निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक सरकारी डॉक्टर की पदोन्नति और वरिष्ठता से जुड़ी याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह मामला स्वास्थ्य विभाग, बिहार से संबंधित था, जहाँ याचिकाकर्ता (डॉक्टर) ने दावा किया कि उन्हें सीनियरिटी-कम-च्वाइस पोस्टिंग (seniority-cum-choice posting) का अधिकार है।
डॉक्टर का कहना था कि उनकी पदोन्नति उस तिथि से होनी चाहिए जिस दिन वे इसके पात्र हुए थे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उनका दावा ठुकरा दिया और कहा कि किसी डॉक्टर को कभी पिछली तिथि (retrospective) से पदोन्नति नहीं दी गई। इस आदेश (21.06.2019) को याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।
पृष्ठभूमि
- पहले भी इसी विषय पर CWJC No. 5150 of 2019 में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि डॉक्टर अपनी बात विभाग के सामने रखें।
- डॉक्टर ने विभाग को आवेदन दिया और उसमें खास तौर पर 17.01.2018 की अधिसूचना का हवाला दिया।
- इस अधिसूचना के जरिए कई डॉक्टरों को पिछली तिथि से पदोन्नति (retrospective promotion) दी गई थी।
- डॉक्टर ने कहा कि अगर दूसरों को यह लाभ दिया जा सकता है, तो मुझे भी समानता के आधार पर यह लाभ मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ता (डॉक्टर) का पक्ष
- नीति के अनुसार मैं वरिष्ठ (senior) हूँ।
- मेरी वरिष्ठता गड़बड़ा गई क्योंकि कई डॉक्टरों को इन सीटू पदोन्नति (in situ promotion) उनकी ज्वॉइनिंग डेट से दे दी गई।
- 17.01.2018 की अधिसूचना इस बात का सबूत है कि पिछली तिथि से पदोन्नति दी जा सकती है।
- विभाग का यह कहना कि किसी डॉक्टर को ऐसा लाभ नहीं मिला, पूरी तरह गलत है।
राज्य का पक्ष
- विभागीय ट्रांसफर और पोस्टिंग प्रशासनिक आवश्यकताओं (administrative exigencies) पर आधारित होती हैं।
- अदालत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
- लेकिन राज्य के वकील यह स्वीकार नहीं कर सके कि अधिसूचना 2018 को नज़रअंदाज़ करना सही था।
हाई कोर्ट की टिप्पणी
अदालत ने कहा:
- जब याचिकाकर्ता ने साफ तौर पर अधिसूचना 17.01.2018 का हवाला दिया था, तो स्वास्थ्य विभाग को इसे ध्यान से विचार करना अनिवार्य था।
- आदेश दिनांक 21.06.2019 ने इस अधिसूचना को नज़रअंदाज़ कर दिया और गलत बयान दिया कि किसी डॉक्टर को पिछली तिथि से पदोन्नति नहीं दी गई।
- यह आदेश कानूनन टिकाऊ नहीं है और इसे रद्द किया जाता है।
अदालत का अंतिम आदेश
- 21.06.2019 का आदेश रद्द (quash) किया गया।
- डॉक्टर को दोबारा आवेदन (representation) देने की छूट दी गई, जिसमें वे अधिसूचना 17.01.2018 और अन्य दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया गया कि इस आवेदन पर 8 हफ्तों के भीतर निर्णय लिया जाए।
- अगर यह तय होता है कि डॉक्टर को पिछली तिथि से पदोन्नति मिलनी चाहिए, तो इसके सभी लाभ भी दिए जाएं।
निर्णय का महत्व और प्रभाव
सरकारी डॉक्टरों के लिए
- अगर एक समूह को पिछली तिथि से पदोन्नति दी गई है, तो अन्य डॉक्टर भी उस पर समान अधिकार का दावा कर सकते हैं।
- वरिष्ठता (seniority) और पदोन्नति में समानता का सिद्धांत (principle of parity) लागू होगा।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के लिए
- विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी आवेदन को ठोस कारणों के साथ निपटाया जाए।
- “किसी को लाभ नहीं दिया गया” जैसे सामान्य और गलत बयान अब मान्य नहीं होंगे।
विधिक दृष्टिकोण से
- यह फैसला दिखाता है कि अदालतें सीधे पदोन्नति का आदेश नहीं देतीं, लेकिन अगर विभाग ने गलती की है तो आदेश को रद्द कर देती हैं और नए सिरे से विचार का निर्देश देती हैं।
- इससे प्रशासनिक अधिकार भी सुरक्षित रहता है और कर्मचारी का अधिकार भी।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या विभाग पिछली तिथि से पदोन्नति के मामले को नज़रअंदाज़ कर सकता था?
✔ नहीं। अधिसूचना 17.01.2018 पर विचार करना अनिवार्य था। - क्या हाई कोर्ट सीधे पदोन्नति दे सकता था?
✔ नहीं। कोर्ट ने आदेश रद्द कर विभाग को पुनः विचार का निर्देश दिया। - क्या याचिकाकर्ता को तत्काल राहत मिली?
✔ आंशिक। आदेश रद्द हुआ और 8 हफ्ते में नए निर्णय का निर्देश दिया गया।
मामले का शीर्षक
Ranjit Kumar Singh @ Ranjit Singh v. The State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 13619 of 2019
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 109
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद (दिनांक 11-02-2021)
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री प्रभात रंजन, अधिवक्ता; श्री चंदन कुमार, अधिवक्ता
- प्रतिवादी की ओर से: श्री पंकज कुमार, S.C.-12
निर्णय का लिंक
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