निर्णय की सरल व्याख्या
इस मामले में एक ट्रैवल एजेंसी ने बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (IPRD) और वित्त विभाग द्वारा जारी डिबारमेंट (सरकारी कामों से रोक) आदेश को चुनौती दी। कंपनी की मुख्य शिकायत थी कि इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि रोक कितने समय के लिए लगाई गई है।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता, जो एक ट्रैवल एजेंसी का प्रोपराइटर है, ने दो आदेशों को चुनौती दी—
- 25 अगस्त 2022 का आदेश — निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, बिहार द्वारा जारी।
- 14 नवंबर 2022 का आदेश — विशेष सचिव, वित्त विभाग, बिहार द्वारा जारी।
दोनों आदेशों का असर यह था कि कंपनी को सरकारी कार्यों में भाग लेने से रोक दिया गया, लेकिन इसमें अवधि का कोई उल्लेख नहीं था। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह मनमाना और गैरकानूनी है।
याचिकाकर्ता ने पहले के एक फैसले पर भरोसा किया — एम/एस एकता एंटरप्राइजेज बनाम बिहार राज्य (CWJC No. 21293/2021, दिनांक 01.12.2022), जिसमें पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि बिना अवधि बताए डिबारमेंट आदेश वैध नहीं हो सकता।
उच्च न्यायालय की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना कि पूर्व में दिए गए एकता एंटरप्राइजेज मामले का सिद्धांत इस मामले पर पूरी तरह लागू होता है। जब आदेश में रोक की अवधि ही तय नहीं है, तो वह कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।
अदालत का निर्णय
- 25 अगस्त 2022 और 14 नवंबर 2022 दोनों आदेशों को रद्द कर दिया गया।
- प्रतिवादी विभागों (IPRD और वित्त विभाग) को स्वतंत्रता दी गई कि वे कानून के अनुसार नया आदेश पारित करें, लेकिन उसमें डिबारमेंट की अवधि स्पष्ट लिखी जाए और प्रक्रिया का पालन हो।
- याचिकाकर्ता को 15 फरवरी 2023 सुबह 10:30 बजे निदेशक, IPRD के कार्यालय में उपस्थित होकर अपने सभी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया।
- निदेशक को आदेश दिया गया कि वह सभी सामग्री और तर्कों पर विचार कर दो माह के भीतर कारणयुक्त और बोलता (स्पीकिंग) आदेश पारित करें, जिसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन हो और सुनवाई का अवसर दिया जाए।
- याचिकाकर्ता को यह भी स्वतंत्रता दी गई कि यदि जरूरत पड़े तो अन्य कानूनी उपाय अपनाए या भविष्य में पुनः अदालत का दरवाज़ा खटखटाए।
निर्णय का महत्व और प्रभाव
यह फैसला प्रशासनिक कानून के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत को दोहराता है — किसी भी दंडात्मक आदेश जैसे ब्लैकलिस्टिंग या डिबारमेंट में उसकी अवधि स्पष्ट होना आवश्यक है।
- सरकारी विभागों के लिए: आदेश पारदर्शी और स्पष्ट होना चाहिए, अन्यथा अदालत इसे रद्द कर सकती है।
- ठेकेदारों और सेवा प्रदाताओं के लिए: यह निर्णय आश्वस्त करता है कि यदि डिबारमेंट मनमाने तरीके से और बिना स्पष्ट अवधि के की गई है, तो अदालत हस्तक्षेप करेगी।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या बिना अवधि बताए डिबारमेंट आदेश वैध है?
✘ नहीं। अदालत ने कहा कि यह कानूनी रूप से दोषपूर्ण है और रद्द किया जाना चाहिए। - क्या राहत दी गई?
✔ आदेश रद्द कर नया आदेश जारी करने की स्वतंत्रता दी गई, बशर्ते प्रक्रिया का पालन और अवधि का स्पष्ट उल्लेख हो।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- एम/एस एकता एंटरप्राइजेज बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, CWJC No. 21293/2021, निर्णय दिनांक 01.12.2022
मामले का शीर्षक
Jai Maa Durga Travels बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 17856 of 2022
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय श्री न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री शशि नाथ झा, श्री सनी कुमार, श्री रबीभूषण प्रसाद
प्रतिवादी की ओर से: श्री सुनील कुमार मंडल (SC-3), श्री अर्जुन प्रसाद (AC to SC-3), श्री बिपिन कुमार (AC to SC-3)
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