मृत्युपूर्व बयान पर संदेह के कारण हत्या के आरोपी की रिहाई: पटना हाई कोर्ट का 2020 का निर्णय

मृत्युपूर्व बयान पर संदेह के कारण हत्या के आरोपी की रिहाई: पटना हाई कोर्ट का 2020 का निर्णय

न्यायालय के निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने एक ऐसे अभियुक्त को बरी कर दिया जिसे सत्र न्यायालय ने हत्या (धारा 302 IPC) और हथियार रखने (धारा 27 Arms Act) के अपराध में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी थी। यह मामला मुख्य रूप से मृतक के कथित फर्द-ए-बेयान (मृत्युपूर्व बयान) पर आधारित था, जो पुलिस अधिकारी द्वारा अस्पताल में दर्ज किया गया था।

यह घटना 19 नवंबर 1988 की है जब पीड़ित को कथित रूप से पीछे से गोली मारी गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। अभियोजन पक्ष ने तीन गवाहों के माध्यम से आरोपी की पहचान की थी।

ट्रायल कोर्ट ने गवाहों की गवाही और मृत्युपूर्व बयान पर भरोसा कर दोष सिद्ध किया, लेकिन उच्च न्यायालय ने पाया कि इस बयान को दर्ज करने की प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं, जैसे कि डॉक्टर की उपस्थिति न होना, बयान के समय मानसिक स्थिति की पुष्टि न करना, और रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट के समक्ष देर से प्रस्तुत करना।

निर्णय का महत्व

यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि आपराधिक मामलों में दोष सिद्ध करने के लिए केवल बयान नहीं, बल्कि उसकी विश्वसनीयता और वैध प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। यह नागरिकों को यह आश्वासन देता है कि अदालतें सुनिश्चित करती हैं कि बिना ठोस प्रमाण के किसी को सजा न हो।

न्यायालय द्वारा तय किए गए मुख्य मुद्दे

  • मृत्युपूर्व बयान की वैधता: चिकित्सकीय पुष्टि नहीं होने के कारण अविश्वसनीय माना गया।
  • गवाहों की गवाही की विश्वसनीयता: एक गवाह ने बयान में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे।
  • मजिस्ट्रेट के समक्ष फर्द-ए-बेयान पेश करने में देरी: अभियोजन की कहानी कमजोर हुई।
  • बयान दर्ज करने की अनुमति देने वाले डॉक्टर की गवाही नहीं हुई: यह बड़ी त्रुटि मानी गई।
  • संदेह का लाभ: अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया गया।

संदर्भित निर्णय

  • Jaswant Singh v. State (Delhi Administration), AIR 1979 SC 190
  • Laxman v. State of Maharashtra, (2002) 6 SCC 710
  • Nallapati Sivaiah v. Sub-Divisional Officer, Guntur, (2007) 15 SCC 465

वाद शीर्षक

मुन्‍ना शुक्ला बनाम बिहार राज्य

वाद संख्या

क्रिमिनल अपील (डिवीजन बेंच) संख्या 301/1994

सिटेशन

2020 (1) PLJR 892

पीठ और न्यायाधीशों के नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति प्रभात कुमार सिंह

अधिवक्ताओं के नाम

  • श्रीमती सुर्या निलांबरी (अमिकस क्यूरी) — अपीलार्थी की ओर से
  • श्री एस.सी. मिश्रा (अपर लोक अभियोजक) — राज्य की ओर से

निर्णय लिंक

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