पटना हाईकोर्ट का निर्देश: ठेकेदार की डिबारमेंट पर अंतिम आदेश के बिना कार्रवाई नहीं की जा सकती

पटना हाईकोर्ट का निर्देश: ठेकेदार की डिबारमेंट पर अंतिम आदेश के बिना कार्रवाई नहीं की जा सकती

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम द्वारा एक ठेकेदार कंपनी को टेंडरों से वंचित करने (डिबार करने) के आदेश पर टिप्पणी की। इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने परियोजना का 99% कार्य अप्रैल 2019 तक पूरा कर लिया था और जुलाई 2020 तक 100% कार्य पूरा करके निगम को सौंप भी दिया। इसके बावजूद, उन्हें डिबार कर दिया गया।

डिबारमेंट का आदेश दिनांक 21.05.2021 को कार्यपालक अभियंता द्वारा पारित किया गया था, जिसे बाद में मुख्य अभियंता ने 16.07.2021 को पुष्टि कर दी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि यह आदेश दुर्भावना से प्रेरित था और उन्हें आगामी टेंडरों से बाहर करने की साजिश थी।

अदालत ने पाया कि यह आदेश “अंतरिम” प्रकृति का था यानी यह कोई अंतिम आदेश नहीं था। साथ ही, आदेश पारित होने के बाद अब तक निगम की ओर से कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया था।

इस परिस्थिति में, अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया कि कार्यपालक अभियंता अब सभी तथ्यों और दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए अंतिम आदेश पारित करें। यह प्रक्रिया कानून और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार होनी चाहिए, यानी संबंधित पक्ष को सुनवाई का पूरा मौका मिलना चाहिए।

यदि याचिकाकर्ता भविष्य में पारित अंतिम आदेश से असंतुष्ट हो, तो उन्हें कानूनी तौर पर चुनौती देने का अधिकार प्राप्त होगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुदृढ़ करता है। किसी कंपनी को बिना स्पष्ट और अंतिम कारण के डिबार कर देना केवल व्यवसाय को नहीं, बल्कि उसकी साख और भविष्य के कार्यों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

यह निर्णय सरकारी अधिकारियों को यह याद दिलाता है कि वे किसी भी संस्था या व्यक्ति के खिलाफ कड़ा कदम उठाने से पहले वैधानिक प्रक्रिया का पालन करें। यदि कोई आदेश केवल अस्थायी है, तो उसे अंतिम निर्णय का रूप नहीं दिया जा सकता जब तक कि सुनवाई और दस्तावेजों पर विचार करके अंतिम निर्णय न हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या डिबारमेंट आदेश अंतिम था?
    ❌ नहीं। यह केवल एक अंतरिम आदेश था।
  • क्या अधिकारियों ने डिबारमेंट के बाद कोई अंतिम आदेश पारित किया?
    ❌ नहीं। अब तक कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया था।
  • क्या अदालत ने डिबारमेंट रद्द कर दिया?
    ⚖️ नहीं सीधा रद्द नहीं किया। बल्कि अंतिम आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
  • क्या याचिकाकर्ता भविष्य में अंतिम आदेश को चुनौती दे सकता है?
    ✅ हाँ। कानूनी रास्ता खुला रहेगा।

मामले का शीर्षक
M/s Rehanam Construction Pvt. Ltd. v. State of Bihar & Ors.

केस नंबर
CWJC No. 10673 of 2022

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री शशि भूषण सिंह, अधिवक्ता – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री प्रसून सिन्हा, अधिवक्ता – प्रतिवादीगण की ओर से

निर्णय का लिंक
https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/377999a1-3ff3-4447-b06a-3c870c18ebc0.pdf&search=Debarment

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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