.

केस नंबर
Civil Misc. Jurisdiction Nos. 752 of 2023, 755 of 2023, और 305 of 2024

उद्धरण (Citation)– 2025 (1) PLJR 221

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से (752 और 755/2023): श्री उमेश प्रसाद सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता) व अन्य
  • प्रतिवादी की ओर से (752 और 755/2023): श्री श्याम किशोर शर्मा (वरिष्ठ अधिवक्ता) व अन्य
  • याचिकाकर्ता की ओर से (305/2024): श्री अनुराग सौरव व अन्य
  • प्रतिवादी की ओर से (305/2024): श्री नदीम सेराज

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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