पटना हाई कोर्ट 2020: सीआरपीएफ भर्ती में उम्मीदवार की “रीव्यू मेडिकल” अपील खारिज, कोर्ट ने याचिका भी खारिज की

पटना हाई कोर्ट 2020: सीआरपीएफ भर्ती में उम्मीदवार की “रीव्यू मेडिकल” अपील खारिज, कोर्ट ने याचिका भी खारिज की

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) में कांस्टेबल भर्ती से जुड़ा है, जिसे स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) के माध्यम से आयोजित किया गया था।

याचिकाकर्ता (महिला उम्मीदवार) ने शारीरिक दक्षता परीक्षा (PET) तो पास कर ली थी, लेकिन जनवरी 2020 में मेडिकल बोर्ड ने उन्हें चार आधारों पर “अनफिट” घोषित कर दिया:

  1. ज़्यादा वज़न (Overweight)
  2. आँखों की समस्या (Deficiency of Vision – DOV-N-8)
  3. पैरों में विकृति (Pes cavus)
  4. एक्स-रे में असामान्य परिणाम (broncho-vascular markings)

उम्मीदवार ने भर्ती नियमों के तहत रीव्यू मेडिकल बोर्ड की मांग की। लेकिन उनकी अपील यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि उन्होंने जो मेडिकल सर्टिफिकेट जमा किया, वह “संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर” (Specialist Medical Officer) द्वारा हस्ताक्षरित नहीं था। इसके बजाय, सर्टिफिकेट एक जिला अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट-कम-असिस्टेंट चीफ मेडिकल ऑफिसर ने दिया था, जो मान्य नहीं था।

याचिकाकर्ता की दलीलें:

  • नियमों में “विशेषज्ञ डॉक्टर” से प्रमाणपत्र लेने की शर्त स्पष्ट नहीं थी।
  • उन्हें दी गई रिपोर्ट में दृष्टि दोष “DOV-N-0” लिखा था, जो बाद में डॉक्टर की राय के अनुसार, आंखों से संबंधित ही नहीं था।
  • चूँकि केवल एक फॉर्म (Form No.3) उपलब्ध कराया गया था, इसलिए वह चारों आधारों पर अलग-अलग विशेषज्ञ डॉक्टर के प्रमाणपत्र नहीं दे सकीं।

प्रतिवादियों (SSC, CRPF और केंद्र सरकार) की दलीलें:

  • उम्मीदवार को दिए गए मेमो (Annexure-6) और Form No.3 में साफ लिखा था कि प्रमाणपत्र संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (Specialist Medical Officer of Government District Hospital or above) से होना चाहिए।
  • उम्मीदवार द्वारा जमा सर्टिफिकेट में डॉक्टर ने उस कॉलम में “NIL” लिख दिया, जहाँ यह लिखना था कि पहले मेडिकल बोर्ड ने किस आधार पर गलती की। यानी यह सर्टिफिकेट रीव्यू के लिए बिल्कुल भी मददगार नहीं था।
  • “DOV-N-0” वाली दलील बाद में गढ़ी गई बात थी; अपील करते समय कभी यह मुद्दा नहीं उठाया गया।

कोर्ट का निष्कर्ष

पटना हाई कोर्ट ने माना कि:

  • नियमों और फॉर्म में “विशेषज्ञ डॉक्टर” का प्रमाणपत्र आवश्यक रूप से लिखा हुआ था।
  • उम्मीदवार ने यह जानते हुए भी नॉन-स्पेशलिस्ट का सर्टिफिकेट जमा किया।
  • सर्टिफिकेट अधूरा था क्योंकि डॉक्टर ने उसमें यह राय ही नहीं लिखी कि पहला मेडिकल बोर्ड गलत था।
  • “DOV-N-0” वाली दलील और केवल एक फॉर्म मिलने की बात बाद में गढ़ी गई और रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती।

कोर्ट ने यह भी कहा कि चूँकि मामला सीआरपीएफ भर्ती से जुड़ा है, जहाँ कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, इसलिए मेडिकल फिटनेस के मानक बिल्कुल सख्ती से लागू होने चाहिए।

अंततः, हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और उम्मीदवार को कोई राहत नहीं दी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • उम्मीदवारों के लिए: भर्ती प्रक्रिया में दिए गए निर्देशों का अक्षरशः पालन करना ज़रूरी है। अगर नियम में विशेषज्ञ डॉक्टर का प्रमाणपत्र मांगा गया है, तो नॉन-स्पेशलिस्ट से सर्टिफिकेट लेने पर अपील अस्वीकार हो जाएगी।
  • SSC और CAPF के लिए: यह फैसला बताता है कि अदालतें भी भर्ती मानकों में ढील देने के पक्ष में नहीं हैं। शारीरिक और मेडिकल मानकों का सख्ती से पालन होगा।
  • आम जनता के लिए: यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि सुरक्षा बलों में वही उम्मीदवार चुने जाएँगे जो पूरी तरह फिट और सक्षम हैं। इससे बलों की कार्यक्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या रीव्यू मेडिकल अपील बिना विशेषज्ञ डॉक्टर के प्रमाणपत्र के स्वीकार की जा सकती है?
    • निर्णय: नहीं। नियमों में स्पष्ट शर्त है कि संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर से प्रमाणपत्र होना चाहिए।
  • क्या दृष्टि दोष (DOV-N-0 बनाम DOV-N-8) की आपत्ति सही थी?
    • निर्णय: नहीं। यह आपत्ति बाद में उठाई गई, इसलिए स्वीकार नहीं हुई।
  • क्या सीआरपीएफ जैसी फोर्स में मेडिकल मानकों में ढील दी जा सकती है?
    • निर्णय: नहीं। सख्त मानक ज़रूरी हैं।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Constable (GD) Exam-2018 के भर्ती नियम और गाइडलाइंस पर भरोसा किया गया।

मामले का शीर्षक

याचिकाकर्ता बनाम स्टाफ सेलेक्शन कमीशन एवं अन्य

केस नंबर

CWJC No. 8698 of 2020

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 737

न्यायमूर्ति गण का नाम

  • माननीय श्री न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद (मौखिक निर्णय, 01-12-2020)

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अरुण कुमार, अधिवक्ता
  • केंद्र सरकार की ओर से: श्री के.एन. सिंह, एएसजी तथा श्री कुमार सचिन, सीजीसी
  • एसएससी की ओर से: श्री राजेश कुमार वर्मा, एएसजी

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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